अपना दोष दूसरों के सिर मढ़ने से बाज आए केजरीवाल

अपना दोष दूसरों के सिर मढ़ने से बाज आए केजरीवाल

देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह चिकनगुनिया और डेंगू का प्रकोप दिख रहा है, उससे लोगों में हाहाकार है। स्वास्थ सेवाएं बेहतर नहीं होने की वजह से लोगों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि चिकनगुनिया व डेंगू का जिस तरह का प्रकोप दिख रहा है, उसने सारे पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। चिकनगुनिया से चार लोगों के मौत की बात भी सामने आई है। ऐसे वक्त में जो बात सबसे अधिक चौंकाती है, वह केजरीवाल सरकार के अधिकांश मंत्रियों का शहर से बाहर होना है। स्वास्थ मंत्री सतेन्द्र जैन स्वयं शहर से बाहर हैं। इस संबंध में जब लोगों ने ट्वीटर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सवाल किया तो उनका जबाब भी अजीब था, जो इस बात के लिए काफी है कि केजरी व उनकी टीम ने केवल सादगी व जनता का हितैषी होने का चोला पहन रखा है। यहां उनके जबाब का उल्लेख करना भी जरूरी है। उन्होंने ट्वीटर पर जबाब दिया कि सीएम और मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं बची है। वे एक पेन तक नहीं खरीद सकते हैं। एलजी और पीएम मोदी दिल्ली की सारी शक्तियां लिए बैठे हैं। एलजी बाहर हैं। दिल्ली के बारे में उन्हीं से सवाल कीजिए। केजरीवाल का सीधा मतलब यह है कि दिल्ली में जिस तरह चिकनगुनिया और डेंगू का प्रकोप चल रहा है, उसके लिए दिल्ली सरकार किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इसकी जिम्मेदारी एलजी और पीएम के पाले में जानी चाहिए। इसीलिए लोग उन्हीं से सवाल करें। मजेदार बात यह है कि जिस तरह बरसात से पूर्व दावा किया गया था कि मच्छरों पर काबू पा लिया गया है। अगर, ऐसा था तो अब इस तरह का संक्रमण का प्रकोप क्यों दिख रहा है ? लोगों में हाहाकार क्यों मचा हुआ है ? कई जानें कैसे चली गई ? क्या इन सब सवालों का जबाब केजरीवाल सरकार के पास है। राजधानी दिल्ली के लिए यह बेहद शर्मनाक बात है कि जहां की स्वास्थ्य सुविधाएं देश के अन्य हिस्सों से अधिक दुरुस्त होनी चाहिए, वहां इस तरह की लापापोती सरकार की खराब मंशा को ही स्पष्ट करती है। आंदोलन के दौरान जिस तरह केजरीवाल चिल्लाए थे कि वह बेहतर दिल्ली बनाएंगे। उनका वह दावा आज कहां गया है ? क्या उन्हें यह पता नहीं होना चाहिए कि महज चिल्लाने से कुछ नहीं होता है बल्कि उन्हें काम करके दिखाना चाहिए। जिस तरह के कारनामे दिल्ली सरकार के शासनकाल में सामने आए हैं, वह इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफी हैं कि दिल्ली तो बेहतर हो नहीं सकती है, लेकिन दिल्ली सरकार के मंत्री अपने को जरूर बेहतर बना लेंगे। सरकार की ऐसी मन: स्थिति से आमजन को भी सीखने की जरूरत है, क्योंकि जब जनता ऐसी सरकारों को चुनेगी तो उसका खामियाजा भी उसे ही भुगतना पड़ेगा। दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू की समस्या ने जिस तरह लोगों को परेशान किया हुआ है वह इसका नतीजा तो है, लेकिन आगे उन्हें झूठा दंभ भरने वाले नेताओं व पार्टियों से सावधान रहना ही चाहिए।


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