बेबसी में सच बोल
बेबसी में ही सही पाक के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सच बात उगल ही दी।
बशर्ते, यह बात पाक के हुकमरानों को सही नहीं लगी हो, लेकिन जब सच्चाई किसी ऐसे ही
हुकमरान के मुंह से बाहर निकलती है तो उसके मायने ही बदल जाते हैं। पाक में भले ही
नवाज शरीफ के खिलाफ बौखलाहट के सुर सुनाई देने लगे हों और उनके खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट
में देशद्रोह की याचिका दाखिल कर दी गई हो, लेकिन दुनिया इस बात को हमेशा से जानती
रही है कि पाक आंतकवादी संगठनों का गढ़ है।
पाक में रहने वाला एक बड़ा वर्ग भी इस बात
को स्वीकार करता रहा है, पर हुकमरान आंतकवादियों को शह देते रहे और इस दौर में पाक
की जमीन आंतकवादियों को पैदा करने वाली मंडी बन चुकी है। मुंबई हमले का मास्टर माइंड
हाफिज सईद जब पाक में खुलेआम घूम रहा हो और भारत के खिलाफ उकसावे की गतिविधियों से
लगातार जुड़ा हुआ हो तो इसे क्या समझा जाए, यही ना चाहे दुनिया चि“ाए या फिर पाक की
ही कोई बेबस आवाज सच कहे तो भी कोई अंतर आने वाला नहीं है। भले ही नवाज शरीफ ने पाक
में आंतकवादी संगठनों के सक्रिय होने, मुबंई हमले में पाक के आंतकवादियों की सीधी भूमिका
होने की बात स्वीकारी हो, लेकिन इस बात पर आश्चर्य होता है कि आखिर कार्रवाई कौन करेगा,
जबकि अभी भी पाक में नवाज शरीफ की पार्टी की ही सरकार चल रही है। क्या वह स्वयं अपनी
पार्टी की सरकार पर इसके लिए दबाव बनाएंगे। इसकी उम्मीद करना भी बेमानी ही साबित होगी।
इससे पूर्व 2००9 में तत्कालीन पाकिस्तान
पीपुल्स पार्टी की सरकार के गृहमंत्री रहमान मलिक ने भी स्वीकार किया था कि मुबंई हमले
को किस तरह से पाक की जमीन से अंजाम दिया गया था, लेकिन मजे की बात यह रही है कि इस
मामले में न तो पीपीपी की और न ही नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने दोषियों के खिलाफ
कार्रवाई की। इन परिस्थितियों में आगे भी किसी तरह की उम्मीद पाक सरकार से नहीं की
जा सकती है। ग्लोबलाइजेशन के दौर में जब विकास और आधुनिकीकरण को लेकर होड़ चल रही है,
ऐसे में महज आंतकवादियों को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति की वजह से पाक दुनिया में हंसी
का विषय ही बना हुआ है। अगर, पाक का कोई हुक्मरान किसी विदेश दौरे पर जाता है तो उससे
तल्ख सवाल पूछे जाते हैं और उसे एक अलग नजर से देखा जाता है। ऐसे में, पाक के लोगों
को इसमें आत्मग्लानि न हो ऐसा नहीं है। लिहाजा, पाक को इस संबंध में आत्ममंथन करने
की जरूरत है। जब किसी काम की अति स्वयं के गले ही न उतरे तो उससे न तो दूसरे का हित
होने वाला है और न ही स्वयं का।
सच्चाई को स्वीकार करने वाले नवाज शरीफ स्वयं आज कठघरे
में खड़े हैं। क्या जब वह सत्ता में रहे, उन्हें इसका पता नहीं था। उनके नेतृत्व वाली
सरकार के दौरान भी तमाम आंतकवादी गतिविधियां पाक से चलती रही हैं। सीमा पार से आंतकवादी
हमले होते रहे। तब शरीफ कहां सोए थ्ो, जब वह भ्रष्टाचार की वजह से पद से हटाए जा चुके
हैं, तब उन्हें इस बात का अहसास हो रहा है कि आंतकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना गलत
है। इन परिस्थितियों में वह अपनी पार्टी की सरकार दबाव बनाएं और पाक से चल रहे आंतकवादी
संगठनों को खत्म करे। उनके आंतकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जो मुंबई हमले में
शामिल रहे हैं। तब उम्मीद की जा सकती है कि पाक अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने लगा है।
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