52 फीसदी किसान कृषि कानूनों से खुश नहीं
- किसानों के बीच किये गये सर्वेक्षण से चलता है पता
- महज 35 फीसदी समर्थन में, 18 फीसदी को जानकारी नहीं
केंद्र सरकार भले ही नये कृषि कानूनों को किसान हितैषी बता रही हो, लेकिन 52 फीसदी किसान इन कानूनों से खुा नहीं है, जबकि महज 35 फीसदी किसान ही इस कानून का समर्थन करते हैं। वहीं, बचे किसानों को इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं है। जी हां, यह कोई और नहीं बल्कि हाल ही में किसानों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण से यह पता चलता है। इस सर्वेक्षण के आकड़े 'द एग्रीकल्चर फार्मर्स पर्सेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज' नामक रिपोर्ट के रूप में प्रकााित भी किये जा चुके हैं। यह सर्वेक्षण देश के 16 राज्यों के 53 जिलों में किया गया था।
उल्लेखनीय है कि जब से केंद्र सरकार ने तीन नये कृषि कानून बनाये हैं, तब से किसानों में सरकार के खिलाफ रोष है। अब तो किसान सरकार के पूरे विरोध में उतर आये हैं। सरकार बातचीत के जरिये किसानों को मनाने की कोािा कर रही है, लेकिन किसानों की मांग है कि कानूनों को वापय लिया जाये। अगर, ऐसा नहीं है तो इसमें किसानों की मांग के अनुरूप सुधार किया जाए। पर जिस तरह की परिस्थितियां दिख रहीं हैं, उससे नहीं लगता कि सरकार कुछ संशोधन के मूड में है। सरकार की यह मंशा किसानों को नागवार गुजर रही है। लिहाजा, किसान सरकार को बैकफुट पर लाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इस परिदृय के बीच किसानों के बीच किया गया सर्वेक्षण बहुत मायने रखता है, जिससे साफ जाहिर होता है कि कृषि कानूनों के समर्थक किसानों से कहीं अधिक संख्या इन कानूनों का विरोध करने वाले किसानों की है।
सर्वेक्षण के आकड़े यह भी बताते हैं कि 57 फीसदी किसानों को यह डर है कि नये कानूनों की वजह से वे अपनी उपज को कम कीमत पर खुले बाजार में बेचने को मजबूर हो जाएंगे। वहीं, 33 फीसदी किसानों को डर है कि कहीं सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म तो नहीं कर देगी, जबकि 59 फीसदी किसानों की मांग है एमएसपी पर एक अनिवार्य कानून बनाया जाना चाहिए।
27 सितंबर को मिला था कानून का दर्जा
बता दें कि संसद के पिछले मानसून सत्र में तीन नये कृषि बिल पारित किए थे, जिसे बाद में 27 सितंबर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविद के हस्ताक्षर के बाद कानून का दर्जा दे दिया गया था, इसमें पहला कानून किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 है। इस कानून के तहत किसान अपनी उपज को कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) द्बारा निर्धारित बाजार यार्ड के बाहर भी बेच सकते हैं। दूसरा कानून किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 किसानों को पहले से ही तय मूल्य पर भविष्य की उपज को बेचने के लिए कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों और बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार देता है। वहीं, तीसरे कानून, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 का उद्देश्य अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज, और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाना और स्टॉक होल्डिंग सीमा को लागू करना है।
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