सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण: न्याय पाने की मुहिम चलाने वालों की बहुत बड़ी जीत

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई को जांच सौंप चुकी है। यह सुशांत के लिए न्याय पाने की मुहिम चलाने वालों की बहुत बड़ी  जीत है। जो लोग इस मामले की जांच को भटकाने की कोशिश कर रहे थे, उनके लिए भी यह बहुत बड़ा सबक है। सीबीआई को जांच सौंपे जाने से इस बात की उम्मीद बढ़ गई कि अब सुशांत को न्याय दिलाने से कोई रोक नहीं सकता है और रिया के झूठ की कहानी भी यही खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल रिया के परिवार के लिए बल्कि महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र पुलिस के लिए भी बहुत बड़ा सबक है। रिया बार-बार झूठ बोलकर इस मामले को उलझाने की कोशिश कर रही थी और मुंबई पुलिस शुरू से ही उसका साथ दे रही थी। सुशांत की मौत को 60 दिन यानि दो माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन मुंबई पुलिस की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी। इस पर इसीलिए भी सवाल खड़े हो रहे थे। क्या वाकई मुंबई पुलिस रिया से सच उगलवा रही थी, या फिर उसको बचाने की मुहिम में जुटी हुई थी। रिया की सफाई में भी साजिश की बू आ रही थी। और बार-बार अपने वकील के माध्यम से झूठ का सहारा ले रही थी।



सुशांत के परिवार द्बारा बार-बार सुशांत की मानसिक हालत खराब नहीं होने का दावा किए जाने के बाद भी रिया जबरन इसे झूठ का पुलिंदा बनाकर बचने की कोशिश कर रही थी, जबकि कहीं न कहीं यह बात साफ हो चुकी है कि अपना लालच सिद्ध हो जाने के बाद वह सुशांत से कैसे अलग हो गई थी। सुशांत के परिवार वाले मानते हैं कि सुशांत की मौत के लिए रिया चक्रवर्ती ही पूरी तरह जिम्मेदार है। मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की भी जांच चल रही है। वह पिछले कई दिनों से लोगों से सवाल-जवाब कर रही है। सुंशात के पिता केके सिह ने रिया पर सुशांत के अकाउंट से अवैध रूप से 15 करोड़ रुपये निकालने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जब लगभग यह बात साफ हो रही थी कि जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है तो रिया चक्रवर्ती के वकील ने रिया की तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर मामले को इमोशनल टच देने की भी कोशिश की, जिससे न्याय की मांग करने वाले लोगों के मन में उसके प्रति उदारता दिखाई दे, लेकिन ऐसा होने से पहले ही जांच सीबीआई पाले में चली गई और रिया की यह कोशिश भी व्यर्थ हो गई।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक बात तो साफ हो गई है कि हमारे देश में न्याय के लिए चलने वाली मुहिम को कोई भी ताकत व झूठ नहीं दबा सकता है। रिया के हर बयान में जब झूठ की बू आ रही थी, तो समझने वाले आसानी से समझ रहे थे कि रिया झूठ बोलने के लिए मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहीं हैं। वह और उसका गैंग सिर्फ यही चाहता था कि इस मामले की जांच मुंबई पुलिस ही करें, इसीलिए बिहार में दर्ज मामलों को मुंबई टंसफर करने की मांग शुरू से ही की जा रही थी। अब न इसमें मुंबई पुलिस की भूमिका रहेगी और न ही बिहार पुलिस की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में एक और अच्छी बात यह है कि अब इस प्रकरण में जो भी मामले दर्ज होंगे, वे सीधे तौर सीबीआई को टंसफर होंगे। जो मुबंई पुलिस आज तक जांच को भटकाते आई है, उसे भी सीबीआई को जांच में सहयोग करना होगा। बिहार में दर्ज जिन एफआईआर पर महाराष्ट् की पुलिस और सरकार सवाल उठा रही थी, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर प्रश्नचिह्न लगा दिया कि बिहार पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की हैं, वह बिल्कुल सहीं थीं। और सीबीआई जांच की सिफारिश करना भी कानून के मुताबिक ही है। लिहाजा, अब न तो रिया का झूठ चलेगा और न ही रिया के गैंग से जुड़े हुए लोगों की साजिश कोई काम आएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि अब महाराष्ट् सरकार और पुलिस भी रिया को नहीं बचा पाएगी।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत का प्रकरण कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह हाईप्रोफोइल मामला तो है ही, बल्कि उससे भी बड़ी चीज यह कि यह न्याय और अन्याय के बीच की जबरदस्त रस्साकशी भी है। इस मामले में देशवासियों की भावना भी जुड़ी हुईं हैं, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने जब सीबीआई को जांच सौंपने का ऐलान किया तो पूरे देश में जश्न मना। और सुप्रीम के फैसले का सुशांत के परिवार, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई दिग्गजों, केंद्र सरकार और बिहार पुलिस से लेकर आमजन ने भी स्वागत किया। सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा कि हमें बहुत जल्द इंसाफ मिलने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सुशांत का परिवार बहुत खुश है। सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्विीट किया-भगवान आपका शुक्रिया! आपने सभी की प्रार्थना सुन ली, लेकिन यह शुरूआत है-सच की तरफ पहला कदम है। सीबीआई पर पूरा भरोसा है।

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने इसे 130 करोड़ भारतीयों की भावना की जीत बताया। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीबीआई जांच को सही बताया। उन्होंने मुंबई पुलिस के तरीके पर भी सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की, फिर 56 लोगों को समन भेजकर उनके बयान कैसे दर्ज कर लिए ? मेहता ने दलील दी थी कि सुशांत मामले में ईडी पहले ही केस दर्ज कर चुका है। जब एक केंद्रीय एजेंसी जांच शुरू कर चुकी है तो फिर दूसरी एजेंसियों के जांच करने में आपत्ति क्यों ?

पूरे घटनाक्रम से यह तो स्पष्ट हो गया है कि सुशांत को न्याय दिलाने की मुहिम ने सफलतापूर्वक अपनी चढ़ाई शुरू कर दी है। रिया और उसके गैंग का अब बचना मुश्किल है और न ही अब वह मनगढ़ंत कहानियां बना सकती हैं। उन्हें राज तो उगलने ही होंगे। उम्मीद है कि जल्द सुशांत के परिवार को न्याय मिलेगा। और यह मामला पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री  के लिए भी एक सबक बनेगा, जहां होने वाली मौतों का राज, राज ही रहने के बजाय, उसका सच दुनिया के सामने आएगा।

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