संक्रामक रोग जलवायु परिवर्तन से ज्यादा खतरनाक
डब्ल्यूईएफ ने अपनी रिपोर्ट में वैश्विक जोखिम चार्ट में रखा सबसे ऊपर
प्रभावित टीकाकरण अभियानों से अन्य रोगों के बढ़ने की भी जताई संभावना
भले ही, जलवायु परिवर्तन बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहा हो, पर संक्रामक रोग इससे भी बड़ा खतरा बन रहे हैं। दरअसल, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी एक रिपोर्ट में संक्रामक रोगों को वैश्विक जोखिम चार्ट में सबसे ऊपर रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे न केवल जान का जोखिम भी बढ़ रहा है बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोरोना वायरस को इसके ताजा उदाहरण के रूप में पेा किया गया है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में कोरोना के चलते प्रभावित अन्य स्वास्थ्य टीकाकरण की वजह से भी अन्य रोगों के खतरों की संभावना भी व्यक्त की गई है।
रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़े को हवाला देते हुए बताया गया है कि दुनिया में 94 मिलियन से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और
2.06 मिलियन लोग मारे जा चुके हैं। डब्ल्यूईएफ रिपोर्ट में इसे दुनिया के सामने सबसे खराब स्वास्थ्य संकट बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस वायरस ने दुनिया के बहुत सारे गरीब हिस्सों के आर्थिक विकास को काफी पीछे छोड़ दिया है। लिहाजा, दुनिया में अमीर और गरीब के बीच मौजूदा आर्थिक खाई और चौड़ी हो गई है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोरोना की वजह से स्वास्थ्य और आर्थिक नुकसान का खतरा अभी का ही नहीं है बल्कि आगामी दो साल तक इसका खतरा बरकरार रहेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना ने न केवल स्वास्थ्य और आर्थिक नुकसान पहुंचाया बल्कि टीकाकरण के अन्य अभियानों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। आलम यह रहा कि कोरोना की चुनौतियों के बीच दुनियाभर में अन्य टीकाकरण कार्यक्रमों को स्थगित कर देना पड़ा था। इससे दुनिया के 68 देश बुरी तरह प्रभावित हुए। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड महामारी की वजह से कम से कम
20 मिलियन बच्चों को सामान्य रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ सही खुराक नहीं मिल पाई। डब्ल्यूएचओ का भी अनुमान है कि एक वर्ष से कम उम्र के लगभग 80 मिलियन बच्चों में टीका लगाने से रोकने वाली बीमारियों का जोखिम कई गुना बढ़ गया है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
पर्यावरण खराब करने में मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार
रिपोर्ट में पर्यावरण के बढ़ते खतरों को भी इंगित किया गया है। पर इसके लिए मानवीय गतिविधियों को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर, मानवीय गतिविधियां इसी तरह पर्यावरण को खराब करती रहेंगी तो जलवायु संबंधी जोखिम मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बना ही रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि मानव गतिविधियों के कारण ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। जब पर्यावरण खराब होता तो उससे महामारी का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में, पर्यावरण को खतरा पहुंचाने वाली मानवीय गतिविधियों पर तत्काल रोक लगानी होगी।
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