''पाकिस्तान’’: कर्ज में डूबा है जीडीपी का 61.1 प्रतिशत हिस्सा


 नए पीएम इमरान खान के सामने कर्ज से बाहर निकालने की चुनौती 
 महज 5.6 प्रतिशत है जीडीपी ग्रोथ
 सबने एक साथ कर्ज मांगा तो हो जाएगा दिवालिया
 भारत के पड़ोसी देश ''पाकिस्तान’’ में नई 'सरकार’ बन गई है। मशहूर क्रिकेटर ''इमरान खान’’ ने ''प्रधानमंत्री’’ के तौर पर शपथ भी ले ली है। पाकिस्तान को बुरे हालातों से बाहर निकालने की चुनौती इमरान खान के सामने है। सबसे बड़ी चुनौती 'आर्थिक तंत्र’ को मजबूत करना और कर्ज में डूबे देश को उससे बाहर निकालने की है। पाकिस्तान 'कर्ज’ तले ऐसे डूबा है कि अगर, सभी देश व संस्थाएं उससे एक साथ कर्ज मांगने लगे तो वह एक दिन में ही 'दिवालिया’ हो सकता है। यह सच्चाई है कि जब देश की आर्थिक स्थिति ठीक होगी, तभी दूसरे मोर्चे पर 'पाकिस्तान’ की नई सरकार कुछ बेहतर करने की उम्मीद कर सकती है। जैसे रोजगार को बढ़ावा देना, देश के आंतरिक ढांचागत व्यवस्था को सुधारना, मेडिकल, शिक्षा, ट्रांसपोर्ट आदि की व्यवस्था में सुधार लाना। ये सभी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन इसके लिए सबसे बड़ी जरूरी बात यही है कि देश को आर्थिक दिक्कतों से कैसे बाहर लाया जाए। 


कर्ज की बात करें तो पाकिस्तान कर्ज का पर्यायवाची बन चुका है। सभी जानते हैं कि उसका कर्ज के प्रति चीन पर सबसे अधिक निर्भरता तो है ही, बल्कि पाकिस्तान ने चीन के अलावा 'वर्ल्ड बैंक’, 'आईएमएफ’, 'एशियन डेवलपमेंट बैंक’, 'अमेरिका’, 'यूरोप’ आदि देशों से भी करोड़ों-अरबों डॉलर कर्ज लिया हुआ है। दूसरे शब्दों में समझें तो 'पाकिस्तान की जीडीपी’ का 61.1 प्रतिशत हिस्सा कर्ज में डूबा हुआ है। इसीलिए दुनिया भर की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने पाकिस्तान को बी-3 की खराब रेटिंग दी हुई है। 
 'पाकिस्तान की जीडीपी’
 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार एक राष्ट्र के तौर पर पाकिस्तान की 'जीडीपी’ फिलहाल 283.7 बिलियन डॉलर है और पाकिस्तान सरकार की जीडीपी ग्रोथ 5.6 है, जिसे सरकार 6 प्रतिशत पर ले जाने की कोशिश कर रही है। जीडीपी के मामले में ईरान और बांग्लादेश, पाकिस्तान के प्रतिद्बंदी बने हुए हैं। ईरान की जीडीपी 393 बिलियन डॉलर है, जबकि बांग्लादेश अभी पाकिस्तान से पीछे है। बांग्लादेश की जीडीपी फिलहाल 221 बिलियन डालर है। 
 सामान के लिए भी है अन्य देशों पर है निर्भरता
 पाकिस्तान का आर्थिक तंत्र जिस प्रकार कर्ज के बोझ तले डूबा हुआ है, वहीं सामान की निर्भरता भी उसके दूसरे देशों पर ही है। आर्थिक मोर्च के साथ-साथ सामान के आयात पर भी पाकिस्तान की 'चीन’ पर सबसे अधिक निर्भरता है। पाकिस्तान चीन से 28 प्रतिशत सामान आयात करता है। दूसरे नबंर पर यूएई है, जहां से पाकिस्तान 14 प्रतिशत सामान आयात करता है। साउदी अरब से 4 प्रतिशत, कुवैत से 3 प्रतिशत और भारत से 3 प्रतिशत सामान का आयात करता है। पाकिस्तान इन देशों से जिन सामानों का आयात करवाता है, उनमें खाने के अलावा 'टैक्सटाइल’ व 'पेट्रोलियम’ आदि से संबंधित उत्पाद शामिल हैं। 



पाकिस्तान का 'निर्यात’
पाकिस्तान खनिज पदार्थों से संपन्न देश भी है, लेकिन उसके उपयोग पर ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से वह आर्थिक रूप से पिछड़ता जा रहा है। जिस प्रकार पाकिस्तान बहुत से उत्पादों का आयात करता है, उसी प्रकार निर्यात भी करता है। पाकिस्तान सबसे अधिक चीजों का निर्यात अमेरिका को करता है। 'अमेरिका’ को पाकिस्तान से 17 प्रतिशत तक चीजों का निर्यात किया जाता है। इसके अतिरिक्त चीन को 8, 'अफ्गानिस्तान’ को 6, 'जर्मनी’ को 6, 'यूएई’ का 4 और 'बांग्लादेश’ को 3 प्रतिशत सामान का निर्यात किया जाता है। निर्यात किए जाने वाले सामानों में 'पेट्रोलियम’, 'मशीनरी’, खाना, कृषि से जुड़े सामान व कैमिकल आदि उत्पादों का निर्यात किया जाता है। 
पाकिस्तान से आगे है 'महाराष्ट्र’
पाकिस्तान की आबादी करीब 2० करोड़ है, जो धीरे-धीरे बढ़ रही है। जनसंख्या का लोड बढ़ने के साथ ही उनके अनुरूप देश की आर्थिक स्थिति नहीं सुधर पा रही है। पाकिस्तान में अधिकांश लोग आज 'गरीबी रेखा’ के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। भले ही 'पाकिस्तान’ के नए पीएम इमरान खान ने शपथ लेने से पहले कहा था कि हम पाकिस्तान को ऐसा आर्थिक संपन्न देश बनाएंगे कि भारत भी हमसे कर्ज मांगेगा। ऐसा कह देना आसान है, लेकिन सच्चाई में धरती-आसमान का फर्क है। इमरान खान भले ही ऐसा कह रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान भारत के महाराष्ट्र राज्य से भी मुकाबला करने की स्थिति में फिलहाल नहीं है, क्योंकि महाराष्ट्र की जीडीपी पाकिस्तान से कहीं अधिक है। पाकिस्तान की जीडीपी जहां 283.7 बिलियन डालर है, वहीं, महाराष्ट्र की कुल जीडीपी 39० बिलियन डालर है। ऐसे में, अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब पाकिस्तान को महाराष्ट्र की बराबरी करने में ही वर्षों बीत जाएंगे तो भारत की बराबरी करना आसान काम नहीं है। 
 महाराष्ट्र भारत की आर्थिक राजधानी है। राज्य की मजबूत अर्थव्यवस्था का आधार यहां के प्रमुख शहर, 'मुबंई’, 'पुण्ो’, 'नागपुर’ और 'औरंगाबाद’ आदि हैं। मुंबई से देश के आयात-निर्यात का बड़ा हिस्सा जुड़ा हुआ है। फिल्म उद्योग भी मुबंई है, जिससे राज्य के आर्थिक तंत्र को बहुत मजबूती मिलती है। महाराष्ट्र की आबादी करीब 11.4 करोड़ है, जिसमें से अकेले मुबंई में 2 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें अधिकांश उद्योगपति और बड़े-बड़े निवेशक हैं। महाराष्ट्र में अकेले 28 अरबपति रहते हैं।
 'चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ से उम्मीद
चीन पर पाकिस्तान की आर्थिक निर्भरता पूरी तरह बनी हुई है। चीन भी व्यापक स्तर पर पाकिस्तान में निवेश कर रहा है। सबसे निवेश बड़ा निवेश चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर है, यह ऐसा प्रोजेक्ट है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है। बता दें कि चीन के काशगर से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक बनने वाला यह कॉरिडोर चीन को सीध्ो मध्य एशिया और यूरोप तक सड़क मार्ग से जुड़ेगा, जिससे पाकिस्तान को भी काफी फायदा पहुंचेगा। इस कॉरिडोर के बनने से पाकिस्तान को उम्मीद है कि इससे उसका इंफ्रास्ट्रHर विकसित होगा और बदले में उसके जल, सौर, उष्मा और पवन संचालित ऊर्जा संयत्रों के लिए 34 बिलियन डॉलर की संभावित प्रा’ि होगी, जिससे उसकी गंभीर ऊर्जा संकट में कमी आएगी या वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। भविष्य में 'सीपीइसी’ का हिस्सा बनने को लेकर ईरान, रूस, सऊदी अरब भी काफी उत्साहित हैं। इस संभावना से इस इकोनोमिक कॉरिडोर के रहस्य को और बढ़ा दिया गया है। इस कॉरिडोर का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इस सौदे से चीन पाकिस्तान को आठ पनडुब्बी की आपूर्ति भी करेगा, जिससे पाकिस्तान की नौसैनिक शक्ति और बढ़ जाएगी।


 क्या है 'इकोनोमिक कॉरिडोर’
 चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानि आर्थिक गलियारा। जिसे उर्दू में पाकिस्तान-चीन इकतिसादी राहदारी कहते हैं। यह एक बड़ी 'वाणिज्यिक परियोजना’ है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्व क्ष्ोत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है। आर्थिक परिपेक्ष्य में यह बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है। यह कॉरिडोर चाइना के काशगर से पाकिस्तान के ग्वादर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना में 46 बिलियन डॉलर की लागत आने का अनुमान है। यह कॉरिडोर 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’, गिलगित-बाल्टिस्तान और ब्लूचिस्तान होते हुए ग्वादर जाएगा। बताया जा रहा है कि इस कॉरिडोर की वजह से ग्वादर इंदरगाह को इस तरह से विकसित किया जा रहा है कि वह 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीध्ो भ्ोजने में सक्षम होगा। बता दें भारत ने इस कॉरिडोर का विरोध किया था। भारत ने इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार इसे अवैध माना है, क्योंकि यह पाक अधिकृत से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। 



No comments