जाधव प्रकरण : पाक की मंशा पर कई सवाल


    भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की फौजी अदालत द्बारा मौत की सजा सुनाने के बाद भारत-पाक के बीच तनाव जायज है। भारत द्बारा कुलभूषण जाधव को बचाने के हर संभव प्रयास करने ही चाहिए, जो किये भी जा रहे हैं। कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देने के बाद ही सरकार प्रयास नहीं कर रही है, बल्कि इससे पहले से ही सरकार उन्हें छुड़ाने की कोशिशों में लगी हुई है। कई बार भारत सरकार द्बारा पाक सरकार को पत्र भी लिख्ो जा चुके हैं, लेकिन पाक का रवैया किसी भी रूप में स्थिति को स्पष्ट करने जैसा रहा ही नहीं। वह तनाव बढ़ाने की कोशिश्ों करता रहा है। 
 यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब आपके पास जाधव के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं हैं तो किस आधार पर उन्हें आनन-फानन में मौत की सजा सुनाई गई। क्या आपका इसके पीछे कोई मकसद तो नहीं है? भारत को हेकड़ी दिखाने की ही नहीं बल्कि वह भारत पर बलूचिस्तान में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाए और फिर गला फाड़-फाड़ कर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इसे मुद्दा बनाए। यह बात किसी से छुपी भी नहीं है कि कुलभूषण जाधव प्रकरण पर पाकिस्तान लंबे समय से यह बात बोल रहा है कि उन्हें बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया है। जाधव पर रॉ एजेंट बलूचिस्तान में अस्थिरता पैदा करने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इसीलिए भी उसकी गिरफ्तारी बलूचिस्तान से बता रहा है। इसका दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब पाकिस्तान जाधव का कनेक्शन कराची के खतरनाक गैंगस्टर उजैर बलोच से जोड़ रहा है, जिसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने पिछले साल जनवरी में कराची से गिरफ्तार किया जा चुका है। 
  यह बड़ा ही घालमेल है। जिसे मुद्दे को पाक को स्पष्ट करना चाहिए, उसको वह जटिल बनाते जा रहा है। यहां पाक सरकार को यह मानने की जरूरत है कि इससे होगा क्या ? आपको ठोस सबूतों को सामने आना ही होगा। अगर, ऐसा नहीं होगा तो स्वयं आप ही अपने बिछाए जाल में फंस जाओगे। यह बताना जरूरी है कि भारत सरकार कई बार पाक को पत्र लिखकर यह बात स्पष्ट कर चुकी है कि कुलभूषण जाधव सेना के रिटायर्ड ऑफीसर हैं और उनका रॉ से कोई भी कनेक्शन नहीं है, ऐसे में उन्हें छोड़ दिया जाए। इसके बाद भी पाक की हेकड़ी किसी के भी गले उतरने वाली नहीं है।
इतना ही नहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज खुद यह स्वीकार कर चुके हैं कि जाधव को भारतीय जासूस साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत उनकी सरकार के पास नहीं हैं। जब यह बात स्वयं पाक सरकार को एक उच्च अधिकारी मान रहा है तो कुलभूषण जाधव को छोड़ा क्यों नहीं जा रहा है ? वैसे भी जाधव सेना के रिटायर्ड ऑफीसर रहे हैं और वह ईरान में अपना करोबार कर रहे थ्ो। और उनका रॉ से कोई लेना-देना नहीं था। यह बात भारत सरकार भी स्पष्ट कर चुकी है। ऐसे में पाक को इस मुद्दे को जटिल बनाने के बजाय जाधव को छोड़ देना चाहिए, क्योंकि यही रास्ता दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसकी अभी बहुत जरूरत भी है।

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