कोका-कोला इंडिया और हरितिका ने जल संग्रहण क्षमता को 29,81,576.46 घन मीटर तक बढ़ाकर बदली छतरपुर, मध्य,प्रदेश के लोगों की तकदीर


कृषि संकट और आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे किसानों के लिए फिर खुले आजीविका के दरवाजे...

2577 किसानों के जीवन में आया सकारात्मक परिवर्तन...

छतरपुर, 26 फरवरी, 2024 : कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन ने एक गैर-लाभकारी संगठन हरितिका के सहयोग से मध्‍यप्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर ब्लॉक के सूखाग्रस्‍त गांवों में एकीकृत जल संरक्षण परियोजना "प्रगति ग्राम" अभियान के माध्‍यम से जल संग्रहण क्षमता को 29,81,576.46 घन मीटर तक बढ़ाकर एक मिसाल कायम की है। दरअसल, इस क्षेत्र के लोग लंबे समय से शुष्क परिस्थितियों, स्थिर कृषि विकास और आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे। पानी की कमी और अनियमित वर्षा की वजह से यहां के लोगों के लिए अपनी आजीविका को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण बन गया था और खराब कृषि उत्पादकता के बढ़ते संकट की वजह से लोग पलायन को मजबूर हो रहे थे, लेकिन "प्रगति ग्राम" अभियान के सार्थक परिणामों ने इन लोगों के जीवन को सकारात्‍मक बदलाव आया है।



पटना, छतरपुर, मध्‍यप्रदेश के रहने वाले सोबे लाल ने कहा, “हमारे क्षेत्र में पानी की संकट बहुत अधिक रहता था, जिसकी वजह से हम केवल एक ही फसल उगा पाते थे। उन्‍होंने कहा कि आजीविका का संकट लगातार बढ़ रहा था, जिसकी वजह से उनके बच्‍चों को अजीविका कमाने के लिए दूसरे शहरों की तरफ पलायन करना पड़ रहा था।
सोबे लाल ने कहा, 'कृषि विकास नगण्य था और हमारी आर्थिक स्थिरता केवल वर्षा पर निर्भर थी। 
उन्‍होंने कहा, यदि, वर्षा होती तो हमारी फसलें लहलहातीं थी, अगर वर्षा नहीं होती थी तो फसल नहीं हो पाती थी।"
उन्‍होंने कहा कि, 'जल समृद्ध भारत' बनने की दिशा में भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, दोनों संगठनों ने पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए पानी की कमी वाले गांवों में तालाबों और स्टॉप डैम के निर्माण से एक नई उम्‍मीद की किरण जगाई है।
दोनों संगठनों के प्रयास से क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आया है, जिसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर में 29,81,576.46 क्यूबिक मीटर की वृद्धि हुई है, इससे स्थानीय लोगों के लिए पानी की पहुंच आसान हो गई है। इतना ही नहीं, पानी की प्रचुरता से क्षेत्र में कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है और मीठे पानी के संसाधनों की पारिस्थितिक बेहतरी ने सिंचाई तकनीकों और टिकाऊ कृषि पद्धतियों में भी सुधार का मार्ग प्रशस्‍त किया है, इससे क्षेत्र के 2,577 से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा है।
छतरपुर के गणेशगंज निवासी कलावती ने बताया कि, “तालाबों और स्टॉप डैमों द्वारा आसान हुई पानी की पहुंच ने उनके जीवन को बेहतर बना दिया है। उन्‍होंने कहा कि अब हमें अपने दैनिक उपयोग के लिए पानी इकट्ठा करने के लिए लंबी थका देने वाली सैर नहीं करनी पड़ेगी। अब हम जल संसाधनों तक बहुत आसानी से पहुंचने में सक्षम हैं, इससे मुझे अपने परिवार, खासकर अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिल रहा है और मैं अपने खेत पर अधिक कुशलता से काम कर पा रही हूं।'
कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन के वरिष्ठ प्रबंधक राजीव गुप्ता ने कहा, “हम महत्वपूर्ण जल संरक्षण संरचनाओं की स्थापना के माध्यम से मध्य प्रदेश के किसानों के जीवन में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाने में अपने योगदान पर गर्व करते हैं। उन्‍होंने कहा कि इस पहल ने न केवल किसानों की आजीविका को उन्नत किया है बल्कि उनके बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य की नींव भी रखी है।"
हरितिका संस्‍था के संस्थापक अवनी मोहन सिंह ने कहा, “अतीत में, पानी की कमी ने कई चुनौतियां पेश कीं, महिलाओं को जल संग्रह के लिए जल निकायों की यात्रा करनी पड़ती थी, लेकिन आज सुलभ तालाबों और स्टॉप डैम की मौजूदगी ने इस स्थिति को बदल दिया है, इसके अलावा, ये प्रचुर जल भंडार व्यापक सिंचाई व्‍यवस्‍था को भी मजबूत कर रहे हैं, जिससे विविध फसल की खेती संभव हो पाती है। परिणामस्वरूप, आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और समुदाय की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।"
उन्‍होंने कहा, “परियोजना द्वारा प्रोत्साहित की गई उन्नत कृषि सुविधाओं और फसलों के विविधीकरण ने किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को बढ़ाने में मदद की है। इसलिए, जल सुरक्षा के साथ छतरपुर में आजीविका सृजन, रिवर्स माइग्रेशन और टिकाऊ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हुआ है।

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