गरीबों के लिए उम्मीद की किरण बनी प्रधानमंत्री आवास योजना

 

 1,68,606 नए मकानों के निर्माण को भी मिली हरी झंडी

अब तक 1.1 करोड़ मकान हो चुके हैं मंजूर, बन चुके हैं 41 लाख से अधिक मकान

हर किसी का सपना होता है कि उसके पास अपना एक घर हो। पर आर्थिक रूप से कमजोर लोग अपने इस सपने का पूरा नहीं कर पाते हैं। उन्हें या तो टूटे-फूटे मकानों में रहना पड़ता है या फिर झुग्गी-झोपड़ियों में। ऐसे लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है, क्योंकि ऐसे लोगों के लिए मकानों के निर्माण को निरंतर मंजूरी मिल रही है। इसी के तहत गुरुवार को 1,68,606 नए मकानों के निर्माण को भी मंजूरी दे दी गई है। शहरी विकास मंत्रालय की कोशिश है कि अगले साल तक अब तक मंजूर हो चुके मकानों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाए। 



बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) केंद्र सरकार द्बारा संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से अलग हटकर एक संचालित योजना है, जिसका शुभारंभ 25 जून 2015 को किया गया था। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने 2022 तक देश में सभी लाभार्थियों को पक्के मकान बनाकर देने का लक्ष्य रखा है। देश अगले साल यानि 2022 में स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने वाला है, इसीलिए इस योजना के तहत सभी के लिए घर की परिकल्पना की गई है। केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत गुरुवार को केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति की 52वीं बैठक में मंजूर किये गये 168,606 मकानों सहित अब तक कुल 1.1 करोड़ मकानों के निर्माण को मंजूरी दी जा चुकी है। योजना के तहत 70 लाख से अधिक मकानों का निर्माण विभिन्न चरणों में है और 41 लाख से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। 

20 जनवरी 2020 को आयोजित बैठक में 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने हिस्सा लिया। राज्यों की हिस्सेदारी इसीलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लाभार्थियों के लिए ये आवास किफायती दरों पर झुग्गी बस्ती यथा स्थान पुनर्विकास योजना के तहत साझीदारी से बनाए जा रहे हैं। राज्यों ने पर्यावरण से जुड़े कारणों की वजह से भूमि के आकार में होने वाले बदलाव, अंतर शहरी विस्थापन और अलग-अलग तरह के लाभार्थियों के लिए तय की गई प्राथमिकताओं में परिवर्तन आदि कारणों से प्रस्तावित योजना की पुनर्समीक्षा करने का प्रस्ताव किया है। 

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वो इस योजना को तेजी के साथ लागू करें। उन्होंने कहा कि योजना के तहत निर्माण कार्य स्थिर गति से चल रहे हैं। हमें भौतिक और सामाजिक अवसंरचनाओं के साथ इन मकानों का निर्माण जल्दी करना है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह भी कहा गया है कि वे सस्ती दरों पर किराए के मकान उपलब्ध कराने की योजना (एआरएचसीएस) को भी लागू करने में तेजी लाएं।

यूपी की लाइटहाउस परियोजना से सीख लें केंद्र शासित प्रदेश  

उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्बारा लागू की गई लाइट हाउस योजना की केंद्र सरकार भी मुरीद है। इसीलिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि उन्हें उत्तर-प्रदेश में चल रही लाइटहाउस योजना से सीख लेनी चाहिए। बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ  के 1040 शहरी गरीबों को केवल पौने पांच लाख में 415 स्क्वायर फिट एरिया का फलैट सौंपेंगे। इसकी कुल कीमत 12 लाख 59 हजार होगी, इसमें केंद्र और प्रदेा सरकार की ओर से 7 लाख 83 हजार रूपए अनुदान के रूप में दिए जाएंगे। हालांकि लखनऊ के अलावा त्रिपुरा में अगरतला, झारखंड में रांची, मध्य प्रदेश में इंदौर, गुजरात में राजकोट और तमिलनाडु में चेन्नई जैसे शहरों में भी यह योजना शुरू की गई है। 


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