देश में हर चौथे बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब
केरल और तमिलनाडु में यह औसत 50 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में स्थिति थोड़ी बेहतर
लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (REPORT on Longitudinal Ageing Study of India) (LASI) के सर्वेक्षण तथ्य आया सामने
देश में औसतन हर चौथे यानि
24.1 प्रतिशत बुजुर्गों का स्वास्थ्य खराब है। केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में स्थिति सबसे खराब है। यहां यह औसत 50 फीसदी तक है, जबकि उत्तर-प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गोवा, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी में इससे काफी कम है। इन राज्यों में लगभग एक चौथाई बुजुर्ग लोगों ने अपना स्वास्थ्य खराब बताया। वहीं, मेघालय, दमन और दीव, नागालैंड, गुजरात व अरूणांचल प्रदेश में यह औसत 45 प्रतिशत से नीचे है। यह आकड़ा हाल ही किए गए लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (REPORT on Longitudinal Ageing Study of India) (LASI) में सामने आया है।
बता दें कि वर्ष
2011 की जनगणना के अनुसार देश में 60 या उससे अधिक आयुवर्ग के बुजुर्गों की संख्या 103 मिलियन थी, जो देश की आबादी का 8.6 प्रतिशत है। सरकारी आकड़ों के अनुसार 3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से वर्ष 2050 में ऐसे बुजुर्गों की आबादी बढ़कर 319 मिलियन हो जाएगी। उम्र में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य का खराब होना आम बात होती है, लेकिन पहले के मुकाबले अब बुजुर्गों का स्वास्थ्य खराब होने का औसत तेजी से बढ़ रहा है। बुजुर्गों के स्वास्थ्य के बारे में पता लगाए जाने के लिए केंद्र सरकार द्बारा समय-समय पर वृद्धजनों के स्वास्थ्य को लेकर सर्वेक्षण किया जाता है, जिसमें उनसे उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछकर डेटा तैयार किया जाता है।
लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया के माध्यम से भी देश में इसी तरह बुजुर्गों के स्वास्थ्य का आकलन किया गया है। सर्वेक्षण के अनुसार 60 या उससे अधिक आयुवर्ग के
24.1 प्रतिशत यानि हर चौथे बुजुर्ग ने अपना स्वास्थ्य खराब बताया, जिसमें पुरूषों का औसत 22.3 प्रतिशत है, जबकि इस मामले में महिलाओं का औसत पुरूषों से अधिक है। पुरूषों के 22.3 प्रतिशत के मुकाबले 26 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाओं ने अपना स्वास्थ्य खराब बताया। अगर, ग्राणीण और शहरी क्षेत्रों के बीच तुलना की जाए तो आकड़ों से पता चलता है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के मामले में बुजुर्गों की स्थिति और भी खराब है। शहरी क्षेत्रों में जहां 21.7 प्रतिशत बुजुर्गों ने स्वीकार किया कि उनका स्वास्थ्य खराब है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत 25.2 प्रतिशत था।
सर्वेक्षण में 45 से 59 आयुवर्ग के लोगों के बीच भी स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन किया गया है। इस आयुवर्ग के
11.6 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनका स्वास्थ्य खराब है, जबकि महिलाओं के बीच यह औसत 12.3 प्रतिशत था। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इस आयुवर्ग के बीच भी अंतर दिखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 12.9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका स्वास्थ्य खराब है तो शहरी क्षेत्र में 10.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका स्वास्थ्य खराब है। यानि देशभर में इस आयुवर्ग के कुल 12.1 प्रतिशत यानि लगभग हर 10वें व्यक्ति ने कि उनका स्वास्थ्य खराब है।
गंभीर बीमारी के अलावा विकलांगता भी थी शामिल
उम्र बढ़ने के साथ ही तरह-तरह की बीमारियां लोगों को घेर लेती हैं। जिसमें कुछ गंभीर बीमारियां शामिल होती हैं तो कुछ विकलांगता से संबंधित होती हैं। सर्वेक्षण में बुजुर्गों ने जिन बीमारियों के बारे में सबसे अधिक बताया, उनमें दृष्टि, श्रवण और चपलता की क्षमता तेजी से गिरावट का होना मुख्य रूप से शामिल रहा। इसके अलावा क्रोनिक पल्मोनरी और श्वसन संबंधी विकार, स्ट्रोक, कैंसर और मनोभ्रंश जैसे गैर-संचारी रोगों से भी उन्हें ग्रसित पाया गया। पांच प्रतिशत लोगों ने लोकोमोटिव हानि, तीन प्रतिशत ने दृश्य, दो प्रतिशत ने मानसिक, दो प्रतिशत ने श्रवण संबंधी गंभीर दिक्कतों के बारे में बताया। कर्नाटक और दादरा और नगर हवेली में विकलांग नागरिकों का अनुपात सबसे अधिक पाया गया।
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