एड्स से होने वाली मौतों में आयी 51 फीसदी की गिरावट I 51% decline in AIDS deaths

 20 वर्षों में मौत के कारणों में 8वें पायदान से पहुंचा 19वें पायदान पर 

 हृदय रोग बना मौत का सबसे बड़ा कारण, डब्ल्यूएचओं की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कभी एड्स और टीबी जैसे रोग भले ही घातक माने जाते थे, लेकिन इस वक्त अन्य रोगों के मुकाबले इन बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आयी है। पिछले 20 वर्षों के दौरान एड्स से मरने वालों की संख्या में 51 फीसदी की गिरावट आयी है, वहीं टीबी से होने वाली मौतों में भी कमी आयी है। इनके इतर जो बीमारियां मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं, उनमें हृदय रोग, सांस से जुड़ी बीमारी और कैंसर जैसे रोग शामिल हैं। हृदय रोग के चलते तो 2019 में 90 लाख लोगों की मौत हुई है, जबकि सांस से जुड़े संक्रमण की वजह से 26 लाख लोगों की मौत हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 



रिपोर्ट के मुताबिक एड्स के चलते 2000 में जहां 14 लाख लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2019 में 6.79 लाख लोगों की मौत हुयी। यानि 2000 में मौतों के मामले में यह बीमारी 8वें पायदान पर थी, लेकिन अब यह बीमारी 19वें पायदान पर पहुंच चुकी है। वहीं, हृदय रोग की बात करें तो मौतों के मामले में यह सबसे घातक बीमारी साबित हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार 20 साल पहले जहां हृदय रोगों से मौतों का आकड़ा 68 लाख था, वहीं 2019 में हृदय रोगों से मौतों का आकड़ा 90 लाख तक पहुंच चुका है। हृदय रोगों से होने वाली मौतों की भयावहता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी तरह की बीमारियों से होने वाले मौतों के मामले में हृदय रोगों से मरने वाले मौतों का औसत 16 फीसदी है। जिन बीमारियों से सबसे अधिक मौतों हो रही हैं, उनमें टॉप-10 में कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियां भी शामिल हैं। 

किडनी की बीमारी भी बनी घातक

किडनी की बीमारी भी जानलेवा साबित हो रही है। आलम यह है कि बीमारियों से होने वाली मौतों के कारणों में किडनी की बीमारी भी टॉप-10 में शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक इसके चलते 2019 में 13 लाख लोगों की मौत हुई। वहीं, अल्जाइमर और डिमेंशिया को भी मौत के 10 प्रमुख कारणों में शामिल किया गया है, जिनके चलते 2019 में 16 लाख लोगों की मौत हुई थी। हैरानी की बात यह है कि इस सूची में 65 फीसदी महिलाएं थी। मधुमेह के चलते लगभग 15 लाख लोगों की मौत हुई।

बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करना जरूरी

पहाड़ों और पेड़ों के कटान, सड़क पर अंधाधुंध रेंगती गाड़ियां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार अगर, बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो इन बीमारियों से होने वाली मौतों का आकड़ा आगामी वर्षों में और तेजी से बढ़ेगा। चिकित्सक बताते हैं कि हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और फेफड़े से जुड़ी बीमारियों के चलते 2000 की तुलना में 2019 में करीब कई गुना नुकसान उठाना पड़ा है। इन सभी तरह की बीमारियों को जन्म देने में बढ़ते प्रदूषण का बहुत बड़ा रोल है, लिहाजा, इमें प्रदूषण को नियंत्रित करने की तरफ कारगर कदम उठाने होंगे।


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