बजट में हर बार क्यों अछूता रह जाता है मध्य वर्ग....?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया, जिसको लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रहीं हैं। मध्य वर्ग इससे खासा नाराज नजर आ रहा है, क्योंकि मध्यवर्ग के लिए बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे वह खुश हो सके। खासकर, आम मध्यम वर्ग करदाता के लिए बजट मायूसी भरा रहा। इस बजट में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए सरकार की झोली से कुछ नहीं निकला है। मध्यवर्ग के बीच यही चर्चा है कि बजट कोई भी हो, या तो अमीरों के लिए होता है या फिर गरीबों के लिए। मिडल क्लास के लिए कुछ नहीं होता है और अन्य बजटों की ही तरह इस बार भी यही हुआ है। वहीं, पेट्रोल—डीजल की मार से जूझे रहे मध्यम वर्ग के लोगों को सरकार द्वारा राहत दिए जाने के बजाय झटका ही दिया गया है, क्योंकि घरेलू उपयोग के सामानों व गैस सिलेंडर सहित खाने पीने की चीजों की कीमतों पर अंकुश लगाने का बजट में कोई उपाय नहीं किया गया है, यह स्थिति तब है, जब मध्यमवर्ग लंबे समय से महंगाई की मार झेल रहा है। व्यापारी या आम जनता के लाभ की बात बजट में नहीं होना निश्चित ही चिंता का विषय है। तमाम योजनाओं की बात की जा रही है, देश को विश्व के मानचित्र पर लाने और अन्य देशों के श्रेणी में खड़ा करने के सारे उपाय किये गये हैं, लेकिन मध्यम वर्गीय लोगों को कहीं राहत नहीं दी गयी है। कुल मिलाकर इस बजट से आम जनता को महंगाई से निपटने में कामयाबी नहीं मिलेगी। व्यापारियों और आम जनता ने सरकार का साथ दिया, ऐसी स्थिति में सरकार की तरफ से भी आम जनता के हित के लिए कोई न कोई कदम उठाया जाना चाहिए था। हर बार मध्यम वर्ग, छोटा व्यापारी सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखता है, लेकिन आखिर में उसके हाथ मायूसी ही लगती है। शायद, सरकार भी यह सोचती होगी कि मिडिल वर्ग हमारे किस काम का। उसे निम्न और अमीर वर्ग के लिए इसीलिए सोचना पड़ता है, क्योंकि निम्न वर्ग उसका वोट बैंक होता है और अमीर वर्ग पार्टियों की तिजोरी भरता है। सरकार ने संसाधनों के विकास पर विशेष फोकस किया है, यह जरूरी भी है, क्योंकि देश के विकास के लिए संसाधनों का विकास जरूरी है। पर क्या सरकार को मिडिल वर्ग के बारे में नहीं सोचना चाहिए ? कमरतोड़ महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी के बीच उसका क्या होगा ? पिछले कई वर्षों में न केवल महंगाई ने इतना आसमान छुआ है, बल्कि बेरोजगारी भी उसी अनुपात में बढ़ रही है। हैरानी की बात यह कि इस सरकार ने अपने कार्यकाल में बेरोजगारी दूर करने के संबंध में कोई कदम नहीं उठाए हैं। इन हालातों के बीच भी अगर सरकार कोई राहत न दे तो मध्यवर्ग का नाराज होना लाजिमी है। आखिर वह जाए तो कहां जाए ? बजट में टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। व्यक्तिगत करदाताओं के लिए बुनियादी छूट की सीमा में आखिरी बार बदलाव 2014 में हुआ था। उसके बाद सरकार ने इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। इस बार मध्य वर्ग को कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने से उसकी उम्मीदों को झटका लगा है। जो हालात दिख रहे हैं, उसमें उसके लिए एडजेस्ट करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है
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