शून्य उत्सर्जन नीति: लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों में 2030 तक इतने मिलियन जॉब हो सकेंगे पैदा | Zero emission policy : Latin America and Caribbean countries will be able to create so many jobs by 2030

आईएलओ और इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक ने अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की है

दुनिया का लगभग हर देश शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की तरफ अग्रसर है। इस दौर में देशों द्बारा इसके लिए अपनाई जाने वाली शून्य उत्सर्जन नीतियां कई मायनों में कारगर सिद्ध होने वाली हैं, इसका प्रभाव केवल बढ़ते प्रदूषण को कम करने के रूप में देखा जा सकेगा, बल्कि इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा किये जा सकेंगे। इंटरनेशल लेबर ऑर्गेनाइजेशन और इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक द्बारा नौकरियों पर प्रभाव विषय पर किए गए अध्ययन रिपोर्ट से यह पता चलता है कि अगर, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों में शून्य उत्सर्जन नीतियां अपनाई जाती हैं तो आगामी 2030 तक 15 मिलियन जॉब पैदा किए जा सकते हैं। इसका अच्छा असर यह होगा कि कोविड-19 महामारी की वजह से छिने रोजगारों की भरपाई की जा सकेगी, हालांकि कोविड-19 महामारी से जितने रोजगार गए हैं, या भविष्य में जाएंगे, यह आकड़ा शुरूआती दौर में उतना बड़ा नहीं होगा। शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था के तहत अच्छी नौकरियां पैदा करने के लिए जरूरी होगा कि अधिक टिकाऊ और समावेशी भविष्य बनाने की तरफ जोर दिया जाए।


रिपोर्ट के मुताबिक शुद्ध-शून्य कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण की वजह से जीवाश्म ईंधन बिजली, जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण और पशु आधारित खाद्य उत्पादन में 7.5 मिलियन नौकरियां समाहो जाएंगी। कृषि और संयत्र आधारित खाद्य उत्पादन, नवीनीकरण बिजली, वानिकी, निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में भी व्यापक रोजगार पैदा किए जा सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन क्षेत्रों में 22.5 मिलियन नौकरियां पैदा की जा सकेंगी। यह इस तरह की पहली रिपोर्ट है, जो पौध-आधारित खाद्य पदाथों को बढ़ाने के दौरान मांस और डेयरी खपत को कम करने वाली स्वास्थ्यवर्धक और अधिक स्थायी आहारों को कैसे स्थानांतरित किया जाए, कैसे नौकरियां पैदा होंगी और क्षेत्र की और क्षेत्र की अद्वितीय जैव विविधता पर कैसे दबाव कम किया जा सकेगा आदि की स्थिति को दर्शाता है। इस बदलाव के साथ, एलएसी का कृषि-खाद्य क्षेत्र पशुधन, मुर्गी पालन, डेयरी और मछली पकड़ने में 4.3 मिलियन नौकरियों के बावजूद 19 मिलियन पूर्णकालिक रोजगार सृजन को विस्तार भी दिया जा सकता है। रिपोर्ट इस बात को भी दर्शाती है कि देश कैसे शुद्ध रोजगार और शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए विस्तारवादी रास्ता अपना सकते हैं, इसमें श्रमिकों के वास्तविकीकरण की सुविधा, ग्रामीण क्षेत्रों में अग्रिम सभ्य कार्य, नए व्यवसाय मॉडल पेश करना, सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना और विस्थापितों, उद्यमों, समुदायों और श्रमिकों को सहायता प्रदान करना भी शामिल हैं। उधर, निजी क्षेत्रट्रेड यूनियनों और सरकारों के बीच सामाजिक संवाद नेट शून्य उत्सर्जन को प्राप्त  करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के लिए आवश्यक है, जो रोजगार तो पैदा करता ही है, बल्कि असमानता को कम करने में मदद करता है और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

क्या है शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था

नेट जीरो एमिशन यानि शून्य उत्सर्जन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना है, जिसमें जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल के बराबर हो, कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल एकदम हो और जिन चीजों से कार्बन उत्सर्जन होता है, उसे सामान्य करने के लिए कार्बन सोखने का इंतजाम साथ में किया जाएं। इस दौर में नेट-शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था तक पहुंचना बहुत जरूरी है, लेकिन हम तब शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करेंगे, जब कार्बन शेष के रूप में जाने जानी वाली प्रक्रिया में जीएचजी उत्सर्जन को संतुलित किया जा सकेगा। इसके लिए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, मानव-निर्मित उत्सर्जन-जैसे जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों और कारखानों को शून्य के करीब किया जाएगा। वहीं, किसी भी शेष जीएचजी को कार्बन हटाने की एक समान मात्रा के साथ संतुलित किया जाएगा। जैसे उदाहरण के लिए जंगलों को बहाल करके या सीधे वायु पर कब्जा और भंडारण-डीएसीएस प्रौद्योगिकी के माध्यम से। कुल मिलाकर शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की अवधारणा जलवायु तटस्थता के समान है।


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