कौसानी : भारत का स्विजरलैंड | Kausani : Switzerland of India

 कौसानी #Kausani# (#Famous Tourist Place Of Uttrakhand# ) का नाम जेहन में आते ही एकाएक स्विजरलैंड की आकृति मन में कौंधने लगती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ही कौसानी को भारत का स्विजरलैंड कहा था। यहां की असीम शांति उन्हें खूब भाती थी, इसीलिए वह काफी वक्त कौसानी में बिताते थे। आप अगर उत्तराखंड के कुमाउं रीजन में घूमने का मन बना रहे हैं, तो आपके लिए कौसानी बहुत ही अच्छा डेस्टीनेशन हो सकता है। यहां न केवल आप अद्भुत शांति का अनुभव करेंगे, बल्कि हिमालय की ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटियों को भी बेहद करीब से देख पाएंगे। इसीलिए यहां का सफर अद्भुत होने के साथ ही बेहद रोमांचक भी हो जाएगा।



कौसानी #Kausani# (Tourist Place Of Uttrakhand#) बागेश्वर जिले के गरूड़ तहसील के अंतर्गत आता है। यह भारत के बेहद खुबूसरत पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह कुमाऊं की राजधानी अल्मोड़ा से महज 53 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिंगनाथ चोटी पर बसा कौसानी हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता है। यहां से आप बर्फ की चादर ओढ़े हुए नंदा देवी पर्वत चोटी का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। यह प्राकृतिक नजारे के लिए मशहूर तो है ही, बल्कि यहां के धार्मिक स्थल भी आकर्षण के केंद्र हैं। यहां से नंदा देवी के अलावा नंदा घुंटी, चौखंबा, नीलकंठ, त्रिशूल, नंदा खाट, नंदा कोट और पंचचुली जैसे खुबसूरत पर्वत शिखर भी दिखाई देते हैं। यहां और भी कई खूबसूरत स्थल हैं, जो मन को लुभाए बिना नहीं रह सकते हैं, जो सबसे बड़ी चीज होती है, वह है इन स्थलों पर बिखरी पड़ी अद्भुत स्तब्धता।


आइए कुछ ऐसे ही स्थलों के बारे में जानते हैं।


अनाशक्ति आश्रम

यह आश्रम कौसानी #Kausani# में महात्मा गांधी की यादों को ताजा कर देता है, क्योंकि कौसानी गांधी जी की पंसदीदा जगहों में से एक रही है। वह अक्सर यहां आते थे और लंबा वक्त यहां की खूबसूरत वादियों के बीच बिताते थे। अनाशक्ति आश्रम को गांधी आश्रम भी कहा जाता है। इस आश्रम का निर्माण ही गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के मकसद से किया गया है। यहीं रहते हुए उन्होंने अनाशक्ति योग नामक लेख भी लिखा था। आश्रम के अंदर अध्ययन कक्ष, पुस्कालय और प्रार्थना स्थल भी है, जहां गांधी जी के चित्र लगे हैं। ये चित्र गांधी जी के जीवन की परछाई से यहां आने वालों को करीब से रूबरू कराती हैं। इस आश्रम के अंदर किताबों की छोटी-सी दुकान भी है, जिसमें गांधी जी, प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत द्बारा रचित साहित्य और उनके जीवन के बारे में लिखी गई किताबों का संकलन भी उपलब्ध है। यहां प्रार्थनासभा भी होती है, यहां रहने वाले लोगों को इन प्रार्थना सभाओं में भाग लेना होता है।

पंत संग्राहलय और लक्ष्मी आश्रम

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म भी इसी कौसानी #Kausani# में हुआ था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता से प्रभावित होकर ही उन्होंने काव्य की रचना की। यहां के बस स्टैंड से कुछ ही दूरी पर उन्हें समर्पित संग्रहालय है। जिस घर में उन्होंने अपना बचपन बिताया था, उसी को संग्रहालय बनाया गया है। इस संग्रहालय में उनके डेली जीवन से जुड़ी वस्तुएं, पत्र-पुरस्कार और कविताओं के संग्रह का संकलन रखा गया है। कौसानी में लक्ष्मी आश्रम भी है। वैसे यह आश्रम सरला आश्रम के नाम से मशहूर है। इस आश्रम की स्थापना 1948 में हुई थी, जिसकी स्थापना सरलाबेन ने की थी। सरलाबेन महात्मा गांधी की अनुयायी थींं। वैसे उनका असली नाम कैथरीन हिलमेन था। इस आश्रम में दर्जनों अनाथ और गरीब लड़कियां रहती हैं। ये सभी पढ़ाई करती हैं। पढ़ाई के साथ ही ये लड़कियां उद्यमशीलता से भी जुड़ी हुईं हैं, जैसे जानवरों पालना, खाना बनाना, सब्जी उगाना आदि शामिल हैं। यहां के एक वर्कशॉप में ये लड़कियां स्वेटर और दस्ताने, बैग व चटाईयां आदि भी बनाती हैं।



