नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने वाली महिलाओं की संख्या घटी | Number of women breastfeeding newborns decreased


 मेघालय, लक्ष्यद्बीप, केरल मिजोरम की स्थिति थोड़ी बेहतर

 पैदा होने के शुरूआती एक घंटे के दौरान शिशु के लिए लाभदायक होता है स्तनपान

पैदा होने के एक घंटे के दौरान नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार गिरावट रही है। देश में केवल मेघालय, लक्ष्यद्बीप, केरल और मिजोरम की स्थिति थोड़ी बेहतर है, जबकि बिहार, गुजरात, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली आदि के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के स्तनपान कराने के औसत में काफी कमी दर्ज की गई है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति इस मामले में थोड़ी बेहतर तो पर बहुत से राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों की स्थिति अच्छी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है। 


सर्वेक्षण में तीन साल तक के वो बच्चे शामिल किए गए, जिन्होंने पैदा होने के शुरूआती एक घंटे के दौरान स्तनपान किया है। इस सूची में टॉप में शामिल मेघालय के शहरी क्षेत्रों में जहां ऐसे बच्चों का औसत 70.8 प्रतिशत है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 79.9 प्रतिशत है। लक्ष्यद्बीप केरल भी ऐसी जगहें हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों की स्थिति थोड़ी बेहतर है। लक्ष्यद्बीप के शहरी क्षेत्रों में यह औसत 77.2 प्रतिशत है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 74 प्रतिशत है। केरल की स्थिति देखें तो शहरी क्षेत्रों में यह औसत 66.8 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इससे थोड़ा कम 66.6 प्रतिशत है। मिजोरम, सिक्कम, तेलंगाना, त्रिपुरा जैसे राज्य भी इसी क्षेणी में शामिल हैं। इन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की स्थिति भी थोड़ी बेहतर है। मिजोरम के शहरी क्षेत्रों में ऐसे बच्चों का औसत 61.5 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 58.6 प्रतिशत है। तेलंगाना के शहरी क्षेत्रों में यह औसत 38.8 ग्रामीण क्षेत्रों में 36 प्रतिशत है। 

जिन राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में इस औसत में तेजी से गिरावट आई है, उनमें बिहार, दादरा और नागर हवेली अंडमान द्बीप मुख्य रूप से शामिल हैं। बिहार के शहरी क्षेत्रों में जहां यह औसत 35.1 प्रतिशत है, वहीं ग्रामीण ईलाकों में महज 30.5 प्रतिशत है। दादरा और नागर हवेली अंडमान द्बीप के शहरी ईलाकों में 19.4 ग्रामीण ईलाकों में 31.8 प्रतिशत बच्चों ने ही जन्म के शुरूआती एक घंटे के दौरान मां का स्तनपानन किया। गुजरात जैसा राज्य भी इस मामले में काफी पीछे है। यहां शहरी ईलाकों में जहां इस श्रेणी में 34.4 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं, वहीं ग्रामीण ईलाकों में 39.9 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं। 

चिकित्सक कहते हैं कि नवजात बच्चे के लिए मां का दूध अनमोल होता है। पर पैदा होने के शुरूआती घंटों में यह नवजात के लिए और भी जरूरी होता है, क्योंकि अन्य तरह के तरल पदार्थ देने से बच्चे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। पर पैदा होने के एक घंटे के दौरान नवजात शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं की संख्या में गिरावट आने की वजह से नवजात बच्चों में संक्रमण का तो खतरा बढ़ ही रहा है बल्कि मौत का खतरा भी बढ़ रहा है। सर्वेक्षण के अनुसार अगर, शुरूआती घंटों में नवजात शिशुओं का स्तनपान कराया जाए तो इससे उनके बीच 16 प्रतिशत मौत के खतरे को कम किया जा सकता है। 

अगर, कोई महिला बच्चे के जन्म के कुछ घंटों के अंदर स्तनपान कराने से बचती है तो उन्हें भी कई प्रकार के खतरों से जूझना पड़ता है, जिनमें वजन, रक्तचाप, प्रसवोत्तर अवसाद, ह्दय रोग और हड्डियों से संबंधित समस्याएं प्रमुख रूप से शामिल रहती हैं। शोध से पता चला है कि माताओं और उनके बच्चों पर स्तनपान के महत्वपूर्ण पोषणों में मनोवैज्ञानिक, विकासात्मक, प्रतिरक्षा विज्ञानी, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभभहैं। अन्य महत्वपूर्ण लाभों में पोस्ट-पार्टुम रक्तस्राव और अधिक तेजी से गर्भाश्य शामिल करना, पूर्व-गर्भवती वजन में पहले वापसी, फिर से शुरू होने में देरी, बच्चे के अंतर में वृद्धि, डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर के जोखिम को कम करना भी शामिल हैं। 


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