राजनीतिक सुचिता को सिद्ध करें नीतीश


 लग रहा है कि बिहार का सियासी घमासान अभी थमने वाला नहीं है। जेडीयू और आरजेडी की तरफ से जिस तरह के राजनीतिक चाल के संकेत मिल रहे हैं, उससे तो यही स्पष्ट है कि दोनों पक्ष अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट हैं। स्वयं को स्वच्छ छवि का नेता बताने वाले नीतीश पर दबाब है कि वह तेजस्वी को इस्तीफा देने के लिए मनाएं। उन्होंने अपनी मंशा को कुछ दिन पूर्व ही स्पष्ट भी कर दिया था, बकायदा उन्होंने स्वयं के रेलमंत्री रहने दौरान एक घटना पर स्वयं द्बारा इस्तीफा देने का उदाहरण भी दिया गया। जिसका सीधा संदेश था कि अगर, आप पर भ्रष्टाचार का कोई मामला चल रहा है तो आप स्वत: ही इस्तीफा दे दें।
  फिलहाल, जिस तरह की परिस्थतियां धीरे-धीरे बन रही हैं, उससे तो कहीं भी ऐसा नहीं लगता है कि तेजस्वी अपने पद से इस्तीफा देंगे। बल्कि आरजेडी उनके पूरे बचाव में आगे आ गई है। जिस तरह की हवा उड़ रही है, उससे तो यही लगता है कि अब गेंद नीतीश के पाले में है। वह फिरकी देते हैं या गुगली, यह उन पर निर्भर करता है, लेकिन उनकी फिरकी और गुगली का सामना करने के लिए आरजेडी पूरी तरह तैयार है। दीगार बात है कि सीबीआई ने तेजस्वी के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में केस दर्ज किया है, लिहाजा इसके बाद से ही नीतीश कुमार पर उनको बर्खास्त करने का दबाव बढ़ गया है। नीतीश अगर स्वच्छ राजनीति का हवाला देते हैं तो निश्चिततौर पर उन्हें अपने भ्रष्ट डेपुप्टी सीएम को हटाना ही चाहिए, लेकिन सरकार व दोस्ती बचाने के बीच सवाल यह है कि क्या वे राजनीति की इस नैतिकता को सिद्ध कर पाएंगे ? दूसरा यह है कि क्या लालू सरकार के चार्म से स्वयं को दूर रखना चाहेंगे ? क्योंकि सरकार का समर्थन रहते और उनके अपने चहेतों के सत्ता में रहते, उनकी खूब चलती है। 
 ऐसे में, उन्होंने जो इसका फार्मुला निकाला है कि महागठबंधन को बाहर से समर्थन दिया जाएगा। ख्ौर, स्थितियां जहां आकर भी ठहरें, लेकिन इसके बहुत से तात्पर्य और अर्थ भी सामने आते हैं। दो विपरीत परिस्थितियों की जो टकराहट है, उसमें कौन बाजी मार सकता है? एक तरफ सरकार से भ्रष्टाचारी डेप्पुटी सीएम का सफाया तो दूसरी तरफ उसको सरकार में बनाए रखने का जोर। वैसे तो भारतीय राजनीति कई उदाहरणों की साक्षी रही है, लेकिन देश में बीजेपी और मोदी के खिलाफ जिस तरह का कैंपन अन्य सभी पार्टियां महागठबंधन के रूप में करना चाह रही हैं, उसमें यह घटनाक्रम कम पेंचीदा नहीं है। लिहाजा, नीतीश कुमार के समक्ष ऐसी राजनीतिक सुचिता आकर फंस गई है, जिसमें उन्हें महागठबंधन की नींव भी बचानी है और राजनीतिक नैतिकता को बनाए रखने का भी हल ढूढंना है। इन परिस्थितियों के बीच आने वाला समय इस घटनाक्रम के लिए बेहद दिलचस्प होने वाला है। आरजेडी की कोशिश यही है कि वह नीतीश की ओर से तेजस्वी को बर्खास्त करने का इंतजार करेगी। अगर तेजस्वी इस्तीफा देते हैं तो निश्चित तौर पर पार्टी कैडर का मनोबल गिरेगा और जनता के बीच यह धारणा बन जाएगी कि लालू यादव परिवार ने कुछ न कुछ गलत जरूर किया है, इससे पार्टी को भी नुकसान होगा।

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