Jharkhand election 2019: दूसरे चरण का चुनाव होगा दिलचस्प


    महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनावों के बाद अब झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद दिल्ली का नंबर होगा। दिल्ली में कभी भी चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है। झारखंड बीजेपी शासित प्रदेश है। चुनाव आयोग द्बारा गत एक नवंबर को किए गए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के अनुसार सूबे में पांच चरणों में चुनाव होने हैं। 81 विधानसभा सीटों वाले सूबे में इसी माह 3० नवंबर से चुनाव की शुरूआत हो जाएगी, जबकि मतगणना अगले माह 23 दिसंबर को होगी। चुनाव आयोग द्बारा चुनाव के लिए कुछ इस तरह कार्यक्रम बनाया गया है, जिसके तहत पहले चरण का चुनाव 3० नवंबर को, दूसरे चरण का चुनाव 7 दिसंबर को, तीसरे चरण का चुनाव 12 दिसंबर को, चौथ्ो चरण का चुनाव 16 और पांचवा व आखिरी चरण का चुनाव 2० दिसंबर को होगा। चुनाव के मद्देनजर व राज्य की संवेदनशीलता को देखते हुए वहां धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि सूबे का 67 फीसदी क्ष्ोत्र नक्सल प्रभावित है। राज्य के 13 जिले नक्सलवाद के मामले में अतिसंवेदनशील हैं।


 झारखंड बीजेपी ने इस बार राज्य में 65 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जबकि विपक्षी कांग्रेस व अन्य पार्टियां भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगी। लिहाजा, चुनावों को लेकर सूबे में सरगर्मी तेज हो गई है। चुनावों में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर होती है। झारखंड के पूरे चुनाव कार्यक्रम को देखा जाए तो वहां चुनाव का दूसरा चरण ऐसा है, जो सबसे दिलचस्प होगा, क्योंकि सबसे अधिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर दूसरे चरण के चुनाव पर लगी होगी। जिन 2० सीटों के लिए दूसरे चरण में चुनाव होने हैं, उनमें से अधिकांश सीटों पर प्रदेश की राजनीति के कई दिग्गज चुनाव मैदान में होंगे। जिसमें राज्य में पहली बार पांच साल तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले रघुवर दास से लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक शामिल हैं। इस चरण में 2० विधानसभा सीटों में 13 सीटें कोल्हान की होने की वजह से हार जीत का फैसला सीध्ो तौर पर इन दोनों दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बन जाएगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास स्वयं जमश्ोदपुर पूर्व से उम्मीदवार हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी से सांसद हैं। इसीलिए इस क्ष्ोत्र से अपने पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने का दारोमदार तो उनके ऊपर होगा ही, इसके अलावा खरसावां में भी उनके पास यही जिम्मेदारी होगी, क्योंकि वह यहां से कई बार पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। एक और अति महत्वपूर्ण सीट की बात करें तो उसमें चक्रधरपुर भी शामिल होगा। इस सीट पर मुकाबला इसीलिए भी रोमांचक होगा, क्योंकि इस सीट पर स्वयं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चुनावी मैदान में होंगे।
 तीन मंत्रियों सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र साहिस, स्पीकर दिनेश उरांव की अगली पारी का फैसला भी दूसरे चरण में ही होना है। सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा और दिनेश उरांव की सीटों क्रमश: जमश्ोदपुर, पश्चिम, खूंटी और सिसई से भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। इस वजह इन तीनों दिग्गजों की भी सांस अटकी पड़ी है। वहीं, जनसंसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस का जुगसलाई से आजसू से प्रत्याशी होना तय माना जा रहा है। इसके अतिरिक्त पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। दीगार बात है कि जगन्नाथपुर और मझगांव कोड़ा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती हैं। उनकी पत्नी गीता कोड़ा अभी सिंहभूम से कांग्रेस सांसद हैं, इसीलिए जगन्नाथपुर और मझगांव सीटों से विपक्षी उम्मीदवारों को जीत दिलाना कोड़ा दंपति के वजूद का सवाल निश्चित ही बन गया है।
 उधर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू की घाटशिला सीट गठबंधन के तहत झामुमो के खाते में चली गई है। इससे नाराज बलमुचू ने बगावत का ऐलान कर दिया है। बलमुचू झाविमो या आजसू से टिकट की आस में हैं। किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशचंद गोस्वामी की बहरागोड़ा सीट से टिकट कट गया है। यहां भाजपा ने झामुमो से आए विधायक कुणाल षाडंगी को उतारा है। कुणाल षाडंगी के पिता दिनेश षाडंगी भी यहां से भाजपा विधायक थ्ो। इसके अलावा इसी दूसरे चरण में झारखंड में मंत्री रहे सात नेताओं की किस्मत का भी फैसला होना है। पूर्व मंत्री चंपई सोरेन सरायकेला से झामुमो विधायक हैं। वहीं, जेल में बंद पूर्व मंत्री राजा पीटर तमाड़ से विधायक रहे हैं। उनके जेल से ही चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री रहीं गीताश्री उरांव ने सिखई से, कृषि मंत्री रहे बन्ना गुप्ता जमश्ोदपुर पश्चिम से, पूर्व शिक्षा मंत्री बंघु तिर्की मांडर से, विधि मंत्री रहे देवकुमार घान मांडर से और पूर्व मंत्री दुलाल भुईया के भी जलसलाई से चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है।
 जुगसलाई, मांडर, जमश्ोदपुर-ईस्ट, जमश्ोदपुर पश्चिम, तमाड़ व कोलेबिरा ऐसी सीटें हैं, जहां के परिणाम ऑल ओवर रिजल्ट को बहुत हद तक प्रभावित करेंगी, इसीलिए सतारूढ़ बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के लिए ये सीटें खास मायने रखती हैं। ऐसे में, उनकी कोशिश रहेगी कि बाजी अपने हाथ से न जाने दी जाए। पर देखने वाली बात यह होगी कि जनता किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधती है, जिसका परिणाम भी 23 दिसंबर को देखने को मिल जाएगा।






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