अग्नि परीक्षा में पास हुई सरकार | Nagrikta Sansodhan bill 2019
नागरिकता संशोधन बिल 2०19
नागरिकता संशोधन बिल 2०19 राज्यसभा में भी पास हो गया है। अब जल्द ही बिल पर प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर होंगे और बिल एक्ट में तब्दील हो जाएगा। बिल लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था। लोकसभा में पर्याप्त समर्थन होने की वजह से बीजेपी को बिल पास कराने की चिंता नहीं थी, लेकिन बिल को राज्यसभा में पास कराना थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि बीजेपी के राज्यसभा में समर्थन के आकड़े के मुताबिक सदस्य नहीं हैं । राज्यसभा में समर्थन का आकड़ा 121 होना था और बीजेपी के पास महज 83 सदस्य हैं। ऐसे में, राज्यसभा में बिल को पास कराना बड़ा मुश्किल था, लेकिन सहयोगी पार्टियों के सहयोग की वजह से बीजेपी सरकार राज्यसभा में बिल को पास कराने में सफल रही। पक्ष में 125 मत पड़े और विपक्ष में 1०5 मत पड़े। अब बिल को एक्ट में तब्दील होने में सिर्फ बिल पर प्रेसिडेंट के हस्ताक्षर होने भर तक की देरी है। नागरिकता संशोधन बिल के दोनों सदनों में पास होने के बाद पड़ोसी इस्लामी देशों में धार्मिक आधार पर गैर मुस्लिम यानि अल्पसंख्यकों को राहत मिल जाएगी और उन्हें भारत की नागरिकता आसानी से मिल जाएगी। विपक्षी राज्यसभा में भी इस तर्क के आधार पर विरोध करते रहे कि सरकार का बिल को पास कराने के पीछे का मकसद धर्म के आधार पर भेदभाव करना है, जबकि भारत का वर्तमान कानून या संविधान भारत की नागरिकता चाहने वालों में धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं करता है और किसी को अलग छूट प्रदान नहीं करता है, क्योंकि हमारा देश धर्म व पंथनिरपेक्षता के आधार पर चल रहा है। लिहाजा, सरकार का यह कदम धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का प्रयास है।
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नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर केंद्र सरकार का पक्ष रखते गृह मंत्री अमित शाह |
उल्लेखनीय बात है कि यह विधेयक नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया था और इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वालों के लिए भारत की नागरिकता हासिल करने के नियमों को आसान बनाया जाना है। पहले किसी ऐसे विदेशी नागरिक के लिए भारतीय नागरिकता पाने के लिए पिछले 11 सालों से यहां रहना अनिवार्य था, लेकिन विधेयक के जरिए इस अवधि को घटाकर 6 साल कर दिया गया है। इसीलिए जाहिर सी बात है कि जिन लोगों को भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल तक का इंतजार करना पड़ता था, उन्हें अब काफी राहत मिलेगी। विधेयक के मुताबिक कोई बांग्लादेशी, पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी मुस्लिम यहां होगा, तो उसे अवैध जाएगा और कोई गैर-मुस्लिम है तो उसे वैध माना जाएगा।
सरकार ने पिछली लोकसभा यानि 2०16 में भी इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था, लेकिन इस दौरान लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने की वजह से यह निष्प्रभावी हो गया था। इसीलिए सरकार की पूरी कोशिश थी कि इस शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पास कराया जाए। अगर, राज्यसभा में बिल अटकता तो दोबारा इसे दोनों सदनों में पास कराना पड़ता, क्योंकि किसी भी बिल को कानून में बदलने का तकनीकी पहलू यह है कि विधेयक लोकसभा में पास हो गया और राज्यसभा में पास होने से पहले लोकसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया तो इसे फिर से दोनों सदनों में पास कराना होता है। इसीलिए बिल को लोकसभा में पारित कराने के साथ ही तत्काल राज्यसभा में भी पेश कर दिया गया और बीजेपी सरकार ने आकड़ों के गेम को अपने पक्ष में कर बिल को पास भी करा दिया। कश्मीर से धारा 37०, राम मंदिर, एसपीजी नियमों में बदलाव, आरक्षण जैसे बड़े मुद्दों पर सरकार द्बारा उठाए गए कदमों के बाद नागरिकता संशोधन बिल 2०19 को भी दोनों सदनों में पास कराने को सरकार की बड़ी सफलता माना जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का कड़ा विरोध हो रहा है। असम के लोगों को इस बात का संदेह है कि नागरिकता संशोधन विधेयक में किया गया संशोधन एनआसी में पैदा हुई समस्याओं को सुलझाने के बजाय उलझाने वाला है।
असम के लोगों का तर्क है कि उनकी हमेशा से लड़ाई घुसपैठियों को बाहर करने की रही है, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो या फिर सिख आदि, क्योंकि घुसपैठिया सिर्फ घुसपैठिया होता है, उसे धर्म के आधार पर बांटने का कोई मतलब नहीं बनता है। ऑल असम स्टूडेंट्स के नेतृत्व में 198० के दशक में व्यापक रूप से छात्रों के आंदोलन में भी यह मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद 2००5 में जाकर केंद्र, राज्य और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच कानूनी दस्तावेजी सहमति बनी थी और बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एक व्यवस्थित रूप सामने आया, जिसमें 1971 के बाद भारत में आए सभी शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने पर सहमति बनाई गई थी, लेकिन दोनों सदनों में पास विधयेक इससे अलग है, जिसे सियासी फायदा उठाने का माध्यम माना जा रहा है। ऐसे में, विरोध भविष्य में भी बने रहने की संभावना है, लेकिन सरकार ने जिस तरह अपनी अग्नि परीक्षा पास कर ली है, उससे भी यह संभावना बन रही है कि वह अन्य गंभीर मुद्दों को भी सुलझाने में देर नहीं करेगी।
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