इस राज्य में हुई सामान्य से 10 गुना अधिक बारिश
लाखों एकड़ फसलें हुईं जलमग्न
1 से 17 जनवरी के बीच हुई बारिश
भले ही, साल के पहले महीने यानि इस जनवरी में उत्तर भारत ठंड से ठिठुरता रहा हो और कुछ ही ईलाकों में सामान्य वर्षा हुई हो, पर दक्षिण भारत के कई ईलाके बारिश से प्रभावित रहे। खासकर, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में जमकर बारिश हुई है। 1 जनवरी से 17 जनवरी के बीच यहां असामान्य बारिश रिकॉर्ड की गई है। आलम यह रहा कि तमिलनाडु में सामान्य से औसतन 10 गुना अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है।
उल्लेखनीय है कि भारत में मानसून के दौरान सबसे अधिक वर्षा होती है। जिनमें जून से लेकर अगस्त-सितंबर तक का समय रहता है। मानसून की बारिश लगभग देश के सभी हिस्सों में होती है, पर सर्दी के सीजन में कम ही बारिा रिकॉर्ड की जाती है। पर इस बार दक्षिण भारत में जनवरी में अब तक हुई असामान्य वर्षा ने मौसम वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है। मौसम विभाग के आकड़ों के अनुसार तमिलनाडु के कुछ ही जिले नहीं, बल्कि सभी 38 जिले भारी वर्षा की जद में रहे। किसान संघ से जुड़े प्रतिनिधियों की मानें तो राज्य में इस दौरान कुल 25 लाख एकड़ फसलें जलमग्न हो गईं। राज्य में 16 जिले तो ऐसे रहे हैं, जिनमें सामान्य से 10 गुना से भी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि तिरुप्पूर जिले में सामान्य से लगभग 20 गुना अधिक बारिश हुई।
उधर, केरल के कासरगोड और मलप्पुरम जिलों में सबसे अधिक बारिश हुई, जहां बारिश सामान्य से 100
गुना अधिक थी। राज्य के अन्य जिलों में कम बारिश रिकॉर्ड की गई। दक्षिण भारत के एक अन्य राज्य कर्नाटक में कुछ ही जिलों में बारिश हुई, जो सामान्य थी, लेकिन कुछ जिले ऐसे भी रहे, जहां बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई।
बारिश के लिए स्ट्रैटोस्फेरिक वार्मिंग रहा जिम्मेदार
सर्दियों में इतनी अधिक बारिश होना असामान्य है, पर यह जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे को भी दर्शाता है। सामान्य बारिश फसल के लिए अच्छी होती है पर जब जरूरत से अधिक बारिश होती है तो वह नुकसानदेह ही साबित होती है। मौसम वैज्ञानिक इस अधिक बारिश के लिए आर्कटिक क्षेत्र में अचानक स्ट्रैटोस्फेरिक वार्मिंग (एसएसडब्ल्यू) को जिम्मेदार मान रहे हैं। स्ट्रैटोस्फेरिक वार्मिंग यानि समताप सीमा वायुमंडल की वह परत होती है, जो क्षोभ मंडल के ऊपर होती है और लगभग 90 किलोमीटर ऊंचाई पर आयन मंडल तक फैली होती है। हालांकि, यह ऊंचाई ऋतु के अनुसार थोड़ी बहुत परिवर्तित होती रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार 5 जनवरी को आर्कटिक क्षेत्र में हजारों किलोमीटर दूर और पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर ऊपर एक समताप मंडल वार्मिंग घटना हुई, जिसके परिमाम स्वरूप इतनी अधिक वर्षा हुई। उन्होंने कहा कि यह उपग्रह नेविगेशन और अन्य अंतरिक्ष-आधारित घटनाएं मानव प्रयासों के लिए चिता का कारण हैं।
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