खतरे में महिला 'सुरक्षा’ India Most Dangerous Country For Women: Survey

    
        'महिला सुरक्षा’ के दावों पर सरकार चुप है। 'केंद्र में सरकार’ बदल गई, वह अपना पांच साल का कार्यकाल भी 2०19 में पूरा करने जा रही है, लेकिन 'महिलाओं के खिलाफ अपराध’ कम नहीं हुए। हैरानी इस बात पर होती है कि जिस प्रकार छोटी-छोटी मासूम बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि हमारा समाज किस प्रकार 'संवेदनहीन’ होते जा रहा है। 
 हाल की कई घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। 'मंदसौर’ की घटना सभी के समक्ष है। इससे अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, यमुनानगर सहित कई अन्य जगहों पर भी बच्चियों के खिलाफ इसी तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया। सरकारें अपने स्तर पर सोचें कि वह महिला सुरक्षा के लिए कितना और प्रयास कर सकती हैं, जिससे समाज में यह संदेश जरूर जाए कि ऐसी घिनौनी वारदातों को अंजाम देने का परिणाम क्या हो सकता है। ऐसे मामलों की सुनवाई में और भी तेजी लाई जाए। 
 जघन्य वारदातों को अंजाम देने वालों को तत्काल फांसी पर लटकाए जाने का प्रावधान किया जाए। जहां तक समाज का सवाल है, लोगों को अपनी संवेदनाओं को जिंदा रखने की जरूरत है। खासकर, इस दौर में जब महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों में बदलाव के बाद भी महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध कम नहीं हो रहे हैं। 
'खतरनाक देशों की श्रेणी में भारत’
 भारत दुनिया की सबसे 'समृद्धतम सभ्यता वाला देश’ है। भारत की संस्कृति के डंके दुनिया भर में बजाए जाते हैं, लेकिन जब महिला सुरक्षा पर बात आती है तो भारत उन देशी की श्रेणी में खड़ा हो जाता है, जो महिला सुरक्षा के मामले में 'बेहद खतरनाक देश’ है, क्योंकि यहां कई 'विदेशी महिलाएं’ भी ऐसी ही 'जघन्य वारदातों’ की शिकार हो चुकी हैं। जिसका असर देश के सम्मान पर पड़ता है। इस दौर में महिला सुरक्षा बड़ी चुनौती के रूप में समाने आ रहा है। महिलाएं आत्मनिर्भर हुईं हैं, वे आत्मसुरक्षा को लेकर भी संजीदा हुईं हैं, लेकिन बच्चियों को कैसे सुरक्षित रखा जाए। 
 घर, बाजार, स्कूल कोई तो जगह ऐसी हो, जहां बच्चियां व महिलाएं सुरक्षित हों। क्या राजनीति से हटकर देश के नुमांइदों को इस तरफ नहीं सोचना चाहिए। कोई भी घटना घटती है तो उसमें पहले राजनीति होने लगती है और ऐसे अधिकांश अपराधी राजनीतिक शह पाए हुए होते हैं। लिहाजा, अपराध कम नहीं हो रहे हैं। ऐसी वारदातों को भी अगर राजनीति, धर्म, सम्प्रदाय के तराजू में तोलकर देखा जाएगा तो निश्चित ही स्थितियां और भी भयावह होंगी। बहुत से मामलों में इस तरह की स्थितियां को देखने को मिलती हैं। कानूनों में बदलाव लाने के बाद भी अगर महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं तो इसके पीछे हमारी यही सोच सबसे अधिक     जिम्मेदार है। 
हर साल होती हैं 3० हजार से अधिक रेप की घटनाएं
हर साल भारत में 3० हजार से अधिक बलात्कार की घटनाएं होती हैं। 'मध्यप्रदेश’ ऐसा राज्य है, जहां बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। यह बात पीड़ा जरूर देती है कि यह वह राज्य है, जहां कई वर्षों से 'बीजेपी का शासन है’। बीजेपी का ही नारा है-बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। सवाल उठता है जब बेटी बचेगी ही नहीं तो वह पढ़ेगी कहां से। दूसरा, राजधानी दिल्ली भी इस जघन्य अपराध की सूची में दूसरे पायदान पर है। देश में 2०14 से मोदी के नेतृत्व में सरकार चल रही है। 'नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो’-'एनसीआरबी’ की रिपोर्ट को ही देखें तो 2०15 में देश भर में 34, 651 बलात्कार की घटनाएं हुईं। इनमें से 33,०98 मामले ऐसे रहे, जिन्हें पीड़ित के करीबियों द्बारा ही अंजाम दिया गया। मध्यप्रदेश में तब 4, 391 बलात्कार की घटनाएं हुईं थीं, जबकि दिल्ली-एनसीआर में 2,199 बलात्कार की घटनाएं सामने आईं। 2०16-17 में भी बलात्कार की घटनाएं कम नहीं हुईं। यही वजह है कि भारत को महिला सुरक्षा के मामले में सबसे खतरनाक देशों में शुमार किया जाता है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले क्राइम की ओवर ऑल स्थिति जानें तो लगभग हर साल 3.27 लाख से अधिक ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें 1.3 लाख से अधिक मामले सेक्शुअल ऑफेंसेज से संबंधित होते हैं। इनमें 1.2 लाख मामले राज्यों व 9,445 मामले केंद्र शासित प्रदेशों में समाने आते हैं। 
हर तरफ बढ़े रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध
