शहरी लोगों में बढ़ता जा रहा मधुमेह का खतरा | Increasing risk of diabetes in urban people


बुजुर्गों के अलावा कम आयुवर्ग के लोग भी हैं मधुमेह के शिकार 

ग्रामीण के अलावा शहरी क्षेत्रों में बीमारी का है अधिक खतरा

शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में लगातार मधुमेह का खतरा बढ़ता जा रहा है। मुधमेह के शिकार लोगों में केवल 60 साल या उससे अधिक आयुवर्ग के लोग ही शामिल नहीं हैं, बल्कि उससे कम आयुवर्ग के लोग भी मधुमेह की गिरफ्त में रहे हैं। हालांकि, अधिक आयुवर्ग के मुकाबले कम आयुवर्ग के लोगों का औसत थोड़ा कम है। 60 साल या उससे अधिक आयुवर्ग के जहां 26.1 प्रतिशत लोग मधुमेह के शिकार हैं, वहीं 45 साल या उससे अधिक आयुवर्ग के 11.5 प्रतिशत लोग मधुमेह के शिकार  हैं। मुधमेह का खतरा ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में कहीं अधिक बना हुआ है। यह तथ्य केंद्रीय परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्बारा किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है। 



मंत्रालय ने यह रिपोर्ट अप्रैल 2017 से दिसंबर 2018 के बीच 72 हजार बुजुर्गों के बीच किए गए सर्वेक्षण के बाद तैयार की है। पिछले सप्ताह ही यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी राज्यों के अलावा केंद्र शासित प्रदेशों में मधुमेह जैसी बीमारी का तेजी से प्रसार हो रहा है। दिल्ली और पंजाब के 20 प्रतिशत बुजुर्गों 45 से 59 आयुवर्ग के 15 प्रतिशत से अधिक लोगों को मधुमेह की बीमारी है। रिपोर्ट बताती है कि देश के मध्य क्षेत्र में इस बीमारी का कम प्रसार देखने को मिला है। वहीं, उत्तर-पूर्वी राज्यों में से कई राज्यों में मधुमेह के रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। केरल में मधुमेह से पीड़ित लोगों की सबसे बड़ी संख्या थी। हालांकि, उत्तर-प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मध्य प्रदेश और बिहार में मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या कम है, जो लगभग 8 प्रतिशत के आसपास है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मधुमेह के गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव हैं, जिनके लिए शीघ्र निदान और पर्याप्त उपचार की आवश्यकता होती है। बहुत लोग पर्याप्त उपचार पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वजह दिक्कत और भी बढ़ती जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 45 वर्ष से अधिक आयु के तीन चौथाई से अधिक भारतीयों का मधुमेह का इलाज चल रहा था।

अनियमित जीवनौली से बढ़ रहा अधिक खतरा

शहरी क्षेत्रों में जिस प्रकार लोगों को अनियमित जीवनौली यापन करनी पड़ रही है, उससे वे तरह-तरह की बीमारी के शिकार तो हो ही रहे हैं, बल्कि मुधमेह भी आम बीमारी बनती जा रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मुधमेह तीसरी ऐसी बीमारी है, जिससे सबसे अधिक लोग प्रभावित हैं। 1990 से लेकर 2016 के बीच मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या में ढ़ाई गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और मृत्युदर में भी 3 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। मजे की बात यह है कि हर वर्ग के लोग इस बीमारी से संबंधित दवा ले रहे हैं, जिनमें अधिकतर संख्या 45 या उससे अधिक आयुवर्ग के लोग शामिल हैं। 

 


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