विकास पर लगेगा 'ब्रेक’


    
   लोकसभा चुनावों को लेकर देश में जोरशोर से माहौल तैयार हो रहा है। बीजेपी के खिलाफ सारी पार्टियां एकजुट हो चुकी हैं। सर्वे भी सामने आने लगे हैं। जिनमें त्रिशंकु सरकार की संभावनाएं जताई जा रही हैं। बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के महागठबंधन के प्रयास के बीच पूर्व आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन द्बारा स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रहे 'world economic forum' में कही गई बात बहुत मायने रखती है। उन्होंने आशंका जताई है कि भारत में गठबंधन सरकार बनी तो विकास पर ब्रेक लग जाएगा। राजन की इस बात से जहां पीएम मोदी की इस बात को बल मिलता है कि देश को मजबूर नहीं, बल्कि मजबूत सरकार चाहिए, वहीं महागठबंधन में शामिल पार्टियों के उन दावों को झटका लगता है, जिसमें कहा जाता रहा है कि पीएम मोदी ने जुमलेबाजी के अलावा कुछ नहीं किया। 

Raghuram Rajan, Former Governor Of Reserve Bank of India (RBI) 
     मौजूदा विकास दर के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसे पूरी दुनिया जानती है। अभी हाल ही में स्वयं रघुराम राजन ने ही माना था कि आने वाले समय में भारत चीन से भी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। अगर, नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े फैसलों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से ग्रो कर रही है तो महागठबंधन में शामिल पार्टियों द्बारा किए जाने वाले दावे कहीं भी नहीं ठहरते हैं। ऐसे में, मौजूदा हालातों में सरकार बदलने की वजह से परिवर्तन आता है तो निश्चित ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी। अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बनाए रखना है या फिर उसे और रफ्तार देनी है तो निश्चित ही इस पर देश की जनता को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। 
 जीएसटी व नोटबंदी जैसे फैसलों के तात्कालिक परिणाम जो भी रहे हों, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम निश्चित ही प्रभावित करने वाले हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया ने सारी चीजें इतनी आसान कर दी हैं कि किंतु-परंतु की संभावनाएं बिल्कुल ही खत्म हो गईं हैं। टैक्स चोरी व इसमें घपलेबाजी की जो संभावनाएं पहले रहती थीं, अब ऐसी स्थितियां बहुत कम देखने को मिल रही हैं। दूसरा, टैक्स पेयदाताओं को संबंधित विभागों के चक्कर लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है। इन सब प्रक्रियाओं से अगर सरकार का खजाना भर रहा है तो इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज होगी और देश में संसाधनों का विकास भी किया जाएगा। सरकार के पास पैसा होगा तो निश्चित ही हर तरह के इंफ्रास्ट्रHर को मजबूती देने में मदद मिलेगी। 
 ऐसे में, यह किसी सरकार के लिए भी और देश की जनता के लिए गर्व का विषय होना चाहिए कि देश के विकास में उनका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान बढ़ रहा है। जनता को पार्टी विश्ोष की मानसिकता से बाहर निकलकर देश के विकास के परिपेक्ष्य में निर्णय लेना चाहिए। यह अर्थव्यवस्था में मजबूती का ही नतीजा है कि आज दुनिया के सबसे ताकतवर देशों की सूची में India चौथ्ो स्थान पर है। भारत से महज America, Russia और चीन ही आगे हैं। भारत की GDP के आगे अमेरिका और चीन जैसे देश भी पस्त हैं। भारत की जीडीपी दर 8.2 फीसदी है तो China की GDP की दर 6.7 फीसदी है। वहीं, America की GDP महज 4.2 फीसदी है। ऐसे में, अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश आर्थिक महाशक्ति बनने की तरफ तेजी से अग्रसर हो रहा है। आज GST का मासिक टैक्स कलेक्शन एक लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। 
 अगर, इतनी बड़ी रकम हर माह देश के खजाने में जमा हो रही है तो यह रकम देश के विकास में ही काम आएगी। बहुत से क्ष्ोत्र आज भी संसाधनों के अभाव से जूझ रहे हैं। देश में कई तरह के उद्योगों में जान फूंकने की जरूरत है, शिक्षा, मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, रेलवे जैसे क्ष्ोत्रों में बड़े निवेश के साथ-साथ खर्च करने की भी जरूरत है। इन क्ष्ोत्रों का विकास पैसों के दम पर ही होगा। लिहाजा, इसके लिए जरूरी है कि सरकार के खजाने में रकम हो। कर्ज तले डूबने से कभी भी संसाधन मजबूत नहीं किए जा सकते हैं। ऐसे में, जरूरत इस बात की है कि हम देश की जरूरत को समझें। बहुत से क्ष्ोत्र ऐसे भी हैं, जहां सरकार नहीं पहुंच पाई है, उस पर निश्चित ही फोकस किए जाने की जरूरत है। चाहे वह रोजगार को बढ़ावा देने का क्ष्ोत्र हो या फिर किसान और कृषि क्ष्ोत्र के विकास की बात हो। ये क्ष्ोत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये दोनों क्ष्ोत्र ऐसे हैं, जिन पर देश की सबसे बड़ी आबादी निर्भर है। कृषि क्ष्ोत्र में देश की 7० फीसदी आबादी निर्भर करती है, वहीं भारत युवाओं का देश भी है। 
 लिहाजा, कृषि क्ष्ोत्र से जुड़े लोगों के लिए चाहिए कि सरकार उनके उत्पादन का उचित मूल्य दिलाए और उनकी आय को बढ़ाने के लिए बेहतर रास्तों को खोजे, वहीं युवाओं को रोजगार देने के लिए भी सरकार के पास रास्ता होना चाहिए। हम मानते हैं कि महज सरकारी क्ष्ोत्रों में इतने रोजगार पैदा नहीं हो सकते हैं, लेकिन प्राइवेट सेक्टर को भी मजबूती दी जाए, वहां निवेश की संभावनाओं को बढ़ाया जाए, तभी रोजगार की मल्टीपल संभावनाएं पैदा होंगी। दूसरा, वहां काम करने वाले लोगों की जॉब सिक्योरिटी से लेकर दूसरी जरूरतों की तरफ भी गंभीरता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
 तकनीकी जमाने के साथ माहौल बदला है और लोगों की सोच भी बदली है, लेकिन देश की बड़ी आबादी आज भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि के बीच बंटी हुई है। इन परिस्थितियों में जब सरकार चुनने की बात आती है तो वहां विकास को उतनी तब्बजों नहीं मिलती है, जितनी जाति, धर्म व सम्प्रदाय के नाम पर किसी प्रत्याशी या पार्टी को मिलती है। देश का लंबा इतिहास हमारे सामने है। आज भी देश की बड़ी आबादी गरीबी में जी रही है। अगर, पूर्ववतीã सरकारें विकास को महत्व देतीं तो निश्चित ही आज काफी हद तक गरीबी दूर हो जाती, किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होते। किसानों का कर्ज माफ करना विकल्प नहीं है, बल्कि सरकारों को किसानों की आय बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। जब किसान संपन्न होगा तो निश्चित ही देश अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। इन स्थितियों में आम लोगों की भूमिका इसीलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि एक अच्छी सरकार चुनने में उन्हीं का सबसे अधिक योगदान होता है। अगर, हम दलगत, धर्म और जातिगत राजनीति से बाहर निकलकर विकास को अपना मूलमंत्र बनाने वाली सरकार चुनेंगे तो भारत को शीघ्र ही महाशक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता है। 


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