भारत के परिपेक्ष्य में बेहतर साबित होंगे ट्रंप


 तमाम सर्वे का धता बताते हुए व्हाहट हाउस का ताज डॉनल्ड ट्रंप के पाले में गया। यानि कि वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं। वह आगामी जनवरी में राष्ट्रपति का पद भार गहण करेंगे। अमेरिकी चुनाव काफी उथल-पुथल भरा रहा। उम्मीद में कुछ थ, लेकिन परिणाम बिल्कुल भी उसके उलट आया। जाहिर सी बात है कि इस स्थिति ने सभी को चौंका दिया। तमाम उतार-चढ़ाव और कटुता से भरे चुनाव प्रचार अभियान के बाद आखिरकार डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव को जीतने में सफल रहे। डॉनल्ड ट्रंप ने न केवल अपनी प्रतिद्बंद्बी हिलेरी क्लिंटन को बड़े अंतर से हराया, बल्कि संसद के दोनों सदनों में अपनी पार्टी के लिए बहुमत भी सुनिश्चित किया।
  इस चुनाव परिणाम से लोगों की इस बात की आशंकाएं मिठ्ठी में मिल गईं, जो यह अनुमान लगा रहे थ्ो कि इस बार का अमेरिकी चुनाव कांटों भरा रहेगा और राष्ट्रपति बनने के लिए हिलेरी क्लिंटन की संभावनाएं अधिक हैं, लेकिन अनुमान से आये विपरीत परिणामों ने ट्रंप की अप्रत्याशित जीत ने बराक ओबामा की पिछली जीत को भी पीछे छोड़ दिया।  कुल मिलाकर, अब सवाल इन चुनाव नतीजों की अलग-अलग तरह से की जा रही व्याख्याओं को परखने का नहीं, इस तथ्य को स्वीकार करके आगे बढ़ने का है कि ट्रंप विश्व के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं। अब तक उनका जो व्यक्तित्व सामने आया है, उसे लेकर दुनिया में कई तरह की आशंकाएं चल रही हैं। लेकिन एक अच्छी बात गौर करने लायक है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से डॉनल्ड ट्रंप की करीबी बताई जाती रही है, जो भारत के परिपेक्ष्य में बहुत अच्छा रहेगा, क्योंकि रूस भारत का पुराना मित्र रहा है। सबसे बड़ा मुद्दा यह भी है कि जिस प्रकार ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ हुकांर भरी थी, वह भी भारत के परिपेक्ष्य में बेहतर रहेगा, क्योंकि जिस प्रकार भारत आंतकवाद के खिलाफ लड़ रहा है, ट्रंप की विचारधारा उसे और बल देगी। 
 उधर, सीरिया और यूक्रेन में अमेरिकी तथा रूसी सैन्य हित एक-दूसरे से टकरा रहे हैं, उसे देखते हुए किसी भी पल एक छोटी-सी चिगारी किसी बड़े अग्निकांड का रूप ले सकती है। इसे देखते हुए ट्रंप और पुतिन की नजदीकी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत की बात है।
   दोनों नेता आपसी समझ का फायदा उठाते हुए टकराव टालने वाला कोई रास्ता निकाल सकते हैं। यह बात दीगार है कि डॉनल्ड ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार कहा कि उनका जोर दुनिया भर में अपनी नाक घुसेड़ते रहने के बजाय घरेलू मामलों पर ध्यान केंद्रित करने पर रहेगा, इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वक्त में अमेरिका विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मसलों में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करेगा। वैश्विक मामलों में अमेरिकी हित इस कदर समाहित हैं कि इन्हें पूरी तरह भुलाना किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए संभव नहीं है, जहां तक भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों की बात है, उसका खुलासा ट्रंप भी कई बार कर चुके हैं। वह खुद एक बड़े कारोबारी हैं और भारत की तरफ कारोबार के लिहाज से उनकी दिलचस्पी पहले से रही है। लिहाजा, वे भारत के साथ अमेरिकी संबंधों की सामरिकता को समझेंगे। और भारत सरकार के साथ वह तालमेल के साथ काम करना ज्यादा बेहतर समझेंगे।



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