वर्क फ्रॉम होम के दौरान यह मिस कर रहे प्रोफेशनल्स | Professionals Missing It During Work-From-Home


जेएलएल ने कर्मचारियों के बीच सर्वेक्षण कर जारी की है होम एंड अवे: द न्यू हाइब्रिड वर्कप्लेस नाम की नई एशिया पैसिफिक रिपोर्ट, रिपोर्ट में एशिया प्रशांत के 5 देशों के 1500 कर्मचारियों को शामिल किया गया
कोविड-19 महामारी का लोगों की जीवनशैली पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। यह कोविड-19 के चलते जीवनशैली में बदलाव का प्रारंभिक काल है, जबकि आगे भी इन बदलावों को जीवन में अपनाकर रखना पड़ेगा। सामान्य जीवनशैली में प्रकृति के बदलाव के साथ अंतर देखने को तो पहले भी मिलता रहा है, लेकिन वर्क फ्रॉम होम का जो नया कॉन्सेप्ट शुरू हुआ है, यह बिल्कुल ही नया है, जो कर्मचारियों को बिल्कुल नया अनुभव दे रहा है। कोविड-19 की शुरूआत में कर्मचारियों को लगा कि ऑफिस जाने के झंझट से उन्हें छुटकारा मिल गया है, लेकिन जब वर्क फ्रॉर्म होम का समय बढ़ता ही जा रहा है, यह कर्मचारियों को थोड़ा अब अजीब लगने लगा है। इसीलिए 82 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि वे ऑफिस को मिस कर रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि ऑफिस नहीं जाने की वजह से वह उस माहौल को अनुभव नहीं कर पा रहे हैं, जो उन्हें ऑफिस में मिलता था-जैसे सहकर्मियों के साथ बातचीत आदि। हालांकि उन्हें घरेलू व्यवस्था में काम करना अनुकूलित लगा, पर वे निकट भविष्य में कभी भी ऑफिस जाने का भरपूर स्वागत करेंगे। यह तथ्य जेएलएल की नई जारी एशिया पैसिफिक रिपोर्ट होम एंड अवे: द न्यू हाइब्रिड वर्कप्लेस सर्वेक्षण में सामने आए हैं।


