चीन पर इसीलिए भारी पड़ेगा भारत | Indian Army is ahead of China in war skills in hindi
भारत-चीन सीमा पर तनाव चरम पर है। चीन की कायराना हरकत की वजह से बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। अगर, तनाव युद्ध की तरफ बढ़ता है तो हमें दोनों देशों की सैन्य क्षमता के बारे में जान लेना चाहिए। चीन के दिमाग में है कि उसने 1962 के युद्ध में भारत को हराया है। वह इसी मंशा को लेकर चल रहा है, लेकिन उसे पता होना चाहिए कि 2020 का भारत 1962 से बिल्कुल ही अलग है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चीनी सेना के मुकाबले भारतीय सेना युद्ध के मामले में कहीं अधिक दक्ष है। इसीलिए चीन इस गलतफहमी में न रहे कि वह 1962 की कहानी दोहराने में सफल हो सकता है।
बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में बेलफर सेंटर और वाशिंगटन में एक नई अमेरिकी सुरक्षा केंद्र के हलिया अध्ययन में भी कहा गया है कि भारतीय सेना उच्च हिमालयी वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में अधिक माहिर है। इस मामले में चीन की सेना भारतीय सेना के आगे फटकती भी नहीं है। अगर, 1962 में भी चीन धोखे से हमला से नहीं करता तो तब की कहानी भी अलग हो सकती थी, क्योंकि उस वक्त भारत ने ऐसे हालातों में युद्ध करने के लिए स्वयं को तैयार नहीं किया था, लेकिन इस अंतराल के दौरान भारत ने स्वयं को तैयार कर लिया है।
1962 में एक माह तक युद्ध चलने के बाद स्वयं चीन ने ही युद्धविराम की घोषणा की थी, जिसमें भारत के 1000 से अधिक सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के दावे के मुताबिक उसके 700 सैनिक मारे गए थे। आसमान से युद्ध करने की दक्षता के मामले में भी भारत चीन से अधिक मजबूत स्थिति में है। अमेरिकी सुरक्षा केंद्र की ही रिपोर्ट की बात करें तो उसके मुताबिक भारत के पास लगभग 270 लडाकू विमानों के अलावा 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। भारत के लिए एक और प्लस प्वांइट यह है कि 1962 के युद्ध से सबक लेते हुए पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है, जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। दूसरी तरफ, सेंटर की स्टडी में बताया गया है कि चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्ोन का बेड़ा भी है। स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में 8 ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इसमें अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं।
स्टडी में बताया गया है कि भारत की मजबूत स्थिति का एक और यह भी कारण है कि भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले अधिक प्रभावी हैं। भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों से बढ़त भी हासिल है। चीन ने इन्हीं विमानों को भारत से लगी सीमा पर तैनात किया है। उधर, भारत के मिराज 2000 और एसयू-30 जेट्स ऑल वेदर, मल्टी रोल विमान हैं, जबकि चीन के पास ऐसी योग्यता रखने वाला केवल जे-10 लड़ाकू विमान ही है। अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक उंचाई वाले क्षेत्र में आमतौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं, जबकि भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफयूलिंग कैपसिटी का मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। इसके अतिरिक्त उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर भी नहीं हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारतीय सेना युद्ध के मामले में चीन की सेना से ज्यादा अनुभवी है। चीन से ही नहीं, बल्कि में विश्व में शायद ही किसी देश की सेना का अनुभव भारत की सेना के बराबर हो, क्योंकि भारतीय सेना लगातार पाकिस्तान और आंतकवादियों के साथ लड़ती रहती है। इसीलिए भारतीय सेना को सीमित और कम तीव्रता वाले संघर्षों में खूब महारत हासिल है। इसके विपरीत चीन की सेना ने 1979 में वियतनाम के साथ अपने संघर्ष के बाद से युद्ध के ऐसे मोर्चे का बिल्कुल भी सामना नहीं किया है। भारत के पास 1999 में कारगिल युद्ध जीतने का मनोबल भी है, जबकि चीन के पास वियतनाम से करारी हार का अनुभव भी है। निश्चित ही इसका असर मनोवैज्ञानिक तौर पर पड़ता है।
बता दें कि चीन ने 1979 में एक माह तक कंबोडिया में वियतनाम के सैन्य हस्तक्षेप के जवाब में युद्ध किया था। तब चीन की सेना अपनी हार को भांपते हुए भाग खड़ी हुई थी। वियतनामी सेना के पास भी अनुभव था, क्योंकि वह अमेरिकी सेना से युद्ध लड़ती रहती है और उसका यही अनुभव चीन पर भारी पड़ा। भारत और चीन परमाणु संपन्न देश भी हैं, लेकिन नो फस्र्ट यूज पॉलिसी के मद्देनजर दोनों देश इससे बचना चाहेंगे। विशेषज्ञों के हवाले से अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है। इस मामले में ताकत की बात की जाए तो दोनों देश लगभग बराबरी पर हैं। दोनों ही देश वर्तमान समय में थल के अलावा जल और वायु के माध्यम से भी परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। चीन 1964 में तो भारत 1974 में परमाणु संपन्न देश बना था। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की 2020 में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास करीब 320 परमाणु बम हैं तो भारत के पास 150 से अधिक परमाणु बम हैं।
भारत के पक्ष में एक और मजबूत चीज यह है कि चीन से लगी सीमाओं पर चीन के मुकाबले भारी सेना की कहीं अधिक उपस्थिति है, क्योंकि चीन की पीएलए में शामिल सैन्य इकाइयां शिनजियांग या तिब्बत में विद्रोह की दबाने या फिर रूस के साथ चीन सीमा पर किसी भी संघर्ष से निपटने के लिए तैनात की गई है। ऐसी स्थिति में यहां से भारतीय सीमा पर चीन के लिए सेना को ले जाना आसान नहीं होगा और इसका पूरा फायदा भारतीय सेना को मिलेगा।
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