ई-अदालत परियोजना से जुड़े 2927 अदालत परिसर I 2927 court complex associated with e-Adalat project
अन्य अदालतों में भी संपर्क मुहैया कराने में जुटा है बीएसएनएल
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परियोजना के तहत आसान हो गयी है अदालती कार्रवाई
डिजिटल का युग तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहले जहां यह सोचना थोड़ा मुकिल लगता था कि क्या अदालतों का काम भी डिजिटल माध्यम से होगा, लेकिन अब यह प्रणाली आसान होती जा रही है। जी हां, ई-अदालत
परियोजना बेहद कारगर साबित हो रही है। इसके तहत देशभर के लगभग 2927 अदालत परिसरों को अभी तक तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) से जोड़ा जा चुका है। परियोजना के तहत 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति डब्ल्यूएएन से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसका 97.86 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। विधि विभाग बीएसएनएल के साथ मिलकर शेष अदालत परिसरों को भी संपर्क मुहैया कराने के काम में जुटा हुआ है। आने वाले दिनों में और भी अदालत इस परियोजना से जुड़ जायेंगे।
बता दें कि ई-अदालत
परियोजना के तहत विधि विभाग ने विश्व के एक सबसे बड़े डिजिटल नेटवर्क को स्थापित करने की परिकल्पना की थी और इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ मिलकर देशभर के 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। इन अदालत परिसरों को ऑप्टिक फाइबर केबल (ओएफसी), रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ), वैरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल (वीसेट) आदि से जोड़ा जाना था। मई, 2018 में इन सभी परिसरों को मैनेज्ड एमपीएलएस-वीपीएन सेवा से जोड़ने का कार्य बीएसएनएल को सौंपा गया था, जिसके पास आधुनिकतम स्टेट ऑफ द आर्ट प्रौद्योगिकी के साथ ही अत्याधुनिक दूरसंचार अवसंरचना और ट्रांसमिशन उपकरण हैं और जिसकी देशभर में उपस्थिति है। बीएसएनएल का नेटवर्क पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अंडमान-निकोबार द्बीप समूह समेत पूरे देश में है।
पहले चरण में 14,249 अदालतों को कम्प्युटरीकृत करने की दी मंजूरी
सरकार ने ई-अदालत
परियोजना के पहले चरण (2007 से 2015) के दौरान 14,249 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी थी। ई-अदालत परियोजना का लक्ष्य वादी, वकीलों और न्याय तंत्र को देशभर की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के जरिए न्याय तक उचित पहुंच बनाने के लिए सेवाएं मुहैया कराना था। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर की सभी अदालतों के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के जरिए भविष्य में और अधिक आईसीटी पहुंच बढ़ाने की परिकल्पना के साथ दूसरे चरण को जुलाई, 2015 में मंजूरी दी थी। यह कार्य 1670 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना था और इसके तहत 16845 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
वैकल्पिक माध्यमों से उपलब्ध कराया संपर्क
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परियोजना के तहत आने वाले बहुत से अदालत परिसर ऐसे दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं, जहां संपर्क उपलब्ध कराने के लिए स्थलीय केबल का उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे इलाकों को तकनीकी तौर पर नहीं जुड़ने योग्य (टीएनएफ) कहा जाता है और विधि विभाग ने इस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिए इन टीएनएफ स्थलों पर आरएफ और वीसेट आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों से संपर्क उपलब्ध कराया। विभाग बीएसएनएल और अदालतों समेत सभी हितधारकों से विचार-विमर्श, बैठकें और समन्वय करने के बाद ऐसे कुल टीएनएफ स्थलों की संख्या को घटाकर 2020 में 14 पर लाने में सफल हुआ है, 2019 में इनकी संख्या 58 थी और इस तरह वह जनता के धन की बचत करने में सफल हुआ है, क्योंकि वीसेट जैसे वैकल्पिक माध्यमों का इस्तेमाल कर संपर्क उपलब्ध कराने में बहुत ज्यादा खर्च आता है। उधर, विधि विभाग ने अंडमान और निकोबार द्बीप समूह में स्थित पांच टीएनएफ स्थलों को नव-स्थापित पनडुब्बी (समुद्र के नीचे) केबल के जरिए संपर्क मुहैया कराने का भी फैसला किया है।
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