33 फीसदी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने जनवरी में ही प्रतिबंधित कर दी थी व्यापार यात्रा: सर्वे | 33% of technology companies had restricted business travel in January: survey
नेविगेट कोविड: इंडियन टेक
सेक्टर बेंचमार्क एंड वे फावर्ड सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रौद्योगिकी कंपनियां
प्रारंभिक जनवरी से ही कोविड-19 पर निगरानी बनाए हुईं थीं
कोविड-19 से निपटने में
सरकार की जितनी बड़ी भूमिका थी, लगभग ऐसी ही भूमिका कंपनियों की भी थी, इसीलिए उनके
लिए भी यह जरूरी हो गया था कि कैसे वह इस आपदा में सरकार का सहयोग करें, क्योंकि
कंपनियों का अधिकांश व्यापार बाहरी देशों में होता है और कोविड-19 महामारी इसी
माध्यम से चीन से दूसरे देशों में पहुंची। भारत में लॉक डाउन की शुरूआत भले ही
मार्च मिड के बाद हुई, लेकिन टेक (प्रौद्योगिकी) उद्योग में कोविड-19 महामारी को लेकर ट्रैकिंग की
शुरूआत पहले ही हो चुकी थी। नॉसकॉम द्बारा नेविगेट कोविड: इंडियन टेक सेक्टर बेंचमार्क
एंड वे फावर्ड नाम से जुलाई में जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 50 फीसदी
कंपनियों ने कोविड ट्रैकिंग शुरूआती जनवरी 2020 में ही करनी शुरू कर दी थी। असल
में, जिन टेक (प्रौद्योगिकी) कंपनियों ने शुरूआती कोविड ट्रैकिंग की शुरूआत की थी, उनका डिलीविरी सेंटर
या क्लाइंट बेस चीन के संपर्क में था। 33 फीसदी कंपनियां ऐसी थी, जिन्होंने
व्यापार यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया था, जबकि 17 फीसदी ऐसी कंपनियां थीं,
जिन्होंने यात्रा के संबंध में सलाह जारी की थी। प्रारंभिक प्रतिबंध ग्रेटर चीन
क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया पर केद्रिंत था। कुछ कंपनियों ने एशियाई ग्राहकों
से यात्रा के कारण प्रतिरोध को सीमित करने के लिए संघर्ष किया, जहां दूर-दराज के
काम करने के तरीकों के साथ परिचितता सीमित थी।
कोविड-19 के पहले से थी
वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था
रिपोर्ट के मुताबिक 50 फीसदी टेक कंपनियों के पास कोविड-19 से पहले ही वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था थी। वे
अपने कर्मचारियों को पहले से ही लैपटॉप प्रदान करते थे और बीएयू के एक भाग के रूप
में दूरस्थ सहयोग उपकरणों का उपयोग कर रहे थे। स्टेक होल्डर (हितधारक संचार) से
संबंधित 83 फीसदी कंपनियॉ अपने संचार में तत्पर और सुसंगत थीं। कंपनियों ने
सभी घटनाक्रमों को सुनिश्चित किया और अपने कर्मचारियों और ग्राहकों को हालात के
मुताबिक तैयार रहने को कहा। 40 फीसदी कंपनियों ने अपने ग्राहकों से डिजिटल
परिवर्तन पूछताछ की सूचना दी। ये ग्राहक अपनी डिजिटल परिवर्तन यात्रा को शुरू व
तेज करने के लिए नए निवेश पर विचार कर रहे थे।
4.4 मिलियन कर्मचारियों को
नई चुनौती से होना पड़ा दो-चार
टेक (प्रौद्योगिकी) उद्योग क्षेत्र के
विशेषज्ञों ने कहा कि यह पहला मौका है, जब टेक उद्योग को इतने बड़े संकट से गुजरना
पड़ा है। पहले भी इस तरह की चुनौतियां आती रही हैं, लेकिन ऐसी चुनौतियों का अनुमन
एक भौगोलिक दायरा होता था, जिससे उस चुनौती से निपटना आसान होता था। ऐसा हमने
सॉर्स के समय में देखा था, लेकिन कोविड-19 एक ऐसी महामारी के रूप में सामने आई है,
जिसने पूरी दुनिया को ही अपने चपेट में ले लिया है। उनके अनुसार इसका असर ग्लोबल
अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसका टेक उद्योग पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है। भारत में
कोविड-19 के इस दौर में टेक उद्योग के करीब 4.4 मिलियन कर्मचारियों को नई
