चुनावी हार के बाद मुख्य सचिव प्रकरण में भी हुई केंद्र की फजीहत

  चुनावी संग्राम के बाद पश्चिम बंगाल एक बार फिर चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाढ प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण के बाद हुई बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्बारा शामिल होने से इनकार करने की बात हो या फिर अब केंद्र सरकार द्बारा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देकर दिल्ली रिपोर्ट करने की बात। पूरे देश में इन मुद्दों की जितनी चर्चा हो रही है, फजीहत केंद्र की हो रही है, क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम में जहां केंद्र की मोदी सरकार के निर्यणों में झल्लाहट की बू रही है, वहीं, ममता के फैसलों में उतनी ही स्पष्टवादिता..... 

मोदी सरकार के खिलाफ उनकी मुखर आवाज में पहले भी ऐसी ही स्पष्टवादिता देखने को मिलती रही है। भले ही, केंद्र की बीजेपी सरकार और उसकी पूरी टीम द्बारा ममता को हराने के लिए हर तरह के हथकंड़े क्यों अपनाएं गए हों। केंद्र और बीजेपी की पूरी टीम ने राष्ट्रवाद के नाम पर बंगाल के गढ को फतह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन ममता ने बीजेपी और उसकी टीम के खिलाफ घायल शेरनी तरह लड़ाई लड़ी और जीत का सेहरा स्वयं के माथे पर बांधा। और राहुल गांधी को पप्पू-पप्पू कहकर कोसने वाले मोदी जी स्वयं पप्पू बनकर यह सब देख रहे हैं.... 



इन हालातों के बाद भी अगर, मोदी सरकार सबक लेने के बजाय ममता के खिलाफ बायस होकर निर्णय लेती जा रही है तो यह मोदी सरकार के लिए ही आत्मघाती साबित हो रहा है, जबकि ममता दीदी का कद और भी बेहतर हो रहा है। जब ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पश्चिम बंगाल के हवाई सर्वेक्षण के बाद ली गई समीक्षा बैठक में शामिल होने से साफ इनकार किया तो भी ममता को इस बात के लिए घेरा गया कि उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, लेकिन मोदी जी स्वयं अपने पुराने दिनों को भूल गए। पूरा देश जानता है कि गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में रहने के दौरान उन्होंने कई बार डा. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए इस तरह के प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया। इसीलिए यहां भी मोदी की कार्यौली पर ही सवाल उठता है।

आप करें तो जायज। दूसरा करे तो नजायज। 

यह कहां का न्याय है। 

इस घटनाक्रम को भले ही हम सियासी संग्राम का हिस्सा मानें, पर प्रदेश के मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय के मामले को किस रूप में देखें। वैसे तो, इस मामले में सियासी रंग नहीं दिखना चाहिए था, लेकिन केंद्र ने इस मामले में भी ममता को झटका देने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर असल में झटका तो स्वयं मोदी सरकार को ही लग गया। 

दरअसल, केंद्र ने ममता के प्रस्ताव पर ही अलपन बंधोपाध्याय को तीन माह का सेवा विस्तार दिया था। उनके लिए तीन माह का सेवा विस्तार मांगने के पीछे ममता बनर्जी ने कई मुद्दों का हवाला दिया था। पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 31 मई को रिटायर होने वाले थे कि केंद्र सरकार ने उससे पहले ही उनका 3 महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया था और दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा था, पर बंदोपाध्याय तो दिल्ली नहीं गए पर उनकी जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिट्ठी जरूर केंद्र को मिल गई, जिसमें ममता ने कहा कि ऐसेे मुश्किल समय में पश्चिम बंगाल की सरकार अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती। यानि ममता का साफ संदेा यह था कि वह कोविड और बाढ जैसे हालातों में बदोपाध्याय को दिल्ली नहीं भेजना चाहतीं, इसीलिए केंद्र अपने आदेा पर विचार करे। 

अलपन को लेकर केंद्र और ममता के बीच टकराव की स्थिति में भी गेंद ममता के पाले में ही रही। इधर, अलपन ने रिटायर्डमेंट लिया तो उधर, ममता ने उन्हें अपना मुख्य सलाहाकार बनाने में देर नहीं की। यानि यहां भी मोदी सरकार को मुंह की ही खानी पड़ी।

