लोकसभा चुनाव-2024 : एक तीर से दो निशाने

 जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव-2024 (Loksabha Election-2024) का दौर आगे बढ़ रहा है, राजनीतिक पार्टियों द्वारा बची हुई सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान भी किया जा रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी (Congress) द्वारा उम्मीदवारों की जारी की गई सूची में जब बिहार में अपनी सियासी जड़ें जमाने में जुटे कन्हैया कुमार को दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट पर टिकट दिया गया तो हर कोई हैरान रह गया, क्योंकि यह दिल्ली के स्थानीय नेताओं को भी नहीं पता था और खुद कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) भी निश्चित ही इसको लेकर हैरान होंगे कि आखिर यह हुआ क्या ? 


बात इसीलिए भी साफ है, क्योंकि जो व्यक्ति बिहार की राजनीति में अपनी सियासी जड़ें मजबूत करने में जुटा हो, उसे दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से टिकट दे दिया जाए तो उसकी क्या स्थिति हो सकती है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन सियासी तौर पर देखा जाए तो इसके पीछे बड़ी राजनीतिक चाल नजर आती है, जिसमें कन्हैया कुमार फंस गए हैं, क्योंकि ऐसा साफ नजर आता कि कन्हैया कुमार को जबरदस्ती दिल्ली की राजनीति में धकेला गया है और उन्हें दिल्ली की राजनीति में धकेलने वालों में आरजेडी सुप्रीमो रहे लालू प्रसाद यादव मुख्य चेहरा हैं, लेकिन लालू ही एकमात्र चेहरा ही नहीं हैं, बल्कि स्वयं बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी दूसरा मुख्य चेहरा हैं, लेकिन उन्होंने कन्हैया कुमार को दिल्ली की सियासत में भेजने के लिए लालू प्रसाद यादव के कंधे का सहारा लिया। कन्हैया कुमार के दिल्ली की सियासत में चले जाने से लालू को भी सियासी फायदा मिलेगा और अखिलेश सिंह को भी, क्योंकि लालू प्रसाद यादव राजद सुप्रीमो तेजस्वी यादव के सामने बिहार में किसी भी युवा नेता को पनपने नहीं देना चाहते हैं और यही कहानी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की भी है, क्योंकि अखिलेश प्रसाद सिंह भी कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में इसीलिए हिस्सेदारी नहीं देना चाहते हैं, क्योंकि भूमिहार के नाम पर उनके बेटे आकाश को टिकट मिलने में कोई दिक्कत न हो। 

राजनीतिक हलकों में तो इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस राजनीतिक चाल के पीछे लालू से ज्यादा अखिलेश प्रसाद सिंह का दिमाग है और लालू प्रसाद यादव ने इस सियासी टारगेट को इसीलिए अंजाम तक पहुंचाया, क्योंकि इसमें उनका भी खुद का स्वार्थ था।  कन्हैया को दिल्ली से टिकट मिलने से ना केवल महाराजगंज से अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश को टिकट मिलना आसान हो जाएगा। हालांकि, भागलपुर सीट से अजीत शर्मा को टिकट दिया जा चुका है, जबकि बेगूसराय लोकसभा सीट का टिकट सीपीआई उम्मीदवार को दिया गया है। कन्हैया की इच्छा के मुताबिक अगर, बेगूसराय से उन्हें को टिकट दिया जाता तो बिहार में अधिक भूमिहारों को टिकट दिया जाना मुश्किल हो जाता। 

2019 में भी वजह कुछ ऐसी ही थी, क्योंकि लालू प्रसाद ने गिरिराज सिंह और कन्हैया कुमार की लड़ाई को त्रिकोणीय माना था और उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से  गिरिराज सिंह का समर्थन किया था, हालांकि लालू यादव ने इस समय अपने विश्वासपात्र तनवीर हसन को चुनावी मैदान में उतारा था। उस चुनाव में गिरिराज सिंह जीते थे, जिन्हें 6,92,193 मत मिले थे, वहीं सीपीआई से चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार को 2,69, 976 मत मिले, जबकि राजद के तनवीर हसन को 1,98,233 मतों पर ही संतोष करना पड़ा था। 

वहीं, 2014 की लोकसभा में सीपीआई उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद सिंह की 1,92,639 मत तो वर्ष 2009 लोकसभा में शत्रुघ्न प्रसाद को मात्र 1,64,849 मत मिले, लिहाजा इस बार भी (Loksabha Election-2024) बेगूसराय सीट सीपीआई को दे कर लालू और अखिलेश ने अपना बड़ा सियासी गेम खेलकर एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है।  


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