भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है 'योग' | Yoga is the invaluable gift of india's ancient tradition in hindi
योग आज हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गया है, क्योंकि आज हर शख्स इसके महत्व को समझ चुका है। कोरोना काल ने इसके महत्व को और भी बढ़ा दिया है। इसके महत्व की वजह भी है, क्योंकि योग के अभूतपूर्व परिणाम भी सामने आए हैं। योग ने बहुत ही सुगम तरीका देकर स्वास्थ्य की बढ़ती चुनौतियों को आसान कर दिया है। आज लोग अपने जीवन में योग को अपनाकर स्वस्थ्य जीवन जी रहे हैं। जब पूरी दुनिया कोरोना संकट से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रही है, उसमें योग की बहुत सी विधाएँ इस मामले में बहुत अधिक असरदार साबित हो रही हैं। इसी संकट के समय में विश्व योग दिवस पड़ना भी एक संयोग ही कहा जाएगा। शायद, इससे और भी बहुत सारे लोग योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लें।
आज जब बहुत सारे लोग, भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी कोरोना से जूझते हुए योग कर स्वयं को ठीक कर ले रहे हैं, वे भारत की इस प्राचीन विद्या को सलाम भी कर रहे हैं। आज पूरी दुनिया योग का लोहा मानती है। हर साल आने वाला 21 जून इसका साक्षात उदाहरण है, जब पूरी दुनिया इस दिवस को योग दिवस के रूप में मानती है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में की थी।
उन्होंने सयुंक्त राष्ट्र महासभा में कहा था "योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। योग मनुष्य और प्रकृति के बीच का सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।’’ इसके बाद ही 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्बारा 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो सयुंक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय था।
उन्होंने सयुंक्त राष्ट्र महासभा में कहा था "योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। योग मनुष्य और प्रकृति के बीच का सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।’’ इसके बाद ही 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्बारा 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो सयुंक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय था।
हाल के वर्षों में भले ही योग का बहुत अधिक प्रभाव बढ़ा है, लेकिन योग अभ्यास का एक प्राचीन रूप, जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और उसके बाद से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है। इसमें किसी व्यक्ति को सेहतमंद रहने के लिए और विभिन्न प्रकार के रोगों और अक्षमताओं से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम शामिल हैं। यह ध्यान लगाने के लिए एक मजबूत विधि के रूप में भी माना जाता है, जो मन और शरीर को आराम देने में मदद करता है। दुनियाभर में योग का अभ्यास किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक विश्व के लगभग 2 अरब लोग योग का अभ्यास करते हैं। योग की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द, 'यूज' (YUJ) से हुई है। इसका मतलब है जुड़ना, कनेक्ट या एकजुट होना। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का संघ है। योग 5000 साल पुराना भारतीय दर्शनशास्त्र है। इसका सबसे पहले प्राचीन पवित्र पाठ-ऋग्वेद में उल्लेख किया गया था (वेद आध्यात्मिक जानकारी, गीत और ब्राह्मणों द्बारा इस्तेमाल होने वाले अनुष्ठानों, वैदिक पुजारियों के ग्रंथों का एक संग्रह थे)। हजारों सालों से भारतीय समाज में योग का अभ्यास किया जा रहा है। योग करने वाला व्यक्ति अलग-अलग क्रियाएँ करता है, जिसे आसन कहते हैं।
योग उन लोगों को लाभ प्रदान करता है, जो इसका नियमित रूप से अभ्यास करते हैं। योग में किए गए व्यायाम को 'आसन' कहा जाता है, जो शरीर और मन की स्थिरता लाने में सक्षम हैं। योग आसन हमारे शरीर के अधिक वजन को कम करने और फिट रखने का सबसे सरल तरीका है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योग क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि योग के जरिए न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक तकलीफों को भी दूर किया जा सकता है। योग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नव-ऊर्जा का संचार करता है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है, साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है, जो रोजमर्रा की जिन्द्गी के लिए आवश्यक है। योग आसन और मुद्राएं तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाए रखती हैं।
योग उन लोगों को लाभ प्रदान करता है, जो इसका नियमित रूप से अभ्यास करते हैं। योग में किए गए व्यायाम को 'आसन' कहा जाता है, जो शरीर और मन की स्थिरता लाने में सक्षम हैं। योग आसन हमारे शरीर के अधिक वजन को कम करने और फिट रखने का सबसे सरल तरीका है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योग क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि योग के जरिए न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक तकलीफों को भी दूर किया जा सकता है। योग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नव-ऊर्जा का संचार करता है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है, साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है, जो रोजमर्रा की जिन्द्गी के लिए आवश्यक है। योग आसन और मुद्राएं तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाए रखती हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंद्गी में अगर, हर कोई शख्स कुछ समय योग के लिए निकाल ले तो वह अपने शरीर के अंदर पैदा हो रही कई व्याधियों को दूर करने में सफल हो सकता है। बशर्तें, योग एक प्राचीन विद्या है। पर लोगों को इस संबंध में बहुत अधिक पता नहीं था। इसका प्रचार-प्रसार नहीं था। लोग आसनों के बारे में नहीं जानते थे। इसीलिए इसकी पहुंच आम लोगों तक बहुत कम थी। वही लोग या ऋषिमुनि या फिर उनके संपर्क में रहने वाले लोग ही इसके बारे में जानते थे, लेकिन आज सूचना तंत्र का जैसे-जैसे विस्तार हुआ है, योग की पहुंच हर शख्स तक है। भले ही, वह योग के लिए वक्त न निकाल पाता हो, पर उसे योग के बारे में सबकुछ पता रहता है। इसके कुछ जरूरी आसान के बारे में तो हर कोई जानता है।
योगगुरू बाबा रामदेव योग के प्रचार-प्रसार में लगे भी रहते हैं। वह इसके लिए योगशालाएं तो लगाते ही हैं बल्कि चैनल्स के माध्यम से भी इसको आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। योग ने जिस तरह व्याधियों को दूर करने में अपनी भूमिका दर्शायी है, ऐसे में योग को हर शख्स को अपने जीवन का हिस्सा बनाना ही चाहिए। जब हमारे पास टीवी, मोबाइल आदि में बहुत-सा वक्त जाया करने के लिए समय ही है तो क्यों न थोड़ा समय योग को भी दे दिया जाए, इससे हमारा शरीर तो स्वस्थ्य होगा ही, बल्कि सबसे बड़ी चीज कि हम अवसाद पर विजय पा लेंगे।
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अति सुंदर जानकारी
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteVery good
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