आखिर देश में कब रूकेंगी रेप की घटनाएं ??? | After all, when will the incidents of rape stop in the india ???
कुछ ही दिनों के अंदर दिल्ली, उत्तर-प्रदेश और बिहार में चार नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं घटीं हैं। इन सभी घटनाओं ने एक बार फिर निर्भया कांड की बर्बर यादें ताजा कर दी हैं
कुछ दिनों के अंदर राजधानी दिल्ली, बिहार और उत्तर-प्रदेश में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं सामने आई हैं। दिल्ली में पहली घटना पश्चिम बिहार ईलाके के पीरागढ़ी ईलाके की है, जहां एक व्यक्ति चोरी करने के बहाने घर में घुसा और उसने घर में अकेली 12 साल की बच्ची के साथ हैवानियत की सारें हदें पार कर दीं। इस घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की बर्बर याद ताजा कर दी। मासूम बच्ची इस समय ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (एम्स) में जिंद्गी और मौत के बीच जूझ रही है। इस घटना के बाद दिल्ली में एक और नाबालिग के साथ रेप की घटना सामने आई। नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में गंभीर चोटें आईं हैं, हालांकि उपचार के बाद अब इस बच्ची की हालत स्थित बताई जा रही है। यह घटना दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी ईलाके की है, जहां एक व्यक्ति ने कथित तौर पर एक 16 साल की नाबालिग बच्ची के साथ रेप किया और उसे घायलवस्था में अस्पताल के बाहर छोड़कर चला गया। आरोपी पीड़िता को पहले से जानता था। इस मामले में भी पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उत्तर-प्रदेश के हापुड़ में भी छह साल की बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई है। इस मामले में जब मेरठ एडीजी ने स्वयं घटना का संज्ञान लिया, तब जाकर हापुड़ पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने अब तीन आरोपियों के स्कैच जारी किए हैं, जबकि यह घटना चार दिन पहले की है। यह घटना हापुड़ जिले के अंतर्गत आने वाले गढ़मुक्तेश्वर की है। छह साल की मासूम बच्ची के साथ निर्भया जैसी ही दंरिंद्गी दिखाई गई है। घायल पीड़ित बच्ची का उपचार मेरठ मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। ऐसी ही, बर्बर घटना बिहार के भागलपुर जिले के एकचारी थाना क्षेत्र में भी हुई है। यहां अनुसूचित जनजाति (खरवार) की 13 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया है। इतनी बड़ी घटना के बाद भी पीड़िता के परिजनों को मामला दर्ज कराने के लिए पुलिस के कई चक्कर काटने पड़े। पीड़ित परिवार को महिला आयोग तक में गुहार लगानी पड़ी। यह घटना 29 जुलाई की है। नाबालिग बच्ची को खेत में ले जाकर रेप किया गया। बच्ची 10 घंटे बाद खेत में ही बेहोश हालत में मिली थी। इस वक्त नाबालिग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।
ये सभी घटनाएं शर्मशार करने वाली हैं। महिलाओं और बच्चियों के साथ इस तरह की दरिंद्गी कब रूकेगी। दिल्ली में जब निर्भया कांड हुआ तो रेप जैसी घिनौनी वारदातों का कम करने के लिए व्यापक रूप से आवाज उठी। देश भर की सड़कों में व्यापक आंदोलन हुए। तभी रेप की घटनाओं को अंजाम देने वाले आरोपियों को जल्दी सजा देने के मकसद से फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्माण किया गया। इससे लगा था कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ आपराधिक मामले घटेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। आज भी समाज में रेप जैसी घटनाएं बदूस्तर जारी हैं। छोटी-छोटी बच्चियों को दरिंदे शिकार बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसी घटनाओं से देश तो शर्मशार होता ही है, बल्कि देश के बाहर भी देश की छवि खराब होती है, क्योंकि कई बार विदेशी महिलाएं भी भारत में रेप का शिकार हुईं हैं। पिछले साल ही ऐसी घटना हुई, जब भारत को देश के बाहर शर्मशार होना पड़ा। जम्मू-कश्मीर के कठुआ रेप केस के बाद तो अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमई) की तत्कालीन अध्यक्ष क्रिस्टिन लैगार्डे को कहना पड़ा था कि भारत सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। देश में रेप के बहुत से चर्चित मामले हुए हैं, जिनमें 2018 का कठुआ रेप केस तो शामिल है ही, बल्कि इसके अलावा 2012 का निर्भया कांड, 2013 का 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट गैंगेरप प्रकरण, 2015 में पश्चिम बंगाल के रानाघाट में 71 वर्षीय नन रेप केस व 2016 में दलित लड़की की हत्या व रेप केस मुख्य रूप से शामिल हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआबी) के आकड़े बताते हैं कि भारत में
2010 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। महिला सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने के बाद भी आपराधिक घटनाओं का बढ़ना हम सबके मुंह में कालिख पोतने के समान है। साल 2012 के दौरान देश में 24,923 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2013 में यह आकड़ा बढ़कर 33,707 तक तक पहुंच गया था। आकड़े बताते हैं कि भारत में हर छह घंटे में एक बच्ची व महिला का रेप हो जाता है। रेप पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 18 से 30 साल के बीच होती है। हर तीसरे पीड़ित की उम्र 18 साल से कम होती है। वहीं, 10 में से एक पीड़ित की उम्र 14 साल से भी कम होती है। देश में मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सबसे अधिक रेप की घटनाएं होती हैं। 2017 के आकड़ों से पता चलता है कि यहां 4,882 रेप की घटनाएं घटीं। वहीं, इसी वर्ष देश में रेप की 28,947 घटनाएं घटीं थीं। रेप की घटनाओं के मामले में उत्तर-प्रदेश और महाराष्ट्र दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। 2017 में उत्तर-प्रदेश में 4,816 और महाराष्ट्र में रेप की 4,189 घटनाएं घटीं थीं। नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं के मामले में भी मध्य प्रदेश सबसे आगे है। राज्य में 2017 के दौरान 2,479 मामले दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र में 2,310 और उत्तर-प्रदेश में नाबालिगों के साथ 2,115 रेप की घटनाएं घटीं, जबकि पूरे देश में 2017 में 16,863 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले दर्ज हुए।
महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ रही रेप की घटनाओं से ऐसा लगता है कि अपराधियों पर काननू के डंडे का कोई असर नहीं पड़ रहा है। इस मामले में महिलाओं के प्रति जागरूकता पर विशेष ध्यान तो दिया ही जाए, बल्कि अपराधियों के खिलाफ सजा के प्रावधान और भी सख्त किए जाएं और अपराधियों का जल्द ही सजा दिलाने के प्रावधान बनाए जाए। हमने देखा के जिस निर्भया कांड के बाद रेप के अपराधियों को जल्द सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्माण किया गया, उसी मामले में निर्भया के परिजनों को न्याय पाने के लिए करीब 7 साल का इंतजार करना पड़ा। कोशिश यह होनी चाहिए कि आरोप सिद्ध हो जाने के बाद अपराधियों को तत्काल सजा दिलाई जाए, तभी कुछ हद तक महिलाओं के खिलाफ बढ़ने वाली रेप की घटनाओं को कम किया जा सकता है।
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