बढ़ता ई-कचरा बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए बना खतरा
- World Heath Organization (WHO) की ग्राउंड रिपोर्ट में खुलासा
- सुरक्षा उपायों का प्रभावी तरीके से करना होगा लागू
बढ़ता e-waste मानवजाति के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। खासकर, बच्चे, किशोर और महिलाएं तो इसके सबसे अधिक प्रभाव में हैं, क्योंकि ऐसे कचरा निस्तारण क्षेत्रों में मुख्यतया बच्चे, किशोर व महिलाएं ही काम करती हैं। यह तथ्य World Heath Organization यानि WHO की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट में इससे पैदा होने वाले खतरों को इंगित करने के साथ ही इसके खिलाफ सुरक्षा उपायों को प्रभावी तरीके से लागू करने का आह्वान भी किया गया है, जिससे लाखों बच्चों, किशोरों और महिलाओं का जीवन खतरे में पड़ने से बच सके।
एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में अनौपचारिक कचरा क्षेत्र में कम से कम
12.9 मिलियन महिलाएं काम कर रही हैं, जो संभावित रूप से उन्हें जहरीले ई-कचरे के संपर्क में लाती हैं और उन्हें और उनके अजन्मे बच्चों को खतरे में डालती हैं। वहीं, 18
मिलियन से अधिक ऐसे बच्चे और किशोर हैं, जिनमें अधिकांश पांच साल से भी कम आयुवर्ग के हैं, ये बच्चे भी अनौपचारिक औद्योगिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। बच्चे अक्सर माता-पिता या देखभाल करने वालों के साथ e-waste रीसाइक्लिंग आदि के कार्यों में सामान्य रूप से लगे रहे हैं, क्योंकि उनके छोटे हाथ वयस्कों की तुलना में अधिक कुशल होते हैं। जो बच्चे स्कूल जाते हैं और ई-कचरे के पुनर्चक्रण केंद्रों के पास खेलते हैं, उन पर इसका खतरा बना रहता है, क्योंकि यहां उच्च स्तर के जहरीले रसायन, ज्यादातर सीसा और पारा होता है, जो बच्चों के बौद्धिक क्षमताओं को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ई-कचरे के संपर्क में आने वाले बच्चे अपने छोटे आकार, कम विकसित अंगों और विकास और विकास की तीव्र दर के कारण उनमें मौजूद जहरीले रसायनों के प्रति विशेष रूप से बेहद संवेदनशील होते हैं। वे अपने आकार के सापेक्ष अधिक प्रदूषकों को अवशोषित करते हैं और अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों का चयापचय या उन्मूलन करने में कम सक्षम होते हैं। कुल मिलाकर, मानव स्वास्थ्य पर ई-कचरे का प्रभाव तांबे और सोने जैसी मूल्यवान सामग्री को पुन:प्रा’ करने का लक्ष्य रखने वाले श्रमिकों को सीसा, पारा, निकल, ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिर्टोंट्स और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) सहित
1,000 से अधिक हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने का खतरा बना रहता है। इसका खतरा इतना बढ़ गया है कि एक अंतरराष्ट्रीय मंच ने दुनिया को हाल ही में ’’ई-कचरे की सुनामी’’ के रूप में वर्णित किया है।
इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा
रिपोर्ट के अनुसार ई-कचरे से जुड़े अन्य प्रतिकूल बाल स्वास्थ्य प्रभावों में फेफड़े के कार्य में परिवर्तन, श्वसन और श्वसन प्रभाव, डीएनए क्षति, बिगड़ा हुआ थायरॉयड कार्य और जीवन में और बाद में कुछ पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि कैंसर और हृदय रोग आदि भी। डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ मैरी-नोएल ब्रुने ड्रिसे के अनुसार, एक बच्चा जो घाना में एक अपशिष्ट स्थल, एग्बोगब्लोशी से सिर्फ एक मुर्गी का अंडा खाता हैै, वह यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की दैनिक सीमा से
220 गुना अधिक क्लोरीनयुक्त डाइऑक्सिन के सेवन को अवशोषित करेगा।’’ अनुचित e-waste प्रबंधन इसका कारण है। उन्होंने कहा कि यह एक बढ़ता हुआ मुद्दा है, जिसे कई देश अभी तक एक स्वास्थ्य समस्या के रूप में नहीं पहचानते हैं। यदि, वे अभी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इसके प्रभाव बच्चों पर विनाशकारी स्वास्थ्य प्रभाव डालेंगे और आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र पर भारी बोझ डालेंगे।
पांच वर्षों में 21 प्रतिशत बढ़ा ई-कचरा
तकनीकी विकास के साथ-साथ e-waste की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति दुनिया के कुछ ही देशों में नहीं है, बल्कि अधिकांश देशों की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है। ग्लोबल ई-वेस्ट स्टैटिस्टिक्स पार्टनरशिप (जीईएसपी) के आकड़ों के मुताबिक
2019 में करीब
53.6 मिलियन मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पन्न हुआ, जो वजन 350
क्रूज जहाजों के बराबर था, यह कचरा करीब 125
किमी लंबी लाइन बनाने के बराबर था। आकड़ों के मुताबिक
2019 में उत्पादित ई-कचरे का केवल
17.4 प्रतिशत ही औपचारिक प्रबंधन या पुनर्चक्रण सुविधाओं तक पहुंचा। जीईएसपी के अनुमानों के अनुसार, बाकी को अवैध रूप से कम या मध्यम आय वाले देशों में डंप किया गया था, जहां इसे अनौपचारिक श्रमिकों द्बारा पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण की रक्षा और जलवायु उत्सर्जन को कम करने के लिए ई-कचरे का उचित संग्रह और पुनर्चक्रण महत्वपूर्ण है। अगर, ऐसा नहीं किया गया तो इस तरह का खतरा आगे भी बना रहेगा, क्योंकि कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग अब और भी तेजी से हो रहा है।
सुरक्षा उपाय प्रभावी तरीके से हों लागू
WHO की रिपोर्ट में बच्चे और डिजिटल डंपसाइट्स निर्यातकों, आयातकों और सरकारों द्बारा ई-कचरे के पर्यावरण की दृष्टि से उचित निस्तारण, श्रमिकों व उनके परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी और बाध्यकारी कार्रवाई का आह्वान किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों और महिलाओं के बीच जहरीले जोखिम के निदान, निगरानी और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र की क्षमता का निर्माण करके, अधिक जिम्मेदार लोगों के संभावित सह-लाभों के बारे में जागरूकता का बढ़ाना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट के अनुसार बच्चों और किशोरों को स्वस्थ वातावरण में बढ़ने और सीखने का अधिकार है और बिजली और इलेक्ट्रॉनिक कचरे और इसके कई जहरीले घटकों के संपर्क में आने से निश्चित रूप से उस अधिकार पर असर पड़ता है, इसीलिए जितनी जागरूकता बढ़ाई जाएगी, इसका खतरा उतना ही कम होता जाएगा।
आपको बता दें कि e-waste और बाल स्वास्थ्य पर WHO की पहल,
2013 में शुरू हुई थी, जिसका मकसद e-waste के स्वास्थ्य प्रभावों के साक्ष्य, ज्ञान और जागरूकता तक पहुंच बढ़ाना है। जोखिम प्रबंधन और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र की क्षमता में सुधार, प्रगति को ट्रैक करना और ई-कचरा नीतियों को बढ़ावा देना है, जो बाल स्वास्थ्य की बेहतर सुरक्षा करते हैं और ई-कचरे के संपर्क की निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले हस्तक्षेपों की सुविधा में सुधार पर जोर देते हैं।
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