दुनिया में दो-तिहाई स्कूली बच्चों के घर पर इंटरनेट सुविधा नहीं

 - आनलाइन क्लाश लेने से रहना पड़ा महरूम

- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सामने आया तथ्य

- बढ़ेगा शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक गैप

कोविड-19 महामारी की वजह से जितना आवश्यक सामाजिक दूरी मास्क पहनना बन गया है, उससे भी कहीं अधिक इंटरनेट की सुविधा का होना जरूरी हो गया है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के लिये भी यह बहुत जरूरी है और बच्चों की आनलाइन क्लाश के मद्देनजर भी। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के दो-तिहाई यानि करीब 220 करोड़ स्कूली बच्चों के घर पर इंटरनेट की कोई भी सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें आनलाइन क्लाश लेने के लिये असुविधाओं से दो चार होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है। शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी बदत्तर है। इस असुविधा के चलते रिपोर्ट में शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक गैप बढ़ने की संभावना जताई गयी है।

उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की वजह से भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों  में लाकडाउन लगाया गया। इस दौरान आर्थिक गतिविधियों को चलाये रखने के लिये वर्क फ्राम होम की व्यवस्था शुरू की गयी तो बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिये आनलाइन क्लाश चलाये जाने शुरू किये गये। अधिकांश जगहों में अभी भी आनलाइन क्लाश चल रही हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन बच्चों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उनकी किस तरह पढ़ाई प्रभावित हो रही होगी। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की इस संयुक्त रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 3 से 17 साल के बीच के लगभग 130 करोड़ बच्चों के घरों में इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं है, जबकि घर पर रहने वाले 15 से 24 वर्ष के 63 फीसदी युवाओं के पास इंटरनेट से जुड़ने का विकल्प तक मौजूद नहीं है। वहीं, कम आय वाले देशों के 20 से कम आयु वर्ग के अधिकतर बच्चों में से एक के पास घर पर इंटरनेट की सुविधा थी, जबकि आर्थिक रूप से समृद्घ देशों में यह 10 में से 9 बच्चों के पास थी, जो आकड़ा डिजिटल गैप को र्दााने के लिये काफी है।

 शोधकर्ताओं के अनुसार इस दौर में भी अगर, ऐसी स्थिति है तो निश्चित ही यह एक बड़ी डिजिटल खाई है, जो बहुत से बच्चों को या युवाओं को प्रतिस्पर्धा की दौड़ से दूर कर देता है। विशेषज्ञों ने इस डिजिटल खाई को जल्द पाटने का सुझाव दिया है, जिससे आने वाले दिनों में महज इंटरनेट के अभाव की वजह से बच्चों युवाओं को प्रतिस्पर्धा से बाहर होना पड़े और उनका भविष्य अंधकार में डूबने पाये। 

गांवों में बिना इंटरनेट सुविधा के हैं 75 फीसदी बच्चे

भले ही, शहरों में विकास की रफ्तार तेजी से आगे बढ़ती हो, लेकिन दुनिया के शहरी इलाकों में रहने वाले उन बच्चों का ग्राफ कम नहीं है, जो बिना इंटरनेट की सुविधा के हैं। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे 60 फीसदी बच्चे हैं, जो शहरों में रहते हैं, फिर भी वे बिना इंटरनेट के हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में यह आकड़ा 75 फीसदी है। शोधकर्ताओं के अनुसार जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है, वे भी आनलाइन क्लाश करने में चुनौतियों को सामना कर रहे हैं। 

इंटरनेट उपयोग करने में पुरूष आगे

इंटरनेट प्रयोग करने के मामले में पुरूषों और महिलाओं के बीच तुलना करें तो इस मामले में पुरूष आगे हैं। 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में जहां 55 फीसदी पुरूष इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, वहीं इस मामले में महिलाओं का औसत 48 फीसदी है। 

 


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