क्या एक बार फिर लॉकडाउन की तरफ बढ रही दुनिया I Is the world moving towards lock down once again?
2021 भी
2020 की तरह ही रहने वाला है भरा प्रतिबंधों भरा
कोरोना का नया रूप स्ट्रेन। यानि सुपर स्प्रेड वायरस। कोरोना के पुराने रूप से 70 फीसदी अधिक ताकतवर। जी हां, आप सही सुन रहे हैं। कोरोना का यह नया अवतार दुनिया के लिए खौफ का पर्याय बन रहा है। इतना अधिक खौफजदा कि ऐसा फिर लगने लगा है कि मार्च जैसे हालात लौटने लगे हैं और पूरी दुनिया ही फिर लॉकडाउन की तरफ बढ रही है। जब दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वैक्सीन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। कई देशों में वैक्सीन लगनी भी शुरू हो गयी है और भारत में भी इसकी तैयारी बिल्कुल अंतिम चरण में है। ऐसे में, ब्रिट्रेन में पता चले कोरोना के इस नये रूप ने हालातों को एकदम बदल दिया है। ऐसा लग रहा है कि जब पूरी दुनिया नये साल के आगमन का कोरोना वायरस के टीके के साथ स्वागत करेगी और नये साल में बेहतर हालातों की कल्पना की जाएगी, तो ऐसे में स्ट्रेन ने नई तरह की सनसनी फैला दी है। ऐसा बताया जा रहा है कि वायरस के इस नए स्ट्रेन को 20 सितंबर को दक्षिण इंग्लैंड में खोजा गया था। वायरस का यह नया स्ट्रेन जीनोम में कुल 17 बदलाव दिखा रहा है। यह बहुत बड़ा बदलाव है, जो इंसनों के लिए बेहद खतरनाक है। इसी कारण से पहले के वायरस के मुकाबले इसे 70 फीसदी अधिक प्रभावी माना जा रहा है।
इस वायरस के प्रभाव का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ब्रिटेन में हालात बिल्कुल बेकाबू हो गये हैं। प्रतिदिन 35 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और मरने वालों की तादाद प्रतिदिन सैकड़ों में हैं। रविवार को 326
लोगों की और शनिवार को रिकॉर्ड 534
लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस के खतरे को लेकर चिंता इसीलिए भी है, क्योंकि कोरोना की जो वैक्सीन बनी है, वह इस नये रूप में कारगर सिद्घ होगी या नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ संकेत जरूर मिले हैं कि यह टीका इस नये रूप से भी लड़ने में कारगर साबित होगा। पर जब तक पुख्ता प्रमाण नहीं मिल जाते और ब्रिटेन और आसपास के देशों में फैली इस नई लहर को नहीं रोका जाता, तब तक स्थितियों को कतई सामान्य कहने की भूल नहीं की जा सकती है।
इस वायरस के सामने आने के बाद जिस तरह दुनिया के दूसरे देश सतर्क हो रहे हैं, उससे भी इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जी हां, भारत समेत दुनिया के 40 देशों ने ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन देशों में फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, रूस, हांगकांग, डेनमार्क, कनाडा, तुर्की और इटली जैसे देश भी शामिल हैं। इन देाों ने अपने नागरिकों को कहा कि वे ब्रिटेन जाने से बचें। जर्मनी ने दक्षिण अफ्रीका से भी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। ब्रिटेन में तमाम सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई है। ब्रिटेन की सरकार ने क्रिसमस पर भी लोगों को भीड़ इकट्ठी करने से मना किया है और लोगों से घरों में रहने के लिए कहा है। इसको लेकर भारत ने भी एहतियाती कदम उठा लिये हैं और ब्रिटेन से विमानों की आवाजाही पर 31 दिसंबर तक रोक लगा दी है। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एरिया में 22 दिसंबर से 5 जनवरी तक रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट क्फर्यू लगाने का फैसला किया है। स्ट्रेन के खतरे को देखते हुए ही यह भी आदेा दिया गया है कि जो यात्री यूके से मंगलवार रात तक आते हैं, उनका एयरपोर्ट पर ही कोरोना टेस्ट किया जाए। यूरोप से जो लोग महाराष्ट्र आ रहे हैं, उन्हें 14 दिनों तक इंस्टीट्यूशनल क्वांरटीन में भेजा जाएगा ताकि किसी भी संभावित खतरे से बचा जा सके, हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्घन का कहना है कि इसको लेकर अधिक पेनिक होने की जरूरत नहीं है। कोरोना संक्रमण के दौरान हालातों को देखते हुए सरकार ने जो कदम उठाए, ऐसे कदम नये हालातों को लेकर भी उठाए जाएंगे। सरकार, इन हालातों पर गंभीरता से नजर बनाए हुए है।
क्या है कोरोना का यह रूप। आइए थोड़ा इसको भी समझ लेते हैं। कोरोना वायरस के इस नए रूप स्ट्रेन को वीयूआई-202012/
01 नाम दिया गया है। इसे म्यूटेशन के 17 परिवर्तनों के सेट के माध्यम से परिभाषित किया गया है। माना जा रहा है कि यह स्ट्रेन लोगों के बीच अधिक संक्रामक है। कोरोना संक्रमण से 70 फीसदी अधिक ताकतवर। ऐसा भी माना जा रहा है कि कोरोना वायरस अपनी उत्पत्ति के बाद अब तक 25 बार म्यूटेट हो चुका है। कोरोना के इस नये रूप का प्रभाव ब्रिटेन में व्यापक रूप से तो देखा ही जा रहा है, लेकिन इससे कई अन्य देश भी प्रभावित हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, इटली, फ्रांस, डेनमार्क, नीदरलैंड आदि देश शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि उसके यहां नये स्ट्रेन के कुछ मामले सामने आए हैं, हालांकि उसने यह भी कहा कि फिलहाल उसका ब्रिटेन से उड़ानों में रोक लगाने का कोई इरादा नहीं है। उधर, ब्रिटेन का एक यात्री विमान इटली पहुंचा था, जिससे कोरोना के नए प्रकार के पाये जाने की खबर भी सामने आई है। फ्रांस ने भी कोरोना के इस नए रूप के पहुंचने की आशंका
