क्या रेमडेसिविर का बढ़ गया है 10 गुना उत्पादन ?

 

 एक तरफ, जहां देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी नहीं थम रही है, वहीं केंद्र सरकार का दावा है कि वर्तमान में रेमडेसिविर के उत्पादन में 10 गुना बढ़ोतरी हो गई है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह इसीलिए सुनिश्चित किया जा रहा है, क्योंकि इससे कोविड-19 के उपचार में काम आने वाली दवाओं की आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन बन सके। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक 21 अप्रैल से 30 मई 2021 के बीच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को रेमडेसिविर के 98.87 लाख इंजेकन आवंटित किए गए। वहीं, 11 से 30 मई 2021 के बीच राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को एम्फोटेरिसिन-बी के 2 लाख 70 हजार 60 इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं। 

Remdesivir 

केन्द्रीय मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा के अनुसार कोविड-19 से संबंधित दवाओं की उपलब्धता की लगातार समीक्षा की जा रही है, यही वजह है कि सरकार के निरंतर घरेलू उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के चलते देशभर में कोविड उपचार में काम आने वाली दवाओं की आपूर्ति-मांग में अब संतुलन कायम हो गया है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि 21 अप्रैल से 30 मई, 2021 के बीच राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को रेमडेसिविर के 98.87 लाख इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं। मांग की तुलना में पर्याप्त आपूर्ति के लिए रेमडेसिविर के उत्पादन को 10 गुना बढ़ा दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्पादन बढ़ने के साथ ही, हम जून के अंत तक 91 लाख इंजेक्शनों की आपूर्ति की योजना बना रहे हैं। वहीं, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सिप्ला ने 25 अप्रैल से 30 मई-2021 तक टोसिलिजुमैब के 400 एमजी के 11,000 इंजेक्शन और 80 एमजी के 50,000 इंजेक्शन आयात किए गए हैं। इसके अलावा, एमओएचएफडब्ल्यू को मई में 400 एमजी के 1002 इंजेक्शन और 80 एमजी के 50,024 इंजेक्शन दान के रूप में प्राप्त हुए हैं। वहीं, उन्होंने 80 एमजी के 20,000  इंजेक्शन और 200 एमजी के 1,000 इंजेक्शन जून में पहुंचने की संभावना भी जताई।

मंत्री के अनुसार एम्फोटेरिसिन-बी के लगभग 2 लाख 70  हजार 060 इंजेक्शन 11 मई से 30 मई- 2021 के बीच राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय संस्थानों को आवंटित कर दिए गए हैं। इसके अलावा विनिर्माता कंपनियों द्बारा बनाए गए 81 हजार 651 इंजेक्शनों की आपूर्ति मई के पहले सप्ताह में राज्यों को की गई थी। उन्होंने कहा कि कोविड के उपचार में काम आने वाली डेक्सामेथैसोन, मिथाइलप्रेडनिसोलोन, एनोक्सापैरिन, फैविपिराविर, आइवरमेक्टिन, डेक्सामेथेसोन टैबलेट जैसी अन्य दवाओं के उत्पादन, आपूर्ति और भंडारण की स्थिति की साप्ताहिक आधार पर समीक्षा भी की जा रही है। वर्तमान परिस्थितियों में उत्पादन बढ़ गया है और मांग पूरी करने के लिए स्टॉक भी उपलब्ध है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार दवाओं की मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा और नए विनिर्माताओं के साथ कोविड-19 के उपचार में काम आने वाली दवाओं की उपलब्धता की लगातार समीक्षा कर रही है।

पर केंद्र सरकार के इन दावों के बीच जिस तरह रेमडेसिविर की कालाबाजारी अभी भी हो रही है और देा के विभिन्न हिस्सों में कालाबाजारी के मामलों में गिरफ्तारियां हो रही हैं, उसको लेकर कहीं न कहीं यह सवाल उठता है कि शासन और प्रशासन पूरी तरह से कालाबाजारी रोकने में सफल नहीं हुआ है, इसका नतीजा यह हो रहा है कि जिनके परिजनों को रेमडेसिविर इंजेकन की जरूरत पड़ रही है, उन्हें इसकी भारी कीमत तो चुकानी ही पड़ रही है, बल्कि कई बार तो हालात ऐसे भी बन रहे हैं कि जरूरत पड़ने पर कई लोगों को तो रेमडेसिविर उपलब्ध भी नहीं हो पा रही है। यह, वास्तव में बहुत ही चिंताजनक विषय है। ऐसे में, सरकार का यह दावा कितना सही है, इसकी सच्चाई आने वाले दिनों में तब सामने आएगी, जब कोई भी पीड़ित रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर नहीं दिखाई देगा।

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