2030 तक भारत के ईवी बैटरी रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधारों की जरूरत
- BharatGAIN ने अपनी रिपोर्ट में इसकी महत्वपूर्ण आवश्यकता पर दिया है जोर
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2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहन
बाजार में 49% की सालाना
वृद्धि का अनुमान
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर, 2024 : 2030 तक भारत में ईवी बैटरी रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधारों
की आवश्यकता है, क्योंकि 2030 तक भारत
में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 49% की सालाना वृद्धि का अनुमान है। दिल्ली की रिसर्च ऑरगेनाइजेशन BharatGAIN द्वारा जारी "भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम में
अंतराल का आकलन।" ("Assessing Gaps in India's Electric Vehicle Battery
Recycling Ecosystem.") विषय पर जारी
अपनी रिपोर्ट में इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया है।
रिपोर्ट में ईवी क्षेत्र के आर्थिक, पर्यावरणीय लाभों और स्थायी बैटरी रीसाइक्लिंग ढांचे के विकास को आगे बढ़ाने में बाधक साबित होने वाली चुनौतियों का भी खुलासा किया गया है। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए नीति निर्माताओं और उद्योगों से जुड़े लोगों को समय रहते कार्रवाई करने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 49% की गति से होने वाली वृद्धि को ध्यान में रखते हुए लिथियम-आयन बैटरी में वृद्धि को प्रबंधित करने के लिए भी एक मजबूत रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
अध्ययन में भारत की मौजूदा नीतियों
और बुनियादी ढांचे की सीमाओं की भी जांच की गई है, जो ईवी क्षेत्र के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को बढ़ाने में
बाधित साबित हो सकती हैं, हालांकि भारत ने ईवी अपनाने के लिए
उद्देश्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य
2030 तक 30% निजी कारों, 70% वाणिज्यिक वाहनों और 80%
दुपहिया और तीन-पहिया वाहनों की बिक्री करना है, लेकिन बैटरी रीसाइक्लिंग पारिस्थितिकी तंत्र अभी असंतुलित नजर आता
है, जो चुनौती का कारण
बनेगा।
10 मिलियन प्रत्यक्ष और 50 मिलियन
अप्रत्यक्ष रोजगार की उम्मीद
ईवी क्षेत्र रोजगार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक ईवी क्षेत्र से लगभग 10 मिलियन प्रत्यक्ष और 50 मिलियन अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है, जो एक स्थायी बैटरी रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे के माध्यम से महत्वपूर्ण आर्थिक विकास को अनलॉक करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है, लेकिन रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है, जो लगभग 220 से 370 करोड़ रुपए है। साथ ही, इसमें बैटरियों के ट्रांसपोटेशन में कुल लागत का 35 से 50% अतिरिक्त खर्च जुड़ जाता है। इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र को अनौपचारिक परिचालन और बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम (बीडब्ल्यूएमआर) के तहत अपर्याप्त राज्य स्तरीय निगरानी से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो चिंताजनक है।
BharatGAIN की निदेशक सुश्री गौरी दत्ता ने कहा, "भारत में ईवी की वृद्धि
आशाजनक है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर हमारा कदम तभी सफल
हो सकता है, जब हम इसकी व्यापक क्षमता को समझें और उस दिशा
में कार्य करें। उन्होंने कहा, लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक
सर्कुलर अर्थव्यवस्था विकसित करना न केवल आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने के
लिए बल्कि हमारे नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप एक सुनहरा भविष्य बनाने के लिए भी
आवश्यक है। उन्होंने कहा, BharatGAIN में, हम ई-मोबिलिटी और हरित ऊर्जा जैसे प्रमुख रणनीतिक
क्षेत्रों में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए नीति निर्माताओं, उद्योगों से जुड़े लोगों और शिक्षाविदों को एकजुट करने के लिए काम करते
हैं।"
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