डब्ल्यूएफएच से बढ़ी साइबर सुरक्षा की चुनौती | Work-from-home-raises-the-challenge-of-cyber-security
नेशनल सेंटर ऑफ एक्सलेंस ने सर्वेक्षण के जरिए इसको लेकर भारतीय बाजार की स्थिति का पता लगाया, सर्वे के अनुसार बाजार में इससे संबंधित 65.5 प्रतिशत तकनीकी उत्पाद मौजूद हैं
कोविड-19 के बाद सोशल डिस्टेंशिंग बहुत जरूरी हो गया है। सोशल डिस्टेंशिंग के चलते ही दुनिया के अधिकांश देशों ने लॉकडाउन किया। भारत में भी 24 मार्च 2020 से मई तक देश लॉकडाउन में रहा। अब आलम यह है कि प्रोफेशनल्स के लिए वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) एक सामान्य-सी प्रक्रिया हो गई है। केंद्र सरकार ने भी 31 दिसंबर तक यह प्रक्रिया जारी रखने को कहा है। घर से काम इसीलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि हम सब वर्चुअल दुनिया से जुड़े हुए हैं। अगर, वर्चुअल दुनिया से नहीं जुड़े होते तो वर्क फ्रॉम होम का कॉन्सेप्ट संभव ही नहीं हो पाता। खासकर, आईटी प्रोफेशनल्स के लिए। आज घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या अच्छी-खासी है। घर से काम करने के दौरान सभी के लिए जरूरी हो जाता है कि साबइर सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। इसके लिए नवीन तकनीकों और सुरक्षा समाधानों की बहुत आवश्यकता है, जिसकी निकट भविष्य में और भी आवश्यकता बढ़ेगी, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम का कान्सेप्ट भविष्य में भी यूंही चलता रहेगा।
डब्ल्यूएफएच एनवायरनमेंट को सुरक्षित व भारतीय स्टार्टअप की क्षमताओं का संकलन करने के लिए साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी विकास और उद्यमशीलता के लिए बनाए गए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र ने घर से काम के लिए सुरक्षा का उपयोग और समाधान नाम से एक सर्वे किया है, जिसमें आईटी सेक्टर की कंपनियों ने भाग लिया। वर्क
फ्रॉम होम के तहत सुरक्षा विचार और इस नए स्टार्टअप को समझने के लिए 16 प्रश्नों
पर आधारित सर्वेक्षण किया गया, जिसके तहत देश के विभिन्न आईटी हबों जैसे
दिल्ली-एनसीआर, बेंग्लुरू, हैदराबाद, मुंबई व पुणे से कुल 39 प्रविष्टियां प्राप्त
हुईं। इस सर्वेक्षण का मकसद वर्क फ्रॉम होम जैसे नए कॉनसेप्ट को सुगम बनाने के लिए
किए गए नवाचार और प्रयासों की दृश्यता का निर्माण करना, नए प्रतिमान की समस्याओं
को हल करने के लिए विचारों और समाधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, बाजार की
क्षमता क्या है और उसे बढ़ाने की क्या तैयारियां हैं और निवेश के अवसर तलाशने के
साथ ही सरकार के साथ जुड़ना भी है।
सर्वेक्षण के आकड़ों के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम के तहत सुरक्षा उत्पाद व तकनीकी मामले में स्टार्ट अप का यह पहला चरण है। इसको लेकर कुछ तैयारी तो है ही। वह इसीलिए मान सकते हैं, क्योंकि बाजार में इससे संबंधित 65.5 प्रतिशत तकनीकी, सामाधान और उत्पाद हैं। इसको लेकर न्यू आईडियाज का औसत 10.5 प्रतिशत है। 10.5 फीसदी तकनीकी, समाधान व प्रोटोटाइप मान्य हैं, जबकि 10.5 फीसदी
तकनीकी, समाधान और प्रोटोटाइप तैनाती के लिए तैयार हैं। कंपनियों की स्थिति की बात
करें तो 76.3 फीसदी कंपनियां स्टार्टअप की स्टेज पर हैं, जबकि 18.4 फीसदी कंपनियां
इंटरप्राइजेज हैं। इसके अलावा अन्य एसएमई हैं। उत्पाद के विपणन के समय को भी सर्वे
में वर्गीकृत किया गया है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम के तहत
इस्तेमाल होने वाले सुरक्षा उपकरण और तकनीकी से संबंधित 87.9 फीसदी उत्पाद 1 से 3
महीने के दौरान बाजार में होंगे। इसके अलावा अन्य उत्पाद बाजार में विपणन की
स्थिति में आने में 4 माह से एक साल से भी अधिक समय लग जाएगा। 44.7 फीसदी
स्टार्टअप विचार, तकनीकी व प्रोटोटाइप के लिए तैयार हैं, लेकिन ये पंजीकृत नहीं
हैं, जबकि 26.3 फीसदी स्टार्टअप रेवेन्यु जनरेट कर रहे हैं। 7.9 फीसदी स्टार्टअप
ग्रोथ स्टेज पर हैं, जबकि 13.2 फीसदी स्टार्टअप ऐसे हैं, जो पंजीकृत हैं।
रिपोर्ट में इस क्षेत्र में निवेश को
चार भागों में बांटा गया है, जिसमें बूटस्ट्रैप, सीड व एजेंल निवेश, सीरिज-ए और
सीरिज-बी और इससे आगे के चरण। निवेश में बूट बूटस्ट्रैप का औसत सबसे अधिक 57.9
फीसदी है, जबकि उसके बाद सीड और एजेंल निवेश का औसत है, जो 23.7 फीसदी है, जबकि
तीसरे स्थान 10.5 फीसदी निवेश का स्टेज सीरिज-बी और उससे आगे की स्थिति है, उसके
अलावा अन्य सीरिज-ए की स्टेज में हैं। साइबर सिक्योरिटी से जुड़े हुए विशेषज्ञों का
मानना है कि तकनीकी के विकास के साथ ही साइबर सुरक्षा की चुनौती भी बढ़ी है। जब
वर्क फ्रॉम होम की स्थिति चल रही है, तो ऐसे में यह चुनौती और भी बढ़ जाती है,
क्योंकि प्रोफेशनल्स का वर्क प्लेस अलग-अलग होता है। लिहाजा, साइबर सिक्योरिटी
प्रदान करने वाले उत्पादों की खपत बढ़ना लाजिमी है। भारत में बहुत सी ऐसी कंपनियां
हैं, जो साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इसमें बहुत-सी
परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को कम करना होता
है। इसीलिए कंपनियां अलग-अलग स्टेज वर्क पर जोर देती हैं, जिनमें सुरक्षित रिमोट
एक्सेस, डाटा सुरक्षा, खतरा और भेदता प्रबंधन, पहचान, पहुंच और प्रमाणीकरण व ई-मेल
सुरक्षा, एंटी फिशिंग, क्रिप्टोग्रॉफी व स्वहीलिंग जैसे कार्यक्षेत्र होते हैं,
जिसके तहत साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
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