जाहिर की है।
आपको याद होगा कि जब कोरोना की शुरूआत हुई थी तो बिल्कुल यही स्थितियां थी। दिसंबर का महीना और सर्दी की ठिठुरन और नये साल के आगमन के स्वागत करने की तैयारी। पर कोरोना संक्रमण की फैलने की खबर ने इसको थोड़ा फीका कर दिया था। चीन के वुहान शहर से इसके फैलने की खबर आई तो पहले इसको किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि विव स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ भी इसको लेकर गंभीर नहीं था। पर जैसे-जैसे यह संक्रमण फैलता गया, हालात बिल्कुल बेकाबू हो गये। अब तक पूरी दुनिया में 7 करोड़ 73 लाख 08 हजार 13 मामले सामने आ चुके हैं। 17 लाख 21 हजार 53 लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। अमेरिका के बाद भारत के हालात सबसे ज्यादा खराब है। अमेरिका में 1 करोड़ 82 लाख 67 हजार 569
लोग संक्रमित हो चुके हैं। 3 लाख 24 हजार 869
लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, भारत में 1 करोड़ 56 हजार 248
लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 1 लाख 45 हजार 843
लोगों की मौत हो चुकी है। इस सूची में ब्राजील तीसरे नंबर पर है, जहां 72 लाख 38 हजार 600
लोग संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख 86 हजार 773
लोगों की मौत हो चुकी है। रूस में 28 लाख 48 हजार 377
मामलों में से 50 हजार 858
लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में 24 लाख 73 हजार 354
मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 60 हजार 549
लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, यूके में 20 लाख 24 हजार 601
मामले सामने आ चुके हैं और 67 हजार 401
लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में 20 लाख 24 हजार 601
मामले सामने आ चुके है और 18 हजार 97 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में 19 लाख 53 हजार 185
मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 68 हजार 799
लोगों की मौत हो चुकी है। स्पेन में 18 लाख 17 हजार 448
मामले सामने आ चुके हैं और 48 हजार 926
लोगों की मौत हो चुकी है। इस सूची में अर्जेंटीना दसवें पायदान पर है, जहां अब तक 15 लाख 41 हजार 285
मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 41 हजार 813
लोगों की मौत हो चुकी है।
वायरस के नये स्ट्रेन के प्रभाव को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं, उसको लेकर चिकित्सक बहुत अधिक विचलित नहीं हैं। एम्स दिल्ली के कोरोना सेन्टर के हेड डॉ राजेश मल्होत्रा कहते हैं कि जब से कोरोना वायरस आया है, तब से अब तक कई बार म्यूटेट कर चुका है। अभी तक ब्रिटेन को अस्त-व्यस्त करने वाला स्ट्रेन भारत में नहीं आया है। साथ ही, यह भी देखना होगा कि ब्रिटेन में बढते हुए कोरोना के केसों का असल कारण क्या सच में वायरस का नया स्ट्रेन है या फिर कुछ और, इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है। नए स्ट्रेन से वैक्सीन बेअसर होने के सवाल पर सीएसआईआर के डायरेक्टर डॉ शेखर मांडे का कहना है कि वायरस का स्ट्रेन बदलने की वजह से वैक्सीन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कोरोना वायरस के म्युटेशन की वजह से सिर्फ प्रोटीन सीक्वेंस में ही बदलाव होने की उम्मीद है, जीनोम में नहीं। साथ ही, डॉ मांडे के अनुसार कोरोना की वैक्सीन वायरस के किसी भी स्ट्रेन पर बराबर असर करेगी यानि यह वैक्सीन कामयाब रहेगी। लीसेस्टर युनिवर्सिटी में क्लीनिकल वायरोलॉजिस्ट डा. जूलियन टैंग का कहना है कि यह वायरस के लिए काफी सामान्य है-जैसे इन्फलूएंजा, जहां विभिन्न वायरस एक ही व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे हाडब्रिड वायरस उभर सकता है। यह केवल उन तरीकों में से एक है, जो प्राकृतिक वायरल विभिन्नता उत्पन्न करते हैं, हालांकि वायरस के व्यवहार में कोई भी परिवर्तन किसी भी वायरस में प्रकृति और उत्परिवर्तन की सीमा पर निर्भर करता है, जिसमें कोविड-19 भी शामिल है। भारतीय मूल के अमेरिकी डाक्टर विवेक मूर्ति को मानना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह अधिक संक्रामक है, पर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है, जिससे यह सिद्घ हो सके कि यह नया और अधिक संक्रामक रूप से ज्यादा घातक है। बता कि विवेक मूर्ति वही शख्स हैं, जिन्हें अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सर्जन जनरल पद के लिए चुना है।
कुल मिलाकर आने वाले दिनों के हालात बेहद इसीलिए महत्वपूर्ण होंगे कि यह संक्रमण किस तरह अपना प्रभाव छोड़ता है। पर उम्मीद यह की जानी चाहिए कि जब इस संक्रमण की घतकता का पहले ही पता चल गया है तो इसे निश्चित तौर पर नियंत्रित कर लिया जाना चाहिए, जिससे नया साल यानि
2021 केवल संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में ही न बीतने पाए।
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