ट्यूशन, कोचिंग के बगैर 'टॉप’




   By Bishan Papola May 26, 2018
   किसी भी परीक्षा में अगर आप पूरे देश को टॉप कर रहे हैं तो निश्चित ही उसकी खुशी, उसका अनुभव और उसका उत्साह अलग ही होता है। सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षा में नंबर-वन पर रहने वाली मेघना श्रीवास्तव भी ऐसे ही अनुभव की साक्षी बन गई हैं। उन्होंने कमाल कर दिया। 5०० में से 499 नंबर। इसके लिए न तो उन्होंने कभी ट्यूशन लिया और न ही कोचिंग। उन्होंने यह भी कभी नहीं सोचा था कि वह पूरे देश को टॉप कर पाएंगी। ऐसे में, अगर, उन्होंने यह कमाल किया है तो उसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अपनी सफलता से कितनी खुश और  उत्साहित होंगी।

 मेघना नोएडा के स्टेप-बाय-स्टेप सीनियर सेकेंड्री स्कूल की छात्रा हैं। उन्होंने अंग्रेजी में 99 के अलावा अर्थशास्त्र, भूगोल, साइकोलॉजी और इतिहास में 1०० फीसदी नबंर पाए हैं। महज, अंग्रेजी में एक नबंर कट गया। मेघना अपनी सफलता को लेकर काफी उत्साहित हैं, लेकिन वह कहती हैं कि मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मैं 5०० में 499 नंबर ला पाऊंगी, लेकिन मैंने हमेशा बहुत मेहनत की। मेघना ने आगे कहा कि यह समय मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी का है, जिसका अनुभव अपने-आप में बेहद अलग होता है। मेरा तो यही मानना है कि अपना काम मेहनत से करते रहना चाहिए, रिजल्ट खुद ही मिल जाता है। मेघना ने अपने माता-पिता के सहयोग की तारीफ करते हुए कहा कि पूरे साल पढ़ाई के दौरान मुझे घर पर माता-पिता का बहुत सहयोग मिला।
 मेघना ने बताया कि जिस समय रिजल्ट आया, मैं स्क्रीन की तरफ नहीं देख रही थी। मेरे पापा ही मेरा रिजल्ट देख रहे थे और उन्होंने मुझे बताया कि मैंने टॉप किया है। फिर मेरे दोस्तों के मैसेज और स्कूल टीचर्स के फोन आने लगे। मुझे अच्छे रिजल्ट की अवश्य उम्मीद थी, लेकिन टॉपर बनूंगी ऐसा नहीं सोचा था।
 मेघना ने अभी भविष्य के बारे में बहुत कुछ नहीं सोचा है, लेकिन मोटा-मोटा यह सोचा है कि वह साइकोलॉजी की पढ़ाई करना चाहेंगी और भविष्य में कम्युनिटी सर्विस करने का मन रखती हैं। मेघना ने बताया कि उन्होंने उत्तराखंड के दो गांवों में कम्युनिटी सर्विस भी की है, जिसका अनुभव उसको बेहद खुशी देने वाला रहा।

 न ट्यूशन, न कोचिंग
 मेघना की मां अल्पना श्रीवास्तव गुरुग्राम की एक कंपनी में एचआर हेड हैं। वहीं, पिता गौतब श्रीवास्तय मानव रचना विवि में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं। दोनों ही घर से बाहर जॉब के लिए जाते हैं। उस दौरान भी मेघना घर में पढ़ती थी। मेघना अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है। मेघना ने बताया कि जितना सपोर्ट उनके माता-पिता उन्हें करते हैं, उससे अच्छा दोस्त आज तक नहीं मिल सका। उन्होंने पढ़ाई के दौरान कभी ट्यूशन और कोचिग नहीं ली।
 हिंदी सीरियल देखने का शौक
 मेघना के पिता गौतब श्रीवास्तव ने बताया कि मेघना को हिदी सीरियल देखने का बेहद शौक है। वह सीरियल के साथ नेट पर जानकारी जुटाने का भी शौक रखती हैं। हमने उस पर कभी अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेशर नहीं डाला। ऐसा करने से उसके मन में क्या असर पड़ता यह तो हम नहीं कह सकते, लेकिन जो भी वह पढ़ती थी, मन लगाकर पढ़ती थी। शायद, इसी की नतीजा है कि वह आज टॉपर है। फिलहाल, यह सिलसिला उसका कायम रहे, इसके लिए वह मेहनत करती रहेगी।
लड़के व लड़कियों में न हो फर्क
 मेघना कहती हैं कि लड़कों व लड़कियों में फर्क करना शर्मनाक है। लड़कियों ने बाजी मारी, लड़के हार गए। ऐसा नहीं होना चाहिए। यह भी अंकों का खेल है, जिसके जितने अंक आए, वह उतना आगे रहेगा। इसको लिंग भ्ोद की दृष्टिकोण से बिल्कुल भी नहीं देखा जाना चाहिए, जो मेहनत करेगा वह आगे जाएगा।

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