चुनौतियों से दो-चार होना पड़ा है। कोविड-19 के तीन स्टेज रहे। प्रथम स्टेज ग्लोबल
प्रकोप था, जो शुरूआती जनवरी से फरवरी व मार्च मिड तक का समय रहा, जबकि दूसरा
स्टेज लॉकडाउन का रहा, जो मिड मार्च से मिड मई तक का समय रहा। वहीं, तीसरा स्टेज
अनलॉक व आगे बढ़ने का समय रहा यानि काम पर लौटने का समय था।
टेक उद्योग के खिलाड़ियों
के लिए था नया अनुभव
कोविड-19 के बाद लगे
लॉकडाउन की वजह से शुरू हुई चुनौतियों को लेकर ग्रेटर चाइना में व्यापार को लेकर
भारतीय टेक उद्योग खिलाड़ियों को इस तरह के अनुभव से पहली बार जूझना पड़ा। असल में,
कई कंपनियां अमेरिका और पश्चिम के देशों में स्थित ग्राहकों के व्यापार यात्रा के
लिए ग्रेटर चाइना पर ही निर्भर हैं। जैसे ही, कोविड-19 का प्रभाव स्पष्ट हुआ,
कंपनियों ने अपने बिजनेस सेंटर प्वांइट (बीएसपी) को सक्रिय करके, कर्मचारियों और
कार्यस्थल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। कंपनियों ने कर्मचारियों की सहायता के लिए
संचार चैनल स्थापित किए और साथ ही यात्रा सलाह आदि भी जारी की। कोविड-19 संक्रमण
जैसे-जैसे चाइना से बाहर फैलने लगा, तो कंपनियों ने भी दूरस्थ कार्य को सक्षम करने
पर ध्यान केंद्रित कर लिया था। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग चार सप्ताह के लॉक डाउन के दौरान टेक उद्योग के 90 फीसदी कर्मचारियों ने दूरस्थ व्यवस्था के
तहत अपना ऑफिस वर्क किया। अब लॉकडाउन खत्म हो गया है, ऐसे में कंपनियां भी अब
कर्मचारियों के कार्यस्थल पर लौटने, वित्तीय लचीलापन, कार्य गति और मांग के
पुनर्निर्माण के लिए रणनीतियों पर अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
भारतीय टेक उद्योग भी उन सभी बिंदुओं यानि सरकार द्बारा जारी गाइडलाइन के अनुसार
अपनी सुविधाओं में विस्तार कर रहा है, इसके अतिरिक्त तकनीकी क्षेत्र में खर्च
बढ़ाकर ग्राहकों के साथ संबंधों को सुगम बनाने जैसी रणनीति पर काम कर रहा है, जिससे
ग्राहकों को सेवा भी मिलती रहे और कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से भी रोका जा
सके।
कंपनियों ने नहीं सोचा था बनेगी वैश्विक महामारी
कंपनियों ने नहीं सोचा था बनेगी वैश्विक महामारी
कोविड-19 का जो प्रारंभिक
प्रकोप का प्रभाव था, वह कर्मचारी यात्रा और चीन आधारित वितरण केंद्र थे। हालांकि
प्रथम स्टेज तक यह प्रकोप केवल चाइना पर केंद्रित ही था और कंपनियों ने इसे
वैश्विक महामारी बनने या फिर भारतीय परिचालन और वितरण केंद्रों को प्रभावित करने
का अनुमान नहीं लगाया था, हालांकि कंपनियां इस बीमारी का मूल्यांकन कर रहीं थीं और
स्थिति पर निगरानी रखे हुईं थीं। वे चाइना के हुबेई प्रांत स्थित वितरण केंद्र व
ग्रेटर चीन क्षेत्र और दक्षिण एशिया में व्यापार यात्रा व हांगकांग और पारगमन
बंदरगाहों के माध्यम से अमेरिका और अन्य देशों के लिए व्यापार यात्रा के प्रभाव
इत्यादि पर नजर बनाए हुईं थीं। लिहाजा, इसके बाद ही कर्मचारी यात्रा की समीक्षा,
कार्यस्थलों पर सेनेटाइजिंग व दूरस्थ कार्यव्यवस्था के संबंध में रणनीति तय की
जाने लगी। चीन ने हुबेई प्रांत स्थित वितरण केंद्रों पर 30 फीसदी कार्यबल को
अनुमति दी है, लेकिन सीमा सील व चीन के नववर्ष उत्सव के मध्येनजर अपने घर गए बहुत
से कर्मचारी अपने कार्यस्थलों पर नहीं लौट सके। बिजनेस निरंतरता प्रबंधन योजना के
प्रोजेक्ट के तहत इंफोसिस के चीन में 4000 से अधिक कर्मचारी थे। कंपनी ने हुबेई
प्रांत स्थित अपने सभी कर्मचारियों के लिए उस दौरान ही ट्रैसबिलिटी को सक्रिय किया
और ग्रेटर चीन क्षेत्र के माध्यम से यूएसए और पश्चिम की यात्रा की।
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