लाकडाउन तोड़ने का फायदा: हर्ड इम्यूनिटी पाने वाला देश बना भारत I Advantage of breaking lockdown: India becomes the country to get herd immunity

 

पर ब्रिटेन में फैले कोरोना के नये रूप स्ट्रेन को लेकर उठाने होंगे एहतियाती कदम 

कोरोना से बचाव के दो फार्मुले सबसे अधिक प्रचलित हुए। पहला मास्क पहनना और दूसरा सोशल डिस्टेंसिंग। यानि दो गज दूरी, मास्क पहनना है जरूरी। कोरोना संक्रमण का जब फैलाव हुआ तो सरकारों ने इसके बचाव के लिए लाकडाउन को जरूरी माना। भारत समेत अधिकांश देशों में लाकडाउन लगाया भी गया। भारत में मार्च से मई के दरम्यान लाकडाउन रहा। तब तक कोरोना संक्रमण के मामले नियंत्रण में थे, लेकिन जैसे ही देश में अनलॉक की शुरूआत हुई, मामले कई गुना के हिसाब से बढ़ने लगे। इसमें सरकार की आलोचना हुई कि जब लाकडाउन को आगे बढ़ाने जरूरत है तो हर चीज अनलॉक की जा रही है। बशर्ते, सरकार ने आर्थिक हालतों का हवाला देकर लोगों से यह अपील की कि मास्क पहनें और सोाल डिस्टेंसिंग का पालन करें। पर यह 100 फीसदी लागू नहीं हो पाया। हर जगह लाकडाउन तोड़ा गया। जो बढ़ते सक्रमण का कारण भी बना। 


पर कई बार ऐसी स्थितियां सार्थक परिणाम भी दे जाती हैं। ऐसा ही, तथ्य कोरोना को लेकर भी सामने रहा है। यानि लाकडाउन तोड़ना फायदेमंद रहा, क्योंकि इसी वजह से भारत हर्ड इम्यूनिटी बनने वाला देा बन गया है। ऐसी स्थितियों में आने वाले दिनों में भारत में कोरोना संक्रमण का बहुत अधिक खतरा नहीं रहेगा। दुनिया के कुछ देशों में कोरोना की दूसरी लहर के बाद जो हालात बने हैं, भारत में ऐसे हालात भी नहीं बनेंगे। ऐसा विशेषज्ञ भी मान रहे हैं। उनका कहना है कि भारत कोरोना की दूसरी लहर से भी बचा रह सकता है। इसको थोड़ा और विस्तार से समझने से पहले आइए दुनिया के ऐसे देशों के हालात पर नजर डालते हैं, जो कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में हैं। दरअसल, अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस समेत दुनिया के 57 देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में हैं। सबसे ज्यादा असर नॉर्थ अमेरिका, यूरोप के देशों में दिख रहा है। यूरोप के 30 देश ऐसे हैं, जहां दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। वहीं, नॉर्थ अमेरिका के 11, अफ्रीका के 7, एािया के 5 और साउथ अफ्रीका के 4 देश दूसरी लहर की चपेट में हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में जिस तरह हालात बेकाबू हो रहे हैं, वह बहुत ही चिंताजनक तस्वीर है। ब्रिटेन में कोरोना का नया रूप स्ट्रेन का भी पता चला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना से भी ज्यादा घातक है और पहले के मुकाबले 70 फीसदी तेजी से फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी रिपोर्ट मांगी है। ब्रिटेन में कोरोना की इस नई स्ट्रेन के सामने आने के बाद बीते 24 घंटे में 326 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को रिकॉर्ड 534 लोगों की मौत हुई थी। इस नई स्ट्रेन की गंभीरता को देखते हुए फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और इटली ने ब्रिटेन से विमानों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी है। इन देाों ने अपने नागरिकों को ब्रिटेन की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है। जर्मनी ने दक्षिण अफ्रीका से भी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। इन हालातों से साफ जाहिर होता है कि दुनिया भर के लिए आने वाला समय भी कम चुनौतीपूर्ण रहने वाला नहीं है। पर भारत के परिपेक्ष्य में थोड़ी स्थिति क्यों अलग हो सकती है, आइए अब इसके कारण को भी समझ लेते हैं।

