कपड़ा बाजार में पैर जमाने के लिए आधुनिक तकनीक जरूरी : नायडू

 

 एईपीसी के उद्घाटन अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कही यह बात

 छोटी कंपनियां अभी भी पुरानी तकनीक का कर रहीं इस्तेमाल

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने वस्त्र निर्यात और वैश्विक कपड़ा बाजार में पैर जमाने के लिए श्रमिकों के कौशल विकास और आधुनिक तकनीक अपनाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे पास कच्चा माल और मानव संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, फिर भी हम वैश्विक कपड़ा निर्यात में काफी पीछे हैं, क्योंकि कपड़ा बनाने वाली छोटी कंपनियां अभी भी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।



उपराष्ट्रपति ने यह बात गुरुवार  को वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के वर्चुअल प्लेटफार्म का उद्घाटन करते हुई कही। उन्होंने कहा कि जब तक औसत दर्जे की कपड़ा निर्माण इकाइयां नई प्रौद्योगिकी और कुशल मानव संसाधन का इस्तेमाल नहीं करतीं, तब तक हम विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतों वाले गुणवत्ता उत्पाद नहीं बना पाएंगे। नई तकनीक और मानव संसाधनों के कौशल विकास के जरिए ही कपड़ा क्षेत्र की आर्थिक क्षमताओं और रोजगार के अवसरों का पूरा लाभ उठाना संभव हो पाएगा। उन्होंने संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (एटीयूएफएस) को छोटी कंपनियों के लिए उत्कृष्ट योजना बताया और कहा कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में छोटी कंपनियों को इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए, क्योंकि यह एक सराहनीय पहल हो सकती है और दुनियाभर में भारतीय परिधान निर्यात को बढ़ावा देने में लंबे समय तक मदद्गार भी साबित होगा।

केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि परिधान क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती श्रम शक्ति भागीदारी महत्वपूर्ण है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा महिलाएं हमारे प्रतिभा पूल का 50 प्रतिात हिस्सा हैं। उचित प्रोत्साहन और प्रशिक्षण दिए जाने की स्थिति में वह और भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। 

4 करोड़ 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है कपड़ा उद्योग

कपड़ा उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है, जो लगभग 4 करोड़ 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है। यह भारत के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला उद्योग भी है, जो देश के निर्यात आय में लगभग 12 प्रतिशत का योगदान करता है। तकनीकी कपड़ा जैसे उभरते क्षेत्र में कपड़ा उद्योग के लिए प्रचुर संभावनाएं हैं, जिसके जरूरी है कि कपड़ा उद्यमियों को बढ़ते वैश्विक बाजार में अवसर तलाशने की जरूरत है। उम्मीद की जा रही है कि 2022 तक इस तकनीकी बाजार के 220 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की पूरी संभावना है।

वैश्विक कपड़ा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना जरूरी

वैश्विक कपड़ा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मात्र 6 फीसदी है, जिससे बढ़ाने की आवयकता पर विशेष बल दिया जा रहा है। विशेषज्ञों की राय है कि यह हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कपड़ा निर्माण करने वाली छोटी इकाइयों को आर्थिक मदद दी जानी चाहिए ताकि वे ऐसे उत्पाद बना सकें, जो विव स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों। 


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