66 फीसदी कर्मचारियों ने घर से किया काम
भारत में जब 24 मार्च से लॉक डाउन लगा, तो तभी वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू हो गई थी। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 66 फीसदी कर्मचारियों ने लॉकडाउन के दौरान घर से काम किया। अब केंद्र सरकार ने वर्क फ्रॉम होम की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया है। इसीलिए इस बात की पूरी संभावना है कि खासकर, आईटी और बीपीओ सेक्टर इस व्यवस्था पर सरकार द्बारा जारी डेडलाइन तक पालन करेगा। इसीलिए अभी कर्मचारियों को घरेलू माहौल में ही काम करना पड़ेगा। जेएलएल ने यह सर्वेक्षण रिपोर्ट एशिया प्रशांत क्षेत्र के पाँच देशों के पांच कॉर्पोरेशंस के 1,500 कर्मचारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की है। इस सर्वेक्षण में कर्मचारियों से दूरस्थ कार्य के विस्तारित अवधियों के प्रभाव, प्रौद्योगिकी तक पहुंच और व्यावसायिक व्यवहार में कौन से परिवर्तन स्थायी हो जाएंगे, के बारे में पूछा गया।
एक संस्कृति प्रदान करता है कार्यस्थल
सर्वेक्षण के दौरान कर्मचारियों ने माना कि लॉकडाउन के दौरान जब वे घर से काम करने की स्वतंत्रता का आनंद ले रहे थे, तो उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ मानवीय संपर्क और आमने-सामने के सहयोग को काफी याद किया। उन्होंने कहा कि इस तरह का वातावरण एक पेशेवर के लिए बहुत जरूरी होता है। कर्मचारियों का मानना था कि कार्यालय एक संस्कृति प्रदान करता है, जिसे दूरस्थ कार्य के माध्यम से दोहराया नहीं जा सकता है और कर्मचारियों के लिए सामान्य लक्ष्यों, उद्देश्य और दृष्टि से जुड़ने के लिए एक सामाजिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। दूरस्थ और ऑन-साइट कर्मचारियों की विभाजित टीमों के बीच सहयोग के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए पुन: आवश्यक या पुन: डिजाइन किए गए कार्य क्षेत्रों की आवश्यकता होगी। हालांकि, कर्मचारियों का यह भी मानना था कि इस माहौल में नियोक्ताओं के पास आशावाद की इस भावना को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है, चाहे उनकी टीम घर से या कार्यालय से काम कर रही हो, जहां भी उनके कर्मचारी हैं, वे मानव प्रदर्शन और उत्पादकता बढ़ाते ही हैं। जेएलएल के इंडिया कंट्री हेड रमेश नायर कहते हैं कि उनके सर्वेक्षण में यह बात साफ हुई कि कर्मचारी कार्यालय के पर्यावरण और सांस्कृतिक के अनुभव को तरसते हैं। उनका मानना है कि दूरदराज के कामकाज की अधिक स्वीकृति क्षेत्रीय रूप से कई संस्थानों के लिए एक नए कार्यस्थल मॉडल को मजबूर करेगी। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से यह बात भी स्पष्ट हुई कि दूरस्थ कार्य की उच्च स्वीकृति से अधिक वितरित और विविध कार्यबल पैदा होंगे, लेकिन यह उत्पादकता और दक्षता पर अपनी चुनौतियों को भी उजागर करता है।
लचीलेपन की सुविधा के खुलेंगे विकल्प
नई कार्यशैली से भविष्य के पदचिह्न विकल्पों और लचीलेपन की सुविधा के अवसर प्रदान करेंगे। वर्क फ्रॉम होम के दौरान कर्मचारियों ने देखा कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर अधिक लचीलेपन और नियंत्रण का आनंद लिया। कॉरपोरेट्स को अपने रियल एस्टेट फुटप्रिंट, लीवरेजिग वितरित और तरल स्थानों को फिर से परिभाषित करना होगा। होम ऑफिस, को-वîकग प्लेस, सैटेलाइट ऑफिस और ऑफिस हेडक्वॉर्टर सभी को एक-दूसरे के साथ रहना होगा। अर्थशास्त्री सामंतक दास कहते हैं कि लगातार कार्यालय कंपनी की संस्कृति को परिभाषित करने, एक साझा उद्देश्य बनाने, व्यक्तिगत और व्यावसायिक पूर्ति के लिए कर्मचारी की जरूरतों को पूरा करने में केंद्रीय भूमिका निभाते रहेंगे। हालांकि, कोविड-19 यह प्रभाव डालेगा कि कार्यालय कैसा दिखता है और कैसा लगता है, क्योंकि लचीली मॉडल में लचीली कार्य व्यवस्था मुख्य धारा बनती है।
90 फीसदी कर्मचारी भविष्य को लेकर हैं आश्वस्त
कोविड-19 के चलते बड़े स्तर पर रोजगार भी छिने हैं। रोजगार भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी गए हैंं। हालांकि, इसका अधिक असर अंसगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर पड़ा है। संगठित क्षेत्र इससे थोड़ा कम प्रभावित हुआ है। ऐसे कर्मचारी अपने बेहतर भविष्य को लेकर भी आश्वस्त दिखाई दिए। सर्वेक्षण में शामिल 90 फीसदी भारतीय कर्मचारियों का मानना था कि वे अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं। वहीं, 86 फीसदी कर्मचारी उस संस्थान के भविष्य के बारे में आश्वस्त हैं, जिनमें वे कार्यरत हैं, जबकि एशिया प्रशांत क्षेत्र में यह औसत 65 फीसदी है। भारत और एशिया प्रशांत क्षेत्र के कर्मचारियों के बीच अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त रहने के बीच बहुत बड़ा गैप है। सर्वेक्षण में शामिल कर्मचारियों में भारत में जहां 90 फीसदी कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त रहे, वहीं एशिया प्रशांत क्षेत्र में 29 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे रहे, जो अपनी कंपनी के भविष्य के बारे में बहुत आश्वस्त हैं, और 27 प्रतिशत अपनी संभावनाओं को लेकर बहुत आश्वस्त हैं।

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