काम की समीक्षा के तौर दिख्ोगी चुनावी हवा

 2०19 करीब है। लिहाजा, चुनावी माहौल का बनना लाजिमी है। 2०14 के मुकाबले 2०19 का आम चुनाव थोड़ा अलग होगा, क्योंकि इस बार मोदी हवा उनके काम की समीक्षा के तौर पर देखने को मिलेगी, जबकि विपक्ष यह उम्मीद करेगा कि कम-से-कम उसकी पिछले आम चुनावों की जैसी दुर्गति न होने पाए। लोकसभा चुनावों की तस्वीर को वैसे चार राज्यों कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में होने वाले चुनाव साफ कर देंगे। हालांकि, इसका व्यापक असर लोकसभा चुनावों में नहीं दिख्ोगा, लेकिन एक माहौल जरूर बनेगा, जिसे देखना दिलचस्प होगा। 

दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से जिस प्रकार चुनावों को लेकर सजगता दिखाई जाने लगी है, वह अपने-आप में खास है। यह सजगता जगह-जगह सौगात देकर की जाने लगी है। फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्ष्ोत्र यानि वाराणसी इसका केंद्र बना हुआ है। वहां जिस प्रकार पीएम ने तोहफों की बारिश की है, उससे लगता है कि इसका असर चुनावों में दिख्ोगा। सब जानते हैं कि उत्तर-प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है, जिससे गुजरकर ही दिल्ली का रास्ता तय हो सकता है। सत्ताधीन बीजेपी इस बात को अच्छी तरह से जानती है। वाराणसी से इसकी शुरूआत करने की वजह से यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि जब पीएम का संसदीय क्ष्ोत्र सौगात से भरा होगा तो निश्चित ही इसका असर अन्य जगहों में भी देखने को मिलेगा। पीएम मोदी ने यहां 24०० करोड़ की विकास योजनाओं की सौगात दी है। निश्चित ही यह अपने-आप में काफी अहम है। यह आंतरिक जलमार्गों के इतिहास में सरकार की बड़ी उपलब्धि तो है ही, बल्कि चुनावी चश्मे से इसका खास असर दिख्ोगा, क्योंकि वाराणसी से पीएम ने प्रदेश के कई क्ष्ोत्रों को चुनावी बिगुल से साधा है। असल में, इस योजना का फायदा वाराणसी के अलावा कई अन्य क्ष्ोत्रों को भी मिलने वाला है। इससे कोशिश यह की गई है कि जलमार्ग के जरिए पूरे पूर्वांचल को जोड़ने के प्रयास के साथ ही साधा जाए। यह बीजेपी के लिए इसीलिए भी कारगर हो सकता है, क्योंकि स्वयं प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। प्रदेश के लिए यह बहुत बड़ी परियोजना है। इसके अलावा गौतमबुद्धनगर के जेवर में बनने वाले जेवर एयरपोर्ट को लेकर भी प्रदेश के अलावा केंद्र सरकार की तरफ से भी सक्रियता दिखाई जाने लगी है। आने वाले कुछ ही समय में इसके काम की शुरूआत की सकती   है।  बकायदा, सीएम प्रदेश कैबिनेट की बैठक में जेवर एयरपोर्ट निर्माण से संबंधित प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है। एक तरफ वाराणसी में आंतरिक जलमार्ग को सुदृढ़ करने संबंधी योजना से पूर्वांचल को साधा गया है तो दूसरी ओर जेवर एयरपोर्ट के माध्यम से पश्चिमी उत्तर-प्रदेश को साधने का प्रयास किया जा रहा है। निश्चित ही ये दो परियोनाएं सरकार के नजिरए से काफी कारगर साबित हो सकती हैं। योजनाओं की सौगात देने का सिलसिला इसीलिए भी जल्द पूरा किया जा सकता है, क्योंकि फिर चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। 
 उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से इसकी शुरूआत होने के साथ ही वाया पश्चिमी उत्तर-प्रदेश होते हुए यह देश के दूसरे राज्यों तक पहुंचेगी। नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो परियोजना को भी जल्द शुरू किया जाना है, जिसके उद्घाटन मौके पर पीएम मोदी के अलावा सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचेंगे। निश्चित ही, बीजेपी के दोनों दिग्गज पश्चिमी उत्तर-प्रदेश को साधने की कोशिश न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता है। 
 2०19 के चुनाव की तस्वीर को लेकर इसीलिए भी शक नहीं हो सकता है, क्योंकि विपक्ष की तरफ से कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है। उसके पास महज गिने-चुने दो-तीन मुद्दे ही हैं, जिसमें नोटबंदी, जीएसटी और रॉफेल डील से संबंधित मुद्दा शामिल है, लेकिन इसको लेकर भी विपक्ष खास होमवर्क नहीं कर पा रही है। अब विपक्ष की इन मुद्दों पर की जाने वाली दलील को लोग बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे में, विपक्ष को बहुत कुछ करना है तो उसे और मेहनत करने की जरूरत है। जहां तक महागठबंधन की बात है, उसका बहुत ज्यादा समीकरण दिखता हुआ नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि जिस प्रकार देश का वोटर सजग हुआ है, उसमें मुद्दों के साथ-साथ चुनावी चेहरे को लेकर भी पारदर्शिता का बरता जाना बहुत जरूरी होता है। इन दोनों ही मुद्दों को लेकर न तो महागठबंधन की तस्वीर साफ है और न ही विपक्ष की। ऐसे में, इसका फायदा बीजेपी को नहीं मिलेगा, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। 
 चुनाव का कम समय बचने की वजह से दोनों ख्ोमों की तरफ से और प्रयास होंगे कि कैसे जनता की मंशा को भांपा जा सके। 2०14 में एक नई हवा के तहत नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बहुत अच्छा माहौल बना था, लेकिन इस बार माहौल उनके चेहरे के इतर उनके कामों के आधार पर बनेगा। यह काफी दिलचस्प होगा। अगर, देश का मतदाता काम के आधार पर वोट करें तो यह देश हित में बहुत अच्छा होगा। कार्य की समीक्षा होनी चाहिए। अगर, सरकार बेहतर काम कर रही है, तो उसे और मौका दिया जाना चाहिए। अगर, सरकार काम नहीं कर रही है तो नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है, उसके समक्ष रोजगार बढ़ाने से लेकर कई ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें समय रहते दूर करने की जरूरत है। भारत युवाओं का देश है। उनके समक्ष रोजगार जैसा सबसे जरूरी विकल्प होना चाहिए, क्योंकि उन्हें शिक्षा में बहुत अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। अगर, उसके बाद भी रोजगार नहीं मिलेगा तो निश्चित ही वह सरकार के खिलाफ बगावती रुख अपनाएगा। इस मोर्चे पर सरकार को बहुत कुछ करने की जरूरत है। भले ही, इस कार्यकाल में इस मोर्चे पर उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली हो, लेकिन उन्हें भविष्य के लिए विश्वास में लिया जा सकता है। क्योंकि युवा किसी भी देश की रीढ़ होते हैं। वह सही दिशा पकड़ेगा तो निश्चित ही देश की किस्मत भी बदल जाएगी। 


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