दरअसल, जिस अलपन को दिल्ली बुलाकर केंद्र की मोदी सरकार ममता को कमजोर करना चाहती थी, उसको भुनाने में जिस तरह ममता ने दिलेरी दिखाई, वह केंद्र के मुंह पे तमाचा तो है ही बल्कि उनकी राजनीतिक निर्णय लेने हर परिस्थिति में लड़ने की कुशलता भी है। बकायदा, उन्होंने केंद्र द्बारा अलपन को दिल्ली बुलाए जाने का खुलकर विरोध किया और कहा-केंद्र किसी अधिकारी को राज्य सरकार की सहमति के बिना जॉइन करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिटलर, स्टालिन जैसे तानाशाहों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।' इससे पहले जब ममता ने सोमवार को तूफान से हुए नुकसान को लेकर एक समीक्षा बैठक की, इस दौरान उन्होंने कहा मैंने चक्रवात प्रभावित दीघा का दौरा किया। यहां अलपन बंद्योपाध्याय की जिम्मेदारी है। मछुआरों के मुआवजे के बारे में सोचा जाना चाहिए। इस बैठक में स्वयं बंद्योपाध्याय भी मौजूद रहे। 

यहां बंद्योपाध्याय के कदम की भी सराहना की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने जिस तरह केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर रिटायरमेंट लेना बेहतर समझा, वह एक नौकरशाह का केंद्र को एक संदेश भी है कि वो नौकरशाहों को अपने हाथ की कटपुतली समझें कि जब चाहे तब उन्हें तलब कर लिया जाए। क्योंकि इस पूरे प्रकरण में केंद्र का बायस रूप इसीलिए भी झलकता है क्योंकि जब अलपन लंबे समय से बंगाल को सेवाएं दे रहे हैं और राज्य के सबसे बड़े अधिकारी हैं और राज्य बाढ़ और कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में, केंद्र ने राज्य के प्रस्ताव पर उन्हें तीन माह का एक्सटेंशन भी दिया तो उन्हें बंगाल में ही काम करने की इजाजत देनी चाहिए थी। उन्हें महज तीन माह के लिए दिल्ली तलब करने का कोई मतलब नहीं बनता था। केंद्र भले ही, ममता से बैर रखती हो, लेकिन एक अधिकारी पर उसका गुस्सा नहीं उतारना चाहिए, क्योंकि इसका नुकसान राज्य के लोगों को भी भुगतना पड़ता है। अब इस मामले को लेकर भले ही केंद्र सरकार ममता पर अंहकारी होने का आरोप लगाए, पर कुल मिलाकार केंद्र को ममता के गढ़ में एक बार नहीं बल्कि बार-बार मुंह की ही खानी पड़ रही है। 

इन सब घटनाक्रम के बीच बीजेपी का हिंदू राष्ट्रवाद का ढकोसला भी अस्त की तरफ बढ़ रहा है, जबकि ममता का कद बंगाल के अलावा पूरे देश में भी बढ़ने लगा है। ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में ममता राष्ट्रीय राजनीति के बड़े चेहरे के रूप में सामने सकती हैं, क्योंकि विपक्ष जिस तरह कमजोर पड़ा हुआ है, वैसे में मोदी के खिलाफ लड़ाई में ममता सबसे अधिक कारगर साबित हो सकती है। बंगाल के घटनाक्रम को लेकर पूरे विपक्ष के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ममता के समर्थन में उतर आए हैं, उससे भी जाहिर होता है कि ममता का समर्थन बढ रहा है। दरअसल, केजरीवाल ने बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाए जाने के मामले का जिक्र अपने ट्वीट में एक न्यूज पेपर की कटिंग के जरिए किया था। उन्होंने लिखा था- ये समय राज्य सरकारों से लड़ने का नहीं, सबके साथ मिलकर कोरोना से लड़ने का है। ये समय राज्य सरकारों की मदद करने का है। ये समय राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करवाने का है। सभी राज्य सरकारों को एक साथ लेकर टीम इंडिया बनकर काम करने का है। लड़ाई-झगड़े और राजनीति के लिए पूरी जिद्गी पड़ी है। यानि, केजरीवाल ने अपने इस बयान में केंद्र को पूरी तरह आड़े हाथों लिया है। ऐसे में, आने वाले दिनों में परिस्थितियां ममता के पक्ष में और भी मजबूत होंगी, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। 


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