नौकरशाही और भ्रष्टाचार


   उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में अवैध खनन मामले में सीबीआई ने देश की चर्चित आईएएस अफसर बी.चंद्रकला के घर पर छापेमारी की। उनके घर से दो किलो सोना बरामद किया गया। साथ ही, सीबीआई ने उनके दो बैंक खातों को भी सीज किया। सिविल सर्विस में आने के बाद जिस तरह चंद्रकला की संपत्ति में इजाफा हुआ है, वह चौंकाने वाला है, जबकि नौकरी शुरू करने के दौरान वह शून्य पर थीं। ऐसे में, यह सवाल उठाना बहुत लाजिमी है कि आखिरकार इतने कम समय में इतनी संपत्ति कैसे जुटा ली गई ? और कहां से? क्या इसमें भ्रष्टाचार की बू नहीं आती है ? यह वही चंद्रकला हैं, जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हैं और दुनियाभर को ईमानदारी का पाठ पढ़ाती नजर आती हैं। 
B.Chandrakala IAS
   चंद्रकला द्बारा अधिकारियों को हड़काने के तमाम वीडियो सोशल मीडिया साइट पर वायरल होते रहते हैं, जिन्हें देखकर एकबारीकी यही लगता है कि वास्तव में देश को ऐसे ही ईमानदार अफसरों की जरूरत है। युवा पीढ़ी तो ऐसे अफसरों को अपना रोल मॉडल तक मान लेती है, लेकिन जब पता चलता है कि जो स्वयं को रोल मॉडल की तरह पेश कर रहे हैं, वे तो भ्रष्टाचारी हैं, इसका लोगों पर क्या असर पड़ सकता है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या ऐसे अफसरों को स्वयं के बारे में सोचकर आत्मग्लानि नहीं होती होगी। जो स्वयं को सोशल मीडिया पर तो खूब ईमानदार दिखाते हैं और वास्तव वे भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबे रहते हैं। क्या यह जनता व ऐसे अफसरों को रोल मॉडल मानने वाले लोगों के प्रति धोखा नहीं है? 
 बिरले ही नौकरशाह ऐसे होते हैं, जो बेहद ईमानदारी से काम करते हैं। ऐसे अफसरों को सोशल मीडिया आदि पर वीडियो डालकर कुछ भी दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वे महज अपने काम में लगे रहते हैं, लेकिन जो अफसर दिखाने के लिए इस तरह के हथकड़े अपनाते हैं, निश्चित ही यह बड़ा अजीब लगता है। अगर, कोई नौकरशाह अपने मातहत अधिकारियों और कर्मचारी को बेहतर काम के लिए डांटे डफटे तो यह उसका काम है। इसमें उसने अनोखा क्या कर दिया? सरकार उसको इसी काम के लिए मोटी पगार, गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर मुहैया कराती है। इन सब सुख सुविधाओं के बाद भी कोई नौकरशाह नियमों के विरूद्ध जाकर काम करता है तो यह निश्चित ही बहुत चिंताजनक है, क्योंकि एक डीएम या फिर किसी भी विभाग में उच्च पद पर बैठे अधिकारी के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। अगर, वह ही लालच में आकर भ्रष्टाचार में लि’ हो जाता है तो इसका उसके मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा।
 राजनीति और नौकरशाही का चोली-दामन का संबंध होता है। वैसे तो बहुत कम नौकरशाहों से यह उम्मीद की जा सकती है कि वे सत्ता के गलियारों में रहने के बाद भ्रष्टाचार से बच पाएंगे। सच्चाई यह भी है कि राजनेताओं को भ्रष्टाचारी बनाने में अफसरों की ही चतुराई होती है। जितना कौशल एक नौकरशाह के पास हो सकता है, उतना कौशल एक राजनेता के पास नहीं हो सकता है, इसीलिए एक राजनेता के मंत्री बनने के बाद उसके सलाहकारों में ऐसे ही नौकरशाह शामिल होते हैं, जो उन्हें हर बारीकी से रुबरु कराते हैं। बहुत से नेताओं को तो यह पता ही नहीं होता है कि किस योजना, परियोजनाओं का कितना बजट है और उस योजना और परियोजना में कितनी धनराशि खर्च की जानी है। नेताओं को इसकी शिक्षा भी नौकरशाहों से ही मिलती है, इसीलिए इसकी गुंजाइश बहुत कम रहती है कि सत्ता के गलियारों में ईमानदारी से काम होता है। जो नौकरशाह बेदाग और ईमानदार होते हैं, वे खुलकर भ्रष्टाचारी नेताओं और भ्रष्टाचार की खिलाफत करते हैं। बशर्ते, उन्हें कोई भी नुकसान क्यों न झेलना पड़े। वह अपने ईमान से बिल्कुल भी नहीं डिगते हैं। अक्सर, बहुत-से उदाहरण देखने को मिलते हैं। कई नौकरशाहों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। उन्हें या तो समय-समय टàांसफर और ट्रांसफर के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है या फिर नौकरी छोड़कर। इसके इतर, उन नौकरशाहों से ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जा सकती है, जो नेताओं की चरणवंदना करते हुए अच्छे-अच्छे और मलाईदार पदों पर पोस्टिंग पा लेते हैं। चंद्रकला भी ऐसी ही अफसर हैं। 
  अखिलेश सरकार में वह प्रदेश की सबसे ताकतवर अफसरों में से एक थीं। अखिलेश राज में उन्हें कर्इ जिलों की कमान मिली थी। तभी वह कई मामलों को लेकर चर्चा में आईं। चाहे वह सारेआम अफसरों व कर्मचारियों को फटकार लगाने की बात हो या फिर किसी मीडियाकर्मी को हड़काने की बात हो। उस वक्त उनकी छवि एक कड़क और ईमानदार अफसर के रूप में थी, लेकिन अब जो उन पर आरोप लग रहे हैं, उससे लगता है कि उनका सोशल मीडिया पर प्रचारित होने का स्टंट अपनी भ्रष्टाचारी नियत को ही छुपाने का एक तरीका था। जिससे लोग आसानी से यह न मान पाएं कि चंद्रकला जैसी अफसर भी भ्रष्टाचारी हो सकती हैं ? 


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