वैश्विक आपातकाल की तरह है जलवायु परिवर्तन
50 देशों के 1.2
मिलियन लोगों के बीच किया गया सर्वेक्षण
जलवायु परिवर्तन आज भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या का कारण बन रहा है। लिहाजा, लोगों का मत है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जल्द-से-जल्द ठोस कदम उठाए जाएं। उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन वैविक आपातकाल की तरह है, जिससे आने वाले दिनों में और भी घातक परिणाम झेलने पड़ेंगे, इसीलिए जितनी जल्द संभव हो, इसके खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं। लोगों का यह मत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के एक सर्वेक्षण के दौरान सामने आया है। यूएनडीपी ने यह सर्वेक्षण एक मोबाइल गेमिंग के माध्यम से 50 देशों के 1.2
मिलियन लोगों के बीच किया।
सर्वेक्षण के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता अधिक आयुवर्ग के लोगों में ही नहीं बल्कि कम आयुवर्ग के लोग भी इस मामले में पीछे नहीं रहे। 18 से 35 आयुवर्ग के बीच 65 प्रतिात लोगों ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक आपातकाल की संज्ञा दी। वहीं, इस मामले में 36 से 59 आयुवर्ग के लोगों का औसत 66 प्रतिशत था, जबकि 60 व उससे अधिक आयुवर्ग के 58 प्रतिशत लोगों ने माना कि जलवायु परिवर्तन वास्तव में वैश्विक आपातकाल की तरह ही है। यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में इसको क्षेत्र-वार भी विभाजित किया है, जिसमें पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 72 प्रतिशत और उप-सहारा अफ्रीका के 61 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक आपातकाल की तरह है। जब यूएनडीपी ने इसके खिलाफ जल्द सख्त कदम उठाने संबंधी सवाल पूछा तो छोटे विकासशील देशों के 74 प्रतिशत लोगों ने इसका सर्मथन किया, उच्च आय वाले देशों में रहने वाले 72 प्रतिशत
लोग इसके समर्थन में दिखे, वहीं मध्य आय वाले देशों में इसका औसत 62 प्रतिशत था, जबकि सबसे कम विकसित देशों में यह औसत 58 प्रतिशत था।
बिजली क्षेत्र से उच्चतम उत्सर्जन वाले 10 सर्वेक्षण किए गए देशों में से आठ देशों के अधिकांश लोगों ने अक्षय ऊर्जा के अधिक उपयोग के विकल्प को चुना। पांच में से चार देशों में भू-उपयोग परिवर्तन से सबसे अधिक उत्सर्जन के बावजूद भी अधिकांश ने समर्थित वनों और भूमि का समर्थन किया। वहीं, सबसे अधिक शहरी आबादी वाले दस देशों में से नौ देशों ने कारों व बसों जैसे परिवहन के क्लीनर मोड में बदलाव पर जोर दिया। यूएनडीपी ने कहा कि जिस तरह लोगों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है, वह जलवायु आपातकाल की मान्यता को पहले से कहीं अधिक व्यापक करता है। यूएनडीपी के अनुसार, सर्वेक्षण में हमने यह भी पाया कि अधिकांश लोग स्पष्ट रूप से एक मजबूत और व्यापक नीति की मांग कर रहे हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली घटनाओं से उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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