कौसानी चाय बागान भी है मशहूर

जो पर्यटक कौसानी #Kausani# घूमने के लिए आता है, वह कौसानी चाय बागान देखने जरूर जाता है। यह चाय बागान कौसानी के पास ही स्थित है। यहां बहुत ही बढ़िया किस्म की गिरियाज उत्तरांचल चाय उगाई जाती है, जो 208 हैक्टेयर में फैला हुआ है। पर्यटक यहां के चाय बागानों में जाते हैं और यहां स्थित चाय फैक्ट्यिों में जाकर चाय उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं। जो पर्यटक यहां जाते हैं, वे यहां की चाय जरूर लेकर जाते हैं। भारत के बाहर भी यहां की चाय निर्यात की जाती है। मुख्यत: जिन देशों में यहां की चाय निर्यात होती है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जर्मनी और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।


इन जगहों का भी कर सकते हैं भ्रमण

अगर, आप कौसानी #Kausani# आए हैं तो इसके आसपास की जगहों पर घूमना न भूलें। आसपास की प्रसिद्ध जगहों में बागेश्वर के अंतर्गत आने वाला ही सरयु और गोमती नदी का संगमस्थल है। यह जगह कौसानी से करीब 42 किलोमीटर दूर है। यहीं बागेश्वर मंदिर है, जिसका निर्माण 1602 में लक्ष्मी चंद ने कराया था। मंदिर में स्थापित मूर्तियां 7वीं शताब्दी से लेकर 16 शताब्दी के बीच की हैं। जनवरी माह के दौरान मकर संक्राति के आसपास यहां उत्तरायणी मेला भी लगता है। जो बहुत अधिक भव्य होता है, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हर साल लगने वाले इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर प्रसिद्ध नीलेश्वर और भीलेश्वर की पहाड़ियां हैं, जहां चंडिका और शिव मंदिर भी हैं। अगर, आप यहां आए हैं तो आप चंडिका और शिव मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। कौसानी से इसकी नजदीक वाली जगहों में आप कुछ और तलाश करेंगे तो आपको ऐसी जगह भी मिल जाएंगी। जी हां, वह जगह है कौसानी से 21 किलोमीटर दूर तेहलीहाट। यहां का कोट ब्रहरी मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जो देवी दुर्गा के भ्रमर अवतार को समर्पित है, जो अवतार उन्होंने अरूण नाम के दैत्य के वध के लिए लिया था। पर्वत पर विराजमान देवी का मुख उत्तर की तरफ है। यहां भी हर साल अगस्त माह में मेला लगाया जाता है। यह मेला तीन दिन चलता है, जिसमें भी द्धालुओं की भारी-भरकम भीड़ जुटती है।


कैसे आएं

कौसानी पहुंचना बहुत अधिक कठिन नहीं है, क्योंकि यह तीनों ही वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अगर, आप राजधानी दिल्ली से होते हुए सड़क मार्ग से आएंगे तो यहां आने के लिए आपको दिल्ली के आनंद बिहार से बस मिलेगी। आनंद बिहार से कौसानी के लिए नियमित बसें चलती हैं। दिल्ली से कौसानी लगभग 413 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां पहुंचने में लगभग 10 घंटे लग जाते हैं। दिल्ली से आने वाली बस एनएच-24 होते हुए गाजियाबाद, हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर, गजरौला, मुरादाबाद, रामपुर, रूद्रपुर, हल्द्बानी, काठगोदाम होते हुए कौसानी तक पहुंचती है। अगर, आप रेलमार्ग से आना चाहते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे जंक्शन काठगोदाम है, यहां से आपको सड़क मार्ग से कौसानी पहुंचना होगा। यहां से कौसानी की दूरी लगभग 133.8 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में करीब 4.13 मिनट का समय लगता है। कौसानी एनएच 109 से जुड़ा हुआ है। यहां से आपको आसानी से राज्य परिवहन निगम की बसों के अलावा टैक्सियां भी मिल जाएंगी। वायुमार्ग से आने पर आपको पंतनगर में उतरना होगा, क्योंकि यहां का नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर ही है। यहां से भी आप सड़क मार्ग के माध्यम से कौसानी पहुंच सकते हैं। पंतनगर से कौसानी की दूरी 168 किलोमीटर है, जिसे एनएच 109 से सड़क मार्ग से पूरा करने में करीब 5 घंटा 10 मिनट लगता है।

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