अनुसूचित जातियों की शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा I Education of Scheduled Castes will get a boost
केंद्र सरकार ने 59 हजार करोड़ के मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना को दी मंजूरी
अगले पांच वर्षों में चार करोड़ छात्रों को मिलेगा लाभ
आने वाले दिनों में अनुसूचित जाति के छात्रों की शिक्षा को और बढ़ावा मिलेगा क्योंकि केंद्र सरकार इस तरफ हर संभव प्रयास कर रही है। इसी उद्देय के तहत सरकार ने 59 हजार करोड़ रूपये की मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी दे दी है। इसमें 60 प्रतिशत यानि 35 हजार 534
करोड़ रूपये स्वयं केंद्र सरकार वहन करेगी और शेष धनराशि राज्यों को वहन करनी होगी। केंद्र के इस कदम से अगले पांच वर्षों में 4 करोड़ छात्रों को लाभ मिलेगा। केंद्र की यह स्कीम मौजूदा प्रतिबद्घ देयता प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी।
समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना से अनुसूचित जाति के छात्रों को कक्षा 11वीं से शुरू होने वाले मैट्रिक के बाद के किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रखने में मदद मिली है। उनके अनुसार, इस योजना में सरकार शिक्षा की लागत का वहन करती है। केंद्र्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्घ है, ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर अनुसूचित जातियों का जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके। उनके अनुसार यह योजना गरीब-से-गरीब छात्रों को नामित करने, समय पर भुगतान करने, व्यापक जवाबदेही, निरंतर निगरानी और पूर्ण पारदर्शिता पर जोर देती है।
अधिकारियों के अनुसार गरीब-से-गरीब परिवारों के 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नामित करने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है कि
1.36 करोड़ ऐसे सबसे गरीब छात्र, जो वर्तमान में 10 वीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं, उन्हें अगले पांच वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा। यह स्कीम सुदृढ सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता तथा बिना विलंब के समयबद्घ सहायता सुनिश्चित होगी।
वहीं, इस स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता का आहरण डीबीटी मोड के माध्यम से और अधिक मान्यता आधार सक्षम भुगतान प्रणाली को प्रयोग में लाकर किया जाएगा। वर्ष
2021-22 से शुरू करते हुए इस स्कीम में केंद्र का अंश 60 प्रतिशत निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डीबीटी मोड के माध्यम में सीधे जारी की जाएगी। निगरानी तंत्र को और मजबूत करने के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी और सोशल ऑडिट, तीसरे पक्ष द्बारा वार्षिक मूल्यांकन कराकर और प्रत्येक संस्थान की अर्ध-वार्षिक स्वत: लेखा परीक्षित रिपोर्टों के माध्यम से किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सहायता वर्ष
2017-18 से वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग
1100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष थी, उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान पांच गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग 6,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष करने की योजना है।
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