दरअसल, जिस तरह भारत जनसंख्या के मामले में काफी बड़ा देश है। उसमें संक्रमण का फैलाव इतना कम हो हुआ होगा, जितना सरकार बता रही है-ऐसा नहीं लगता है। फिर, सरकारी और प्राइवेट जांच रिपोर्ट में अंतर, यह बताता है कि सरकारी आकड़ें शायद हकीकत से बहुत दूर हैं। कुछ सरकारी संस्थाओं के डेटा भी सरकार द्बारा जारी किए जाने वाले आकड़ों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते हैं। इसीलिए भारत की आधी आबादी कोरोना की चपेट में चुकी होगी, इसमें शक नहीं होना चाहिए। भले ही, सरकारी आकड़ों में एक करोड़ संक्रमितों की बात की जा रही है, लेकिन भारत में 143 करोड़ की आबादी के बाद भी केवल 11.5 फीसदी ही आबादी की जांच हुई है, उसमें 6 प्रतिशत  तो संक्रमित पाये गये हैं, जिससे साफ है कि भारत की आधी आबादी तो कोरोना संक्रमित हो चुकी है। इसी संदर्भ में जब भारत में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आने और आने की स्थिति में कम असरदार होने की बात विशेषज्ञों द्बारा की जा रही है तो इसका भी सीधा-सीधा संबंध ज्यादातर आबादी के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से है। तभी तो अगर, दूसरी लहर भारत में भी गयी तो यह पहले जितनी ताकतवर भी नहीं होगी। जब हम संक्रमण पर जीत पा चुके हैं चाहे अनजाने में ही सही। यह दोबारा संक्रमण के चपेट में आने के खतरे को कम कर देता है। 

विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना के लगातार अभ्यास माहौल में रहने से लोग इसको पहले के मुकाबले बेहतर तरीके से झेल सकते हैं। देखा जाए तो अधिकाां लोग कोरोना की चपेट में चुके हैं पर उन्हें पता ही नहीं चला कि वे भी कोरोना संक्रमित थे। वे कोरोना से संक्रमित भी थे और ठीक भी हो गये। इन परिस्थितियों में ऐसे मरीजों के अंदर एंटीबॉडी डेवलप हो जाता हैं, यानि संबंधित बीमारी से लड़ने की अधिक प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है। लिहाजा, दूसरी लहर आती भी है तो ऐसे लोगों में कोरोना की दूसरी लहर का असर नहीं होगा। दूसरा, लोग कहीं कहीं घरेलु नख्शों का प्रयोग भी कर रहे हैं यानि वे हर हाल में इम्युनिटी बूस्ट कर रहे हैं। और जब से कोरोना शुरू हुआ है, तब से उनका यह क्रम लगातार जारी है। अब उनके शरीर का इम्युन सिस्टम पहले से ज्यादा बेहतर हो गया है। अगर, इम्यून सिस्टम ठीक है तो भी कोरोना का संक्रमण आसानी से हमला नहीं कर सकता है। 

जहां तक सरकारी आकड़ों से कहीं अधिक संक्रमित होने की बात है, दूसरे राष्ट्रीय सीरो सर्वे में भी यह साफ हो चुका है। सर्वे के अनुसार, संभावित मामले पुष्ट मामलों का 16 गुना हैं, इसके अनुसार तो भारत में अब 16 करोड़ मामले होंगे। जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डा. शाहिद जीमल तो मानते हैं कि अभी तक देश में 30  से 40 करोड़ से अधिक संक्रमण के मामले हुए होंगे और असुरक्षित और अतिसंवेदनशील लोग संक्रमित रहे होंगेे। यदि, प्रतिरक्षा एक वर्ष या उससे कम समय तक रहती है, तो हमारे सामने अगले कुछ वर्षों के दौरान नियमित अंतराल पर संक्रमण के मामलों में छोटी वृद्घि तो देखने को मिल सकती है पर अच्छा टीका इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित करेगा। 

