"जस्टिस रंजन गोगोई" "Justice Ranjan Gogoi"


   पूर्वोत्तर भारत के पहले शख्स, जो सीजेआई (CJI)  के पद को करेंगे सुशोभित
 जस्टिस गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश ("Chief Justice Of India"-CJI) के तौर पर शपथ लेंगे। 2 अक्टूबर को वर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ("CJI Deepk Mishra") का कार्यकाल खत्म हो रहा है, लिहाजा जस्टिस गोगोई 3 अक्टूबर को शपथ लेंगे। प्रधान न्यायाधीश बनने की उपलब्धि के साथ ही उनके नाम एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है, वह उपलब्धि है पूर्वोत्तर भारत के ऐसे पहले शख्स, जो देश के प्रधान न्यायाधीश के पद को सुशोभित करेंगे। अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) का कार्यकाल लगभग 1 साल 1 महीने का होगा। इस लिहाज से रंजन गोगोई सीजेआई के पद से 17 नवंबर, 2०19 को सेवानिवृत्त होंगे।
 जस्टिस गोगोई असम के रहने वाले हैं। वह सुप्रीम कोर्ट "Supreme Court" के वरिष्ठतम जजों में शामिल हैं। लिहाजा, वर्तमान सीजेआई ने अगले सीजेआई के लिए उनके नाम की सिफारिश की, जिसे मंजूर कर लिया गया है। अब आगामी 3 अक्टूबर को जस्टिस रंजन गोगोई को नए सीजेआई के तौर पर शपथ लेनी है। 1954 में जन्में जस्टिस गोगोई की उम्र फिलहाल 64 साल है। 

Justice Rajan Gogoi( Left) With CJI Deepka Mishra (Right)
 उन्होंने 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट "Guwahati High Court" में एक वकील के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी। आगे चलकर 28 फरवरी 2००1 को उन्हें गुवाहटी हाई कोर्ट में न्यायाधीश "Justice" बनाया गया। इसके बाद 12 फरवरी 2०11 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय "Punjab and Hariyana Hight Court" का "मुख्य न्यायाधीश" "Chief Justice" बनाया गया। वह इस पद पर एक साल रहे और अप्रैल 2०12 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय "Supreme Court" में लाया गया और वह अब देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे हैं, हालांकि जस्टिस गोगोई लॉ "Law" के क्ष्ोत्र में ही रहे, लेकिन उनके परिवार का राजनीति "Politiecs" से भी गहरा नाता है। उनके पिता "केशब चंद्र गोगोई" "Kashab Chandra Gogoi" असम के मुख्यमंत्री "Chief Minister Of Aasam" रहे हैं।
 इन कारणों से रहे चर्चा में
- साल 2०16 की बात है, जब जस्टिस गोगोई "Justice Gogoi" ने सुप्रीम कोर्ट के ही रिटायर्ड जज मार्केंडेय काटजू "Retired Justice Markandey Katju" को अवमानना का नोटिस भ्ोज दिया था, जिसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई खूब चर्चा में आए। असल में, जस्टिस काटजू ने अपने एक फेसबुक पोस्ट "Facebook Post" में सौम्या रेप और मर्डर केस "Saumya Rape & Murder Case" में शीर्ष अदालत द्बारा दिए गए फैसले की आलोचना की थी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को रेप का दोषी करार दिया था, लेकिन हत्या का नहीं। इस मामले का फैसला जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया था। अवमानना नोटिस के आधार पर जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक पोस्ट के लिए माफी भी मांगी, जिसके बाद मामला खत्म हो गया।
- जस्टिस रंजन गोगोई "नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स"(एनसीआर-NCR) अपडेट करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। एनसीआर "NCR" के पीछे जस्टिस गोगोई और जस्टिस नरीमन "Justice Nariman" की काफी बड़ी भूमिका रही है। कुल मिलाकर जस्टिस गोगोई के आदेश पर ही असम "Asam" में एनसीआर "NCR" तैयार किया जा रहा है। एनसीआर के पहले डàॉफ्ट "Draft" के प्रकाशित "Punblish" होने के बाद करीब 4 लाख लोग इससे बाहर रह गए हैं। इस मामले में अब भी सुनवाई चल रही है।
- पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थ्ो। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया था। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्बारा वर्तमान सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ झंडा बुलंद किया था। असल में, चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर रोस्टर तय करने के मामले में सीजेआई दीपक मिश्रा "CJI Deepak Mishra" पर सवाल उठाया था। रोस्टर वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत किसी मामले की सुनवाई में बेंच का निर्धारण किया जाता है। जस्टिस रंजन गोगोई "Justice Rajan Gogoi" के अलावा जो तीन अन्य जज इसमें शामिल थ्ो, उनमें जस्टिस कुरियन जोसेफ "Justice Kurien Joseph", जस्टिस जे. चेलमेश्वर "Justice J. Chelameswar"(अब सेवानिवृत्त Now Retired) व जस्टिस मदन बी. लोकुर "Justice Madan B. Lokur" शामिल थ्ो। यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ था कि कोर्ट के वरिष्ठतम चार जजों द्बारा प्रेस कांफ्रेंस कर सार्वजनिक तौर पर सीजेआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया गया था।
 ऐसे होती ही सीजेआई की नियुक्ति
-जब भी वर्तमान सीजेआई सेवानिवृत्त होता है तो जाते-जाते उसके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होती है, क्योंकि उन्हें ही अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करनी होती है। इसके लिए कानून मंत्रालय "Law Mnistry" की सिफारिश के आधार पर सीजेआई पत्र लिखकर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करता है। जो पहले की प्रक्रिया चली आ रही है, उसके अनुसार इसकी प्रक्रिया सीजेआई स्वयं के सेवानिवृत्त होने के एक माह पहले शुरू करता है। परंपरा यह भी रही है कि सेवानिवृत्त होने जा रहे सीजेआई सबसे वरिष्ठ जज के नाम की सिफारिश अगले सीजेआई के लिए करता है। लिहाजा, इस बार भी ऐसा ही हुआ है। जस्टिस रंजन गोगोई सबसे वरिष्ठम जजों में शामिल हैं, लिहाजा सीजेआई दीपक मिश्रा ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार "Central Government" से की। बशर्तें, अटकलें इस बात की लगाईं जा रहीं थीं कि सीजेआई के खिलाफ जिन चार जजों "Four Judges" ने आवाज उठाई थी, उनमें जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थ्ो, ऐसे में क्या दीपक मिश्रा उनके नाम की सिफारिश केंद्र से करेंगे ? पर ऐसा नहीं हुआ। इसके पीछे जो भी कारण रहे हों, सीजेआई दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजग गोगोई के नाम की सिफारिश की, जिसे केंद्र से मंजूरी भी मिल गई। सीजेआई की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार विचार करती है और केंद्र की अनुमति के बाद नए सीजेआई कार्यभार ग्रहण करते हैं। नए सीजेआई "CJI" को राष्ट्रपति "President Of India" पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।


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