2026 तक शहरों से गायब हो जाएंगे कूड़े के पहाड़

शहरों से निकलने वाले 76% कचरे का हो रहा निस्तारण, जल्द 100 प्रतिशत तक पहुंचने का लक्ष्य   

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत अक्टूबर 2024 तक 1000 शहरों को 3 स्टार गार्बेज सिटी बनाने का लक्ष्य


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में भारत को स्वच्छ बनाने का जो संकल्प लिया, वह अब साकार होता दिख रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के नौ वर्ष पूरे होने से पहले ही स्वच्छता की दृष्टि से भारत की तस्वीर बदलती दिख रही है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत भारत अब स्वच्छता की नई इबारत लिखने जा रहा है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व में मिशन के तहत 2026 तक भारत के सभी शहरों से कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत अक्टूबर 2024 तक 1000 शहरों को 3 स्टार गार्बेज सिटी बनाने का लक्ष्य भी तय किया गया है।


बताते चलें कि स्वच्छ भारत मिशन के नौ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। साल दर साल यह मिशन जनभागीदारी सुनिश्चित कर स्वच्छता की नई कहानी लिख रहा है। बात खुले में शौच से मुक्त भारत बनाने की हो, कूड़े के पहाड़ खत्म करने की हो या फिर कचरे से कंचन की दिशा दिखाने की हो। देश हर मोर्चे पर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। जी20 के भव्य आयोजन और भारत की सफलता के साथ वैश्विक पटल पर देश की तारीफ में स्वच्छ भारत मिशन का भी बड़ा योगदान रहा। 

स्वच्छ भारत मिशन की सफलता कूड़े के पहाड़ों को समाप्त करने की दिशा में भी अहम है। दिल्ली के गाजीपुर के पास का लैंडफिल साइट हो या फिर देश के अन्य शहरों में स्थित ऐसे ही कूड़े के पहाड़, उनके निस्तारण के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली हो या फिर बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने वाले महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे दूसरे शहर, हर जगह कूड़े के पहाड़ कहलाने वाले पुराने कचरे का बोझ उठा रहे लैंडफिल साइट्स को खत्म किया जा रहा है। कई शहरों में तो लैंडफिल को खत्म करने के बाद उनके स्थान पर सुंदर पार्क तक विकसित कर दिए गए हैं। कभी मिश्रित कचरा कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ाने का कारण बनता था, वर्तमान समय में स्रोत पर ही गीले और सूखे समेत विभिन्न श्रेणियों में कचरे का पृथक्करण किया जा रहा है। इस तरह से आज रोजाना देशभर के शहरों से निकलने वाला 76% कचरे का निस्तारण हो रहा है। साथ ही 2026 तक 100 प्रतिशत कचरे का निस्तारण सुनिश्चित करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। 

स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का ही परिणाम है कि जिन गली मोहल्लों में नुक्कड़ों पर कचरे के ढेर लगे रहते थे, अब उन स्थानों को पौधे और वॉल पेंटिंग के जरिए सुंदर और स्वच्छ जगहों में तब्दील किया जा चुका है। कभी कूड़ाघर पर कचरा फेंकने जाना होता था, आज हर घर से कचरा इकट्ठा करने वाहन पहुंचता है और ज्यादातर कूड़ाघर लगभग खत्म हो चुके हैं। कचरे को न सिर्फ खत्म किया जा रहा है, बल्कि दोबारा इस्तेमाल करने योग्य कचरे को रीसाइकल करके पुन: उपयोग में लाया जा रहा है। जो कचरा कभी मुसीबत माना जाता था, आज उससे ऊर्जा और खाद बनाकर कचरे से कंचन का संदेश देते हुए राजस्व उत्पन्न करने की राह अपनाई जा रही है। इसी क्रम में वेस्ट टू वंडर पार्क भी विसकित किए गए हैं और वह भी राजस्व जुटाने में सहयोगी सिद्ध हुए हैं। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन और डेमोलेशन वेस्ट यानी मलबे जैसे कचरे का तो 95% पुन: उपयोग करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। 

साल 2019 में देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया, जो कि ग्रामीण से लेकर शहरों तक एक समय सबसे बड़ी समस्याओं में शुमार था। अब शौचालयों के निर्माण की दिशा में शानदार काम हो रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में भी हर घर शौचालय सुनिश्चित करने के लिए 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया गया है। सार्वजनिक एवं शौचालयों की बात करें तो उनके निर्माण, मरम्मत ही नहीं सौंदर्यीकरण का काम भी किया गया है।

2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत होने के बाद बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण के माध्यम से विभिन्न राज्यों के शहरों के बीच स्वच्छता की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू की गई। इसमें सबसे पहले साल 2016 में 73 शहरों को शामिल कर उनकी फिजिकल प्रोग्रेस का आंकलन किया गया और मैसुरू ने सर्वश्रेष्ठ स्वच्छता रैंकिंग हासिल की। 2017 में 434 शहरों ने भाग लिया और 2018 में शहरों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई और 4 हजार से ज्यादा शहर इसका हिस्सा बने। इसमें साल 2017 से 2022 तक लगातार इंदौर ने सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल की। साल 2019 में स्थायी स्वच्छता, 2020 में संस्थागत स्वच्छता, 2021 में इंटीग्रेटेड अप्रोच, 2022 में पीपल फर्स्ट और इस साल 2023 में वेस्ट टू वेल्थ को स्वच्छ भारत मिशन की थीम बनाया गया है और सभी शहरों को अनिवार्य रूप से भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा गया है और नतीजे आने बाकी हैं।

अब स्वच्छ भारत मिशन - शहरी 2.0 के अंतर्गत कुछ अभिनव प्रयास किए गए, जिसमें शहरों के बीच ‘इंडियन स्वच्छता लीग’ के रूप में एक ऐसी प्रतिस्पर्धा शुरू की है, जिसके अंतर्गत सभी शहरों को स्वच्छता की दिशा में किए गए उनके अनूठे प्रयासों को प्रस्तुत करने का एक विशेष मंच दिया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी स्वच्छता पखवाड़ा - स्वच्छता ही सेवा आयोजित किया गया है। देश के प्रधानमंत्री ने मैनहोल से मशीनहोल में परिवर्तन का संदेश दिया है, जिसका उद्देश्य सफाईमित्रों की सुरक्षा पर जोर देना है। इसको देखते हुए इस पखवाडेम के दौरान ही ‘सफाईमित्र सुरक्षा शिविर’ आयोजित किए गए रहे हैं, जिनके अंतर्गत सफाई कर्मचारियों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं में संशोधन कर उनके बेहतर बनाना और उनका लाभ देते हुए सफाई कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। इसके बाद 1 और 2 अक्टूबर को इस साल भी स्वच्छ भारत दिवस बड़े स्तर पर मनाया जाएगा, जो कि बीते नौ साल की उपलब्धियों के साथ दुनिया के सामने स्वच्छ भारत की नई परिभाषा प्रस्तुत करेगा।

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