 मध्यप्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों में सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। इसके अतिरिक्त उड़ीसा, वेस्ट बंगाल, आंध्र प्रदेश आदि क्ष्ोत्रों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। महिला सुरक्षा को लेकर बढ़ती जागरूकता, कानूनों में मजबूती के बाद भी अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं तो सरकारों के साथ-साथ समाज के लिए बड़ी चुनौती है। लिहाजा, जितना महिला सुरक्षा के संबंध में सरकारों को सोचना चाहिए, उतना समाज को भी। बकायदा, समाज को अधिक संवेदनशील होना चाहिए, क्योंकि पार्टियों तो अपने नफे-नुकसान को ध्यान में रखकर मामलों में रुचि दिखाते हैं, लेकिन समाज को इसीलिए संवदेनशील होना चाहिए, क्योंकि कोई घर ऐसा नहीं, जहां मां-बहनें और बेटियां नहीं हैं, लिहाजा हमें उनके प्रति बराबर सम्मान रख्ों, तो महिलाएं स्वयं को समाज में सुरक्षित महसूस करेंगी।
चर्चित घटनाओं पर एक नजर
 जब किसी बच्ची, किशोरी, युवती और महिला के साथ बलात्कार और जघन्य बलात्कार की घटना को अंजाम दिया जाता है तो आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए लाखों, करोड़ों हाथ उठते हैं। बहुत-सी घटनाएं ऐसी होती हैं, जो समाज में बहुत चर्चित होती हैं। इस वक्त मंदसौर की घटना को ही लेते हैं। मासूम बच्ची के समर्थन में लाखों, करोड़ों हाथ उठ रहे हैं। इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले दंरिदों को तत्काल फांसी की सजा हो। देश में ऐसी ही घटनाएं पहले भी हुई हैं, जो आज भी हर किसी के जेहन हैं और आगे भी रहेंगी। 
 'अरुणा शानबाग’ रेप केस आज भी हर किसी के जेहन में है। 1973 में देश में हुआ पहला चर्चित कांड रहा है। दीगार बात है अरुणा मुंबई स्थित एक अस्तपाल की नर्स थी। अस्पताल के ही एक सफाईकमीã सोहनलाल भर्था वाल्मिीक ने उसके साथ अप्राकृतिक सेक्स-सोडोमी रेप किया था, लेकिन उस वक्त इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया था, जिससे बलात्कार का मामला दर्ज नहीं हो सका, हालांकि आरोपी के खिलाफ लूट और हत्या के प्रयास करने का मामला दर्ज किया गया था, जिसके तहत आरोपी को सात साल की जेल हुई थी, लेकिन आरोपी आज बेखौफ अपनी जिंदगी जी रहा है, लेकिन अरुणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रही, जिसकी 2०15 में मौत हो गई थी। 
'मथुरा रेप केस’ भी चर्चित रहा। 1972 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में मथुरा नाम की आदिवासी लड़की का दो सिपाहियों ने रेप किया था। इस मामले में उस लड़की के बारे में कहा गया कि उसे कई लोगों से संबंध बनाने की आदत है। इसको देखते हुए जिला अदालत ने पुलिस वालों को बरी करने का आदेश सुनाया, लेकिन हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिससे आरोपियों को सजा नहीं हो पाई, इसके बाद व्यापक आंदोलन हुआ और भारतीय दंड संहिता में रेप को लेकर कानून में सुधार किया गया।
'प्रियदर्शनी मट्टू केस’ आज भी लोगों के जेहन में होगा। साल 1996 में यह दिल दहला देने वाली वारदात हुई थी। जब दरिंदों ने रेप के बाद हत्या की घटना को अंजाम दिया था। 25 साल की प्रियदर्शनी मट्टे दिल्ली में लॉ की पढ़ाई कर रही थी, जिसका संतोष कुमार सिंह नाम को व्यक्ति ने उसी के घर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी। हैरानी की बात यह है कि स्थानीय अदालत ने संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया था, लेकिन मामला अधिक प्रचारित होने की वजह से दिल्ली होईकोर्ट ने स्थानीय अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए आरोपी को फांसी की सजा दी थी। इसी तरह 'अंजना मिश्रा’ रेप केस भी काफी चर्चित हुआ था। यह 1999 की घटना है, जो बेहद हाईप्रोफाइल मामला था। यह हाईप्रोफाइल केस उड़ीसा में हुआ था। बता दें कि अंजना मिश्रा एक आईएफएस अधिकारी की पत्नी थी, जिन्होंने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से राज्य के महान्यायाधिक्ता इंद्रजीत राय के खिलाफ रेप का प्रयास करने की शिकायत दी थी, लेकिन इस मामले में सीएम ने इंद्रजीत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 1999 में जब वह भुवनेश्वर जा रही थीं, तभी तीन लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था। मामले की सीबीआई जांच के बाद 'महान्यायाधिक्ता इंद्रजीत राय’ को रेप के प्रयास में तीन साल की जेल हुई और रेप करने वाले तीन आरोपियों में से दो को अजीवन कारावास की सजा हुई, जबकि एक आरोपी क पता नहीं चला। इसके अलावा भी जो अन्य मामले चर्चित रहे, उनमें सौम्या रेप केस, मुंबई गैंग रेप केस,भंवरी देवी गैंप रेप केस, स्कारलेट कीलिंग रेप केस, इमराना रेप केस और 'निर्भया गैंग रेप’ केस। इनमें से अधिकांश मामलों में मीडिया की मुहिम की वजह से आरोपियों को सजा हुई। यहां यह सवाल उठता है कि देश में और कई ऐसे मामले होते हैं, जो दबे रह जाते हैं, जिनमें पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पाता है। 




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