कोविड-19 से प्रभावित हुआ खसरे का टीकाकरण अभियान I Measles vaccination campaign affected by Covid-19

 

 आने वाले दिनों में खसरे के मामलों में हो सकती है वृद्घि

 2016 के मुकाबले 2019 में मौतों के आकड़ों में आयी 50 फीसदी की बढ़ोतरी

कोविड-19 ने केवल स्वास्थ्य और आर्थिक तंत्र को झटका दिया है, बल्कि अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के प्रयासों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अन्य संक्रामक रोगों के रोकथाम में इसका बहुत अधिक प्रभाव दिखा हो, पर खसरा जैसी बीमारी की रोकथाम में इसका बुरा असर पड़ रहा है और इसका टीकाकरण अभियान बुरी तरह बाधित हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जब तक कोविड-19 के टीकाकरण अभियान को अंजाम नहीं दिया जाता, तब तक खसरे के टीकाकरण अभियान पर इसका असर देखने को मिलेगा। 


उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी से पहले दुनिया खसरे के संकट से ही जूझ रही थी, जिससे निपटने के लिये टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा था, पर कोविड की वजह से यह अभियान रूक गया है, जिसकी वजह से खसरे के मामलों में वृद्घि देखने को मिलेगी। क्योंकि 2019 भी इस बीमारी से मौतों के मामले में काफी बुरा गुजरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ और अमेरिका की संस्था सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2019 में खसरा बीमारी के कारण दो लाख से ज्यादा मौतें हुईं, जबकि पिछले 23 साल में सबसे अधिक मामले सामने आए। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक दशक में वैक्सीन की पर्याप्त पहुंच नहीं हो सकी, जिसके कारण खसरा के मामलों में वृद्घि हुई। 

हैरानी की बात यह है कि जहां वर्ष 2016 में खसरा के कारण होने वाली मौतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली थी, वहीं 2019 में उसकी तुलना में मौतों के आकड़ों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में खसरा के साढ़े आठ लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि इस वर्ष थोड़े कम मामले देखने को मिले हैं, पर कोविड-19 महामारी के कारण वैक्सीन के प्रयासों को झटका लगा है, जिससे एक बार फिर खसरे के मामलों में वृद्घि हो सकती है।

अभी नहीं टला खतरा

किसी भी बीमारी का खतरा तब तक नहीं टलता है, जब उसका उपचार जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच जाता है। ऐसी ही स्थिति खसरे के साथ भी बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर ने हाल ही आगाह किया था कि खसरे का संकट अभी टला नहीं है। कोविड-19 ने इसे और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि खसरे की पूरी तरह रोकथाम की जा सकती है, पर इसके लिए समय रहते 95 फीसदी बच्चों को खसरा वैक्सीन की दो खुराकें को दी जानी चाहिए, जिनमें पहली खुराक एमसीवी1 की कवरेज में विश्वभर में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से रूकावट आई है और अब यह 84-85 फीसदी तक सीमित है। वहीं, एमसीवी2 की कवरेज में वृद्घि हो रही है, लेकिन यह अभी 71 प्रतिशत तक ही संभव हो पाई है।

साझा अपील की थी जारी

पिछले माह यूनीसेफ और डब्ल्यूएचओ ने खसरा और पोलियो के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए एक साझा अपील जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि अगले तीन साल में 25 करोड़ डालर की धनराशि की जरूरत होगी, ताकि खसरा के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता की कमियों को दूर किया जा सके, पर जब तक टीकाकरण अभियान में तेजी नहीं देखने को मिलेगी, तब तक खसरे के खतरे को कम काफी मुकिल होगा। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले कुछ समय के दौरान कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मैडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, जॉर्जिया, समोआ, यूक्रेन, उत्तर मैसेडोनिया सहित अन्य देशों में बड़ी संख्या में खसरा के मामले सामने आये हैं। 


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