भारत में जिस तरह वैक्सीन लगाने का रोडमैप तैयार हो चुका है, उन हालातों में भी कोरोना के दूसरे अटैक का खतरा कम ही दिखता है। प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल के अनुसार भारत में अभी भी 30-40  प्रतिशत आबादी है, जो कि कोरोना से संक्रमित नहीं है। उन्होंने कहा कि अर्जेंटीना और पोलैंड सबसे ज्यादा कोरोना के मामलों वाले उन 15 देशों में शामिल हैं, जहां दूसरी लहर नहीं दिखी है। भविष्य में भारत को लेकर भी यही स्थिति रहने की पूरी संभावना है। वह कहते हैं कि यदि दूसरी लहर आती भी है, तो यह केवल 501 नए प्रकारों के कारण आएगी। यदि, यहां नया 'स्ट्रेन नहीं आता है तो दूसरी लहर नहीं होगी। यदि, भारत इस महीने के अंत तक टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर देता है और लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगता है, तो हम 25 मार्च तक इस बीमारी को नियंत्रित करने में भी सक्षम हो सकते हैं। 

विशेषज्ञों की यह राय संतोषनजक है, पर हमें निश्चिन्त होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। वैक्सीन लगाने का काम शुरू भी हो गया हो तो भी एहतियात तो बरतने ही होंगे। जैसा विव स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ भी चेता चुका है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन को लेकर चेतावनी दी कि टीका कोई जादुई गोली नहीं होगा, जो कोरोना वायरस को एकदम खत्म कर देगा। हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है। दुनिया में इस महामारी का प्रकोप लंबे समय तक बना रहेगा। डब्ल्यूएचओ के पचिमी प्राांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक कर्से ताकेशी ने कहा कि सुरक्षित और प्रभावी टीकों का विकास एक बात है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में उत्पादन और हर किसी तक पहुंच जरूरी है। यह प्रक्रिया क्षेत्र के कुछ हिस्सों में शुरू हो रही है, लेकिन समान वितरण में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि उच्च जोखिम वाले लोगों को छोड़ दिया जाए तो आम नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मिलने में 12 से 24 महीनों का समय लग सकता है। 

भारत जैसे देश में भी वैक्सीनेान में समय तो लगेगा ही। यहां कोरोना की दूसरी लहर नहीं आयेगी और हर्ड इम्युनिटी की वजह से कम खतरा रहेगा। ऐसा होगा। यह मानकर चलते हैं, जैसा कि विशेषज्ञ भी मान ही रहे हैं, पर हर तरीके से एहतियात बरतने ही होंगे। जिस तरह ब्रिटेन में कोरोना के नये संक्रमण स्ट्रेन का फैलाव बढ रहा है और भारत के केरल में ही जिस तरह नये संक्रमण शिगेलेसिस का खतरा बढ रहा है, यह बहुत ही चिंताजनक है। इस संक्रमण में भी कोरोना की ही तरह समानता देखने को मिली है। कोरोना की तरह ही इसके लक्षण भी एकदम पता नहीं चलते हैं। केरल में इस संक्रमण के मामले पिछले साल भी दर्ज किये गये थे। 2019 में 40 बच्चों में शिगेला के लक्षण मिले थे, जिसके तुरंत बाद इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस साल 11 साल के एक बच्चे की इस वायरस से मौत हो चुकी है। एक आकड़े के अनुसार दुनियाभर में हर साल बैक्टिरिया से होने वाली बीमारियों की वजह से छह लाख लोगों की मौत हो जाती है। अफ्रीका और दक्षिण एािया में डायरिया के गंभीर मामलों के पीछे चार प्रमुख बैक्टीरिया कारण होते हैं, जिनमें शिगेला भी प्रमुख है। 

कुल मिलाकर भारत को इस शिगेला वायरस के साथ-साथ लांग कोविड के खतरों ब्रिटेन में कोरोना के नये रूप स्ट्रेन को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। इनके खतरों के लिए प्राथमिक चरणों में उठाए जाने वाले कदम ही सार्थक परिणाम देंगे। कोरोना के वक्त समय से एहतियाती कदम नहीं उठाने का दां हम झेल चुके हैं। स्ट्रेन को लेकर, जिस तरह कई देशों ने ब्रिटेन की फलाइट पर रोक लगा दी है और अपने नागरिकों को वहां जाने की सलाह दी है। ऐसा ही भारत को भी करना होगा। आपको याद होगा, ऐसा ही चीन ने भी किया था, जब कोरोना संक्रमण के फैलाव के दौरान उसने पूरे वुहान शहर को सील कर दिया था, तब जाकर उसने संक्रमण के फैलाव से दूसरे शहरों को बचाया था। लिहाजा, भारत को पहले जैसी गलती नहीं करनी चाहिए और ब्रिटेन के इंटरनेशनल फलाइट पर रोक लगाने में बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए। 


 

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