पाक, इमरान और चुनौती


   ''पाकिस्तान’’ में हाल ही में हुए आम चुनावों में पाकिस्तान ''तहरीक-ए-इंसाफ’’( पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। जिसके प्रमुख और अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर ''इमरान खान’’ पाकिस्तान के ''वजीर-ए-आजम’’ यानि ''प्रधानमंत्री’’ बनने जा रहे हैं। आगामी 11 अगस्त को एक साधे समारोह में उनका शपथ होगा, जिसकी तैयारियां पाकिस्तान में की जा रही हैं। पाकिस्तान में होने जा रहा सत्ता परिवर्तन न केवल स्वयं पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत व दुनिया के परिपेक्ष्य में भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाकिस्तान के रिश्ते जिस तरह से खासकर भारत के साथ कटुतापूर्ण रहे हैं, वह चिंता का विषय रहा है।
  पाक के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने अपनी कथनी और करनी में भारी अंतर रखा, जिसकी वजह से सीमा पर हमेशा ही तनाव स्थिति रहती आई है। सीमा पार से आंतकवादियों को शह देने का काम हमेशा ही पाकिस्तान करता आया है। ''अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी’’ से फटकार सुनने के बाद भी अगर, पाकिस्तान अपनी गलतियों को दोहराता रहा है तो इसका यही मतलब निकलता है कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ जहर उगलने में ही मजा आता है, लेकिन इस दौर में उसके परिणामों से होने वाले नुकसान के संबंध में सोचना जरूरी होगा। इससे भारत का नुकसान तो होता ही है, लेकिन पाकिस्तान को भी भारी क्षति उठानी पड़ती है। 
 अगर, विकास की राह में तेजी से आगे बढ़ना है और पड़ोसियों के साथ रिश्तों को सुधारना है तो पाक को आंतकवाद के साए में काम करने की आदत छोड़नी होगी। सीमा पर जिस से तरह आंतक की फैक्ट्रियां चल रही हैं, उन्हें निहायत ही बंद करना होगा। तभी शांति और सद्भावना का रास्ता प्रशस्त होगा। 
 ''भारत’’ के अलावा ''अफगानिस्तान’’ के साथ भी पाक के रिश्ते सीमा विवाद के चलते हमेशा ही तनावपूर्ण रहे हैं। कम आबादी वाला देश होने के बाद भी अगर, पाकिस्तान अपनी तुच्छ मानसिकता से बाज नहीं आएगा तो उसको विश्व समुदाय के साथ स्वयं को खड़ा करने में काफी दिक्कत आएगी। उम्मीद इमरान खान से यही की जा सकती है कि वह इस मोर्चे पर पूर्व प्रधानमंत्रियों से कुछ अलग सोचें और करके दिखाएं, तभी पाकिस्तान का बेड़ा पार हो पाएगा। 
 अगर, पाकिस्तान के आंतरिक मुद्दों की बात करें तो वह भी तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा, आंतरिक लड़ाई-झगड़े, आंतकवाद का साया, आर्थिक दबाव जैसे तमाम और बड़े मुद्दे शामिल हैं, जिनका हल निकालना जरूरी तो है ही, लेकिन यह बेहद चुनौतीपूर्ण भी है। पाकिस्तान में हमेशा देखा जाता है कि वहां की सरकार सेना के ईशारे पर चलती है। और यह भी माना जा रहा है कि इमरान खान की पार्टी की हुई बड़ी जीत के पीछे भी सेना का बड़ा हाथ रहा है, ऐसे में हर क्ष्ोत्र की समस्याओं को हल करने की चुनौती और बढ़ जाती है। जब तक जनता द्बारा चुनी हुई सरकार सेना के प्रेशर से बाहर नहीं आएगी, तब तक दूसरे मोर्चो पर तरक्की करना आसान नहीं होगा। पाक सेना हमेशा ही इन कोशिशों में लगी रहती है कि कैसे पड़ोसियों के खिलाफ सीमा क्ष्ोत्रों में युद्ध के हालत बनाए रख्ो जाए, क्योंकि इससे दूसरे बड़े और गंभीर मुद्दों से ध्यान हट जाता है। पाक में भ्रष्टचार के हालत सभी को पता हैं। देश कर्ज तले डूबा हुआ है, इसके बाद भी जो भी सत्ता में आया, उसने सरकारी धन का खूब दुरुपयोग किया है। देश का खजाना खाली कर महज अपना ही खजाना भरा है। ऐसे में, इमरान खान कैसे नया और कुल अलग कर पाएंगे, यह पाकिस्तान के इतिहास में महत्वपूर्ण होगा। वह कितना काम कर पाएंग, यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है, लेकिन उम्मीद तो निश्चित ही की जानी चाहिए, लेकिन इन सब उम्मीदों के बीच इमरान खान जिस प्रकार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले सरकारी हेलीकॉप्टरों के दुरुपयोग के संबंध घिर गए हैं, वह एक बारीकी यह सोचने को निश्चित ही मजबूर करता है कि इमरान खान द्बारा चुनावों में किए गए दावे, दावे ही रहेंगे या फिर वह भी सरकार का खजाना खाली कर चले जाएंगे। 
 यहां बता दें कि देश की भ्रष्टाचार रोधी निकाय 72 घंटे से अधिक समय तक सरकारी हेलीकॉप्टरों से दुरुपयोग के प्रांतीय सरकार के खजाने को 21.7 लाख रुपए के नुकसान होने के संबंध में जांच कर रही है। इस संबंध में निकाय ने इमरान खान को समन भ्ोजा है, जिसके के संबंध में उन्हें सात अगस्त को पेश होने के लिए कहा गया है। 



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