24 साल में की छह चोटियां फतह
By Bishan Papola May 26, 2018
अगर, पैशन के पीछे जुनून और जज्बे को झौंक दिया जाए, तो कठिन राह भी आसान हो जाती है। जब राह आसान हो जाती है तो निश्चित ही मंजिल भी मिल जाती है। भारतीय पर्वतारोही अर्जुन वाजेपयी ने भी अपने पैशन के प्रति इसी तरह के जुनून और जज्बे को दिखाया है। एवरेस्ट से लेकर मनास्लु जैसी पर्वतश्रृंखलाओं की चोटियां तक तिरंगा लहराने वाले अर्जुन वाजपेयी ने कंचनजंगा को फतह कर अपने नाम एक और रिकॉर्ड जोड़ लिया है। अब वह महज, 24 साल की उम्र में 8००० मीटर से ऊंची छह चोटियों को फतह करने वाले दुनिया के सबसे युवा शख्स बन गए हैं। अर्जुन का मकसद उन सभी 14 चोटियों को फतह करने का है, जिनकी ऊंचाई 8००० मीटर या उससे अधिक है। दृढ़ संकल्प रखने वाले अर्जुन वाजपेयी जिस प्रकार कड़ी मेहनत करते हैं, उससे निश्चित ही एक दिन वह इस मुकाम पर पहुंचेंगे।
2० मई को किया फतह
- वैसे तो अर्जुन का मकसद था कि वह 25 मई तक विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी ( 8,586 मीटर ) कंचनजंगा को फतह कर देंगे, लेकिन यह उनके दृढ़ संकल्प का ही परिणाम रहा है कि उन्होंने 2० मई को ही यह कारनामा कर लिया था। अर्जुन चोटी को फतह करने के बाद फंस गए थे, जिससे संपर्क टूट गया था। उन्होंने 2० मई को 8 बजकर 5 मिनट पर यह उपलब्धि हासिल कर ली थी। यहां बता दें कि साल-2०17 में भी वह कंचनजंगा अभियान पर गए थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। कैंप-टू पर मौसम खराब होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा था, लेकिन इस बार उन्होंने सफलता हासिल कर ली है। अब उनके नोएडा वापस आने का इंतजार हो रहा है।
मकालू का मानते हैं गुरु
- माउंट मकालू (8,485 मीटर ऊंची) दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी है, लेकिन इस चोटी फतह करने में अर्जुन को चार प्रयास करने पड़े। पहला प्रयास उन्होंने साल-2०13 में किया था, लेकिन वह साल-2०16 में अपने चौथे प्रयास में माउंट मकालू को फतह करने में सफल हो पाए। मकालू दुनिया की सबसे दुर्गम चोटी मानी जाती है। अर्जुन मानते हैं कि उन्हें अगर, किसी ने असली पर्वतारोही बनाया है तो वह माउंट मकालू ही है। लिहाजा, वह माउंट मकालू को अपना गुरु मानते हैं, क्योंकि माउंट मकालू को फतह करने के दौरान उनके समर्पण और संकल्प में लगातार इजाफा होता गया। अपने चार प्रयास के बाद भी अर्जुन ने सबसे कम उम्र में मकालू की चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराया था।
बर्फीले तूफान का किया सामना
- चीन-नेपाल बॉडर्र पर स्थित चो-यू(82०1 मीटर ऊंची) को फतह करने के दौरान अर्जुन वाजपेयी बर्फीले तुफान में फंसे रहे। चो-यू को अर्जुन ने दूसरे प्रयास में फतह किया। जब साल-2०12 में वह चो-यू को फतह करने के लिए पहली बार निकले थे तो तीन दिन बर्फीले तूफान में फंसे रहे। एक हाथ और एक पैर पैरालाइज्ड हो गया था। बर्फीले तूफान के बाद वह किसी तरह नीचे आए। उसके बाद दो महीने एम्स में रहे। काफी प्रयास के बाद उनकी स्थिति सुधरी थी। उसके साल-2०15 में अर्जुन ने चो-यू को फतह किया। माउंट चो-यू को फतह करने के छह माह बाद ही अर्जुन ने माउंट मकालू को फतह कर दूसरी सफलता हासिल की थी।
माउंट कलाम दिया नाम
अर्जुन वाजपेयी ने लाहौल स्फीति स्थित छह हजार मीटर ऊंची वर्जिन पीक को भी फतह किया है। इस चोटी पर पहुंचने वाले वह पहले व्यक्ति हैं। उनके साथ भूपेश कुमार भी थे। अर्जुन कहते हैं कि अल्पाइन स्टाइल से चढ़ाई सबसे कठिन होती है। छह हजार मीटर की चढ़ाई के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। कड़ी मेहनत के बाद इस चोटी को फतह कर लिया। अर्जुन ने बताया कि किसी चोटी पर जब कोई व्यक्ति पहली बार कदम रखता है तो वह उसका नाम रख सकता है। इसलिए मैंने इस चोटी का नाम माउंट कलाम और बेस कैंप का नाम एबी रखा है। अर्जुन एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते हैं।
प्रकृति से लगाव ने बनाया पर्वतारोही
- आउटडोर चीजों की तरफ अर्जुन का बचपन से ही रुझान था। वह प्रकृति को अपना दोस्त मानते हैं। वह स्वयं स्वीकार करते हैं कि जब उन्हें स्कूल व घर में पढ़ने के लिए कहा जाता था तो वह पढ़ाई के बजाय बाहरी चीजों की तरफ अधिक आकर्षित होते थे। यही कारण रहा कि वह प्रकृति से यूं घुलमिल गए कि वह पर्वतारोहण की तरफ कदम बढ़ाते चले गए। वह जब भी किसी चोटी को फतह करने जाते हैं तो वह लोगों को प्रकृति संरक्षण का संदेश भी देते हैं।
पैशन को करें फॉलो
- हर किसी व्यक्ति का एक पैशन होता है। अगर, वह उसे फॉलो करें और उसके पीछे जी-तोड़ मेहनत करें तो वह एक दिन अपनी मंजिल को अवश्य छुएगा। अर्जुन स्वीकार करते हैं कि पर्वतारोहण उनका पैशन रहा है, अगर वह जुनून और जज्बे के साथ अपने पैशन को फॉलो नहीं करते तो शायद उन्हें यह मुकाम नहीं मिलता। अर्जुन ने कहा कि हर कोई अपने पैशन को फॉलो करे, उसके पीछे खूब मेहनत करे। एक दिन सफलता उसके कदम जरूर चूमेगी।
फाइंड योर एवरेस्ट
- बच्चों में एडवेंचर एक्टीविटीज को बढ़ावा देने के लिए अर्जुन वाजपेयी, अर्जुन वाजपेयी फाउंडेशन के माध्यम से प्रतिवर्ष 2 से 3 लाख बच्चों तक पहुंचते हैं और उन्हें एडवेंचर एक्टीविटीज के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस तरह की एक्टीविटीज फाइंड योर एवरेस्ट कार्यक्रम के तहत आयोजित की जाती हैं। अर्जुन का मानना है कि एडवेंचर एक्टीविटीज बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से न केवल स्वस्थ रखती है बल्कि मजबूत भी बनाती है। इस प्रोग्राम के तहत स्कूल में वाद-विवाद, लीडरशिप और टीम बिल्डिंग एक्टीविटीज आयोजित की जाती हैं। उनका मानना है कि यहां सिर्फ बॉलीवुड और क्रिकेट ही नहीं है बल्कि बहुत सारी चीजें हैं, जिसके प्रति रुझान बढ़ाया जाता है। उनका कार्यक्रम बच्चों को इसी तरफ मोटीवेट करता है।
अर्जुन की भूमिका में दिख रहे ऋतिक
- साल-2०12 में जब अर्जुन चीन-नेपाल बॉर्डर स्थित माउंट चो-यू को फतह करने के लिए गए थे, तो वहां दुर्भाग्य से उन्हें खतरनाक बर्फीले तूफान से जूझना पड़ा था। खराब स्थिति के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा था। उनकी इसी स्टोरी पर माउंटेन-ड्यू द्बारा एक टीवी-कॉमर्शियल बनाया गया है, जिसमें अर्जुन की चो-यू के दौरान के संघर्ष को फिल्माया गया है। इसमें फिल्म स्टार ऋतिक रोशन अर्जुन की भूमिका निभा रहे हैं। बॉलीवुड के माचो मैन ऋतिक ने इसे गौरव की बात माना है कि उन्हें करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत अर्जुन की भूमिका निभाने को मौका मिल रही है। ऋतिक ने कहा कि अर्जुन एक सच्ची प्रेरणा हैं। उनकी कहानी को दिखाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
अर्जुन वाजपेयी के नाम रिकॉर्ड
- दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर ऊंची) को साल-2०1० में फतह कर भारत के तीसरे और दुनिया के सबसे युवा पर्वतारोही बने।
- साल-2०11 में दुनिया में सबसे कम उम्र में किया दुनिया की चौथी ऊंची चोटी माउंट लोहात्से (8,516 मीटर ऊंची) को फतह।
- साल-2०11 में ही दुनिया की आठवीं ऊंची चोटी माउंट मनासलू (8,156 मीटर ऊंची) को किया फतह। दुनिया में सबसे कम उम्र में इस चोटी को फतह करने का रिकॉर्ड भी अर्जुन के नाम है।
- दुनिया की छठवीं सबसे ऊंची चोटी चो-यू (8,2०1 मीटर ऊंची) को साल-2०15 में फतह कर अर्जुन ने सबसे कम उम्र में यह कमाल किया।
- दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू (8,485 मीटर ऊंची) को साल-2०16 में फतह कर सबसे कम उम्र में अर्जुन वाजपेयी ने यह रिकॉर्ड भी अपने नाम किया।
- 2० मई 2०18 दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा पर विजय।
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