चुनौतियों को संभावनाओं में बदल रहा ‘योगी मॉडल’| Yogi-Model-Turning-Challenges-Into-Possibilities
कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों के लिए
मिशाल बनकर सामने आया है। यह उन लोगों के लिए बहुत बड़ा सबक है, जो लोग योगी जी में प्रशासनिक अनुभव की कमी तलाश करते थे। आज कोविड-19 के
मामले जिस तरह रफ्तार पकड़ रहे हैं, ऐसे में यूपी की स्थिति
महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात सहित कई अन्य राज्यों से बहुत अच्छी है। 23 करोड़ की आबादी वाले
राज्य के लिए इससे बड़ी सफलता और क्या हो सकती है, जबकि 20
लाख के करीब प्रवासी लोग राज्य में वापस भी आ चुके हैं। सीएम योगी ने इस संकट में
जो बड़े निर्णय लिए, उनको दूसरे राज्यों को अनुशरण करना पड़ा। जब
अन्य राज्य प्रवासी लोगों के राज्य में आने से दूरी बना रहे थे, ऐसे मौके पर योगी ने प्रवासी लोगों को लाने का साहस भरा निर्णय लिया।
इसकी सबसे मार्मिक तस्वीर
तब देखने को मिली, जब दिल्ली सरकार ने डीटीसी की बसों में
भरकर 27-28 मार्च की रात को करीब डेढ़-दो लाख मजदूरों को यूपी की सीमाओं पर बेसहारा
छोड़ दिया था, तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने रातों रात हजारों बसें
भिजवाकर न केवल प्रदेश के, बल्कि बिहार के भी हजारों लोगों
को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया। कोटा में फंसे छात्रों को लाने में भी योगी आदित्यनाथ
ने ऐसे ही साहस का परिचय दिया। कोरोना योद्धाओं पर हमला करने वाले जमातियों के
खिलाफ जब दूसरे राज्य एक्शन लेने से कतरा रहे थे, तब योगी ने
ऐसे लोगों के खिलाफ रसुका जैसी कार्यवाही करने का फरमान सुनाकर साहस भरा निर्णय
लिया था, उसके बाद ही तांडव कर रहे जमाती शांत हुए और कोरोना
योद्धाओं पर हमलों में कमी आई। निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के खातों में
1000-1000 रुपए डालने की पहल भी सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने ही की थी। 27 लाख से भी अधिक लोगों के खातों में यह धनराशि ट्रांसफर की गई। गरीबों को
निशुल्क राशन और पेंशन भी राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। समाज कल्याण विभाग इस
वर्ष गरीबों को 12 के बजाय 14 महीने की पेंशन देगी, यानि दो
महीने की अतिरिक्त पेंशन।
राज्य के लिए दोहरी चुनौती
होने के बाद भी योगी उस चुनौती को अवसर में बदलने जुटे हुए हैं। पहली चुनौती
कोरोना से निपटने की, वह भी तब, जब
दूसरे राज्यों से आने वाले बहुत से प्रवासी संक्रमित निकल रहे हैं। दूसरी चुनौती
राज्य में आए इतने प्रवासियों को रोजगार से जोड़ने की । उन्होंने इस मामले में भी निर्णय
लेने में देर नहीं लगाई। योगी आदित्यनाथ ने
इसका पूरा मॉडल तैयार कर लिया है। सरकार ने प्रवासी मजदूरों को लेकर जो मॉडल तैयार
किया है, उसके मुताबिक़ राज्य में लौटे प्रवासी मजदूरों को अब
दूसरे राज्यों में जॉब के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। चीन से पलायन करने वाले जापान के
उधोगों को राज्य में स्थापित करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। प्रदेश में बकायदा ‘जैपनीज एस्टेट’ बनाया जाएगा। इसको लेकर प्रदेश के
सूक्ष्म एवं मध्यम उधम मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भारत में जापान के राजदूत के
साथ इस संबंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बात भी की है। प्रवासी मजदूरों के
लिए स्किल मैपिंग के जरिए भी रोजगार देने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है।
चीन में कार्यरत बहुत सी अमेरिकी कंपनियाँ भी भारत आने को बेताब हैं, इन कंपनियों को राज्य में स्थापित करने के लिए विशेष पेकैज का ऑफर योगी
सरकार द्वारा दिया गया है। जिससे कंपनियाँ यूपी में निवेश करने में दिलचस्पी लेंगी।
और रोजगार की बहुत सारी संभावनाएं पैदा होंगी।
इसको लेकर सीएम योगी ने प्रमाणिक
पहल भी की है। इंडियन इंडस्ट्री एसोशिएशन (आईआईए), नेशनल रियल
एस्टेट डेवेलेपमेंट काउंसिल (नरडेको), कनफेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्रीज
(सीआईआई) जैसे बड़े इंडस्ट्री एसोसिएसनों से एमयूओ भी साइन कर लिया गया है। मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ की पहल का यह फायदा हुआ कि कई औद्योगिक संस्थान व उधमी आगे आए हैं
और स्किल मैपिंग डेटा बैंक से 5 लाख श्रमिक और कामगारों की मांग की है। औद्योगिक
संस्थानों को सीएम ने निर्देश दिये हैं कि कम से कम 1 से लेकर 10 श्रमिकों के लिए
हर हाल में जगह बनाई जाए। हर इकाई से सरकार स्क्लिड और नान स्किल्ड मैन पावर की
डिमांड कर रही है। औद्योगिक इकाईयों में श्रमिकों व कामगारों के लिए अप्रेंटिस और
ट्रेनिंग का भी इंतजाम किया जा रहा है। अप्रेंटिस के दौरान सरकार और औद्योगिक
समूहों से अप्रेंटिस भत्ता दिलाने की भी योजना है। पांच लाख के उत्साहवर्धक
आंकड़ों के साथ पहले चरण में श्रमिकों, कामगारों और युवाओं
के उद्योगों में सेवायोजन की प्रक्रिया को अंजाम देने की योजना बना चुकी है। सरकार
औद्योगिक संस्थानों से न केवल जॉब मांग रही है, बल्कि उधोगों
को हर तरह की मदद देने के अधिकारियों को निर्देश भी दिये हैं। कौशल के मुताबिक प्रवासी
श्रमिकों का डाटाबेस तैयार करना मुश्किल काम था, लेकिन सरकार 16 लाख प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार
कर चुकी है। बाकी का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। हर प्रवासी को राशन मिल सके, इसके लिए 8 लाख से अधिक लोगों के राशन कार्ड बना लिए गए हैं। श्रमिकों के
लिए सस्ते आवास की योजना पर भी सरकार काम कर रही है। कमजोर आय वर्ग के लिए पहले से
चल रही आवासीय योजना की तर्ज पर अपने प्रोजेक्ट में सस्ते दुकान, मकान बनाने वाले बिल्डरों को जीएसटी के अलावा अन्य रियायतें दी जाएंगी।
उत्तर
प्रदेश का इतना सुनहरा खाका पहले देखने को नहीं मिला। यह देश का असीम संभावनाओं से
भरा हुआ राज्य है, चुनौतियां थीं, लेकिन
उन चुनौतियां में संभावनाएँ तलाश करने की जरूरत थी। जो योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं।
इन संभावनाओं के पटल पर उतरते ही यूपी निर्यात का बड़ा हब जाएगा। राज्य अभी देश में
निर्यात के मामले में 5वें पायदान पर है। 2017-18 में यूपी ने 88 हजार 966 करोड़ का
निर्यात किया। जिस प्रकार निर्यातकों को ढ़ेरों सहूलियतें देने की योजना यूपी सरकार
बना चुकी है, उसके बाद इसमें क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। निश्चित
ही यह यूपी से पलायन कर दिल्ली-एनसीआर,
मुंबई, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, पंजाब और तमिलनाडु जाकर रोजगार की तलाश करने वाले
लोगों के लिए भी एक वरदान साबित होगा और उत्तर प्रदेश के माथे पर जो पलायन का कलंक
था, वह भी मिट